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भारत पर लक्षित हत्याओं के झूठे आरोप देश की प्रगति को रोकने के लिए पश्चिम की रणनीति है: विशेषज्ञ

भारतीय विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन के दैनिक द गार्जियन की एक रिपोर्ट के उन आरोपों का जोरदार खंडन किया है, जिसमें भारत पर आतंकवादियों को खत्म करने के लिए पाकिस्तान में लक्षित हत्याएं करने का आरोप लगाया गया है।
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विदेश मंत्रालय ने इसे "झूठा और दुर्भावनापूर्ण भारत विरोधी प्रचार" कहा है और विदेश मंत्री एस जयशंकर का उद्धरण दिया है, जिन्होंने हाल ही में कहा था कि अन्य देशों में लक्षित हत्याएं "भारत सरकार की नीति नहीं" हैं।
द गार्जियन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली ने "उन लोगों को निशाना बनाने की नीति लागू की है, जिन्हें वे भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण मानता है। 2019 के पुलवामा हमले के बाद से भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ द्वारा ऐसी 20 हत्याएं की गईं।"
इस बीच Sputnik India ने जब अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ कमर आग़ा से रिपोर्ट पर प्रश्न किया, तो उन्होंने कहा कि "भारत में चुनावी वर्ष है और पश्चिम की सोची समझी रणनीति दूसरे देशों की प्रगति को रोकना है, यूक्रेन युद्ध भी इसी रणनीति का हिस्सा है।"

आगा ने कहा, "भारत संयुक्त राष्ट्र में सुधार की मांग कर रहा है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य बनना चाहता है। भारत अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान में भी सुधार चाहता है, लेकिन इतने वर्षों बाद भी पश्चिमी देश यह नहीं चाहते। इसलिए भारत पर झूठे आरोप लगाना पश्चिम की दवाब की रणनीति का हिस्सा है।"

साथ ही उन्होंने कहा कि "पाकिस्तान के साथ पश्चिम के देश अच्छे संबंध बनाना चाहता है, क्योंकि दुबारा से दक्षिण एशिया में एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए वह पाकिस्तान से समझौता करने का प्रयास कर रहे हैं।"

आगा ने कहा, "पश्चिमी देश यह नहीं चाहते कि ब्रिक्स और संघाई सहयोग संगठन (SCO) में भारत कोई बड़ी भूमिका निभाए, बल्कि वे चाहते हैं कि भारत हिन्द प्रशांत क्षेत्र में ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के सैन्य गठबंधन का हिस्सा बने ताकि भारतीय सेना का प्रयोग चीन या अन्य देशों के खिलाफ किया जा सके। हालांकि भारत के चीन से अच्छे संबंध नहीं है, लेकिन भारत युद्ध में विश्वास नहीं करता। लक्षित हत्याओं का ये आरोप एक दवाब रणनीति है, जो काफी पहले समय से चल रही है।"

दरअसल, भारत बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था के एक उत्साही समर्थक के रूप में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और ब्रिक्स जैसे बहुध्रुवीय मंच में सक्रिय रूप से अपनी भागीदारी निभा रहा है।

आगा ने कहा, "पश्चिमी देशों में द्विविधता है, जिसके अंतर्गत एक नीति का उपयोग अपने लिए करते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय नियम है उनका पालन स्वयं ये नहीं करते, मगर दूसरे देशों द्वारा उल्लंघन नहीं होने पर भी आरोप लगा देते हैं और उन देशों के खिलाफ एक अभियान चलाने लगते हैं, क्योंकि पश्चिमी मीडिया बहुत ताकतवर है।"

साथ ही उन्होंने रेखांकित किया कि "स्वयं अमेरिका ने असंख्य बेगुनाह लोगों की दूसरे देशों में हत्या की है। उन्होंने ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या का उदाहरण दिया। हालाँकि सुलेमानी के साथ 'आतंक के खिलाफ युद्ध' में एक सहयोग था, इसके बावजूद उनकी हत्या कर दी।"
इसके अलावा, आगा ने कहा कि "[पश्चिम के देशों ने] अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में अनगिनत हत्याएं की हैं, जिनमें कई राष्ट्रवादी नेता थे। इतना ही नहीं इन्होंने इराक में युद्ध लड़ा, जो कि संयुक्त राष्ट्र से अनुमोदित नहीं था। कब्ज़ा कर पूरे देश की अवसंरचना को ध्वस्त कर दिया और बाद में उन्होंने घोषणा की कि इराक को हमने पूर्व औद्योगिक युग में पहुंचा दिया। वियतनाम, कोरिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका बहुत लंबी सूची हैं, जहाँ पश्चिमी देशों ने मिलकर कितनी तबाही मचाई है।"

आगा ने कहा, "पश्चिमी देश उनके खिलाफ हो जाते हैं, जब कोई विकासशील देश उभरने लगता है। जैसे भारत की अर्थव्यवस्था चार ट्रिलियन के निकट है और लगातार बढ़ रही है। भारत के रूस और अन्य देशों से अच्छे संबंध है, जो कि पश्चिमी देशों को नहीं पसंद है। चूंकि पश्चिमी देशों का वैश्विक स्तर पर प्रभाव गिर रहा है, इसलिए ये दवाब बना रहे हैं कि सैन्यकरण विदेश नीति के माध्यम से अपना वर्चस्व दुबारा से बनाने का प्रयास कर रहे हैं, जिसमें वे सफल नहीं हो पाएंगे।"

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