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भारत में मानवाधिकारों को लेकर अमेरिका की आलोचना ध्यान भटकाने की रणनीति का हिस्सा

बाइडन प्रशासन ने भारत में विभिन्न मुद्दों पर कथित रूप से टिप्पणी की है, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी से लेकर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर चिंताएं शामिल हैं। Sputnik India ने भारत की आलोचना करने की अमेरिका की प्रवृत्ति और इसके उद्देशयों का विश्लेषण किया।
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भारत के लोकतंत्र और मानवाधिकारों पर बाइडन प्रशासन की आलोचना ने गहन बहस छेड़ दी है और विचार करने के लिए प्रेरित किया है।
अमेरिका ने भारत में कई मुद्दों पर सवाल उठाए हैं, जिनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी से लेकर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के बारे में चिंताएं भी शामिल हैं, जो कि अमेरिका के 1990 के लॉटेनबर्ग संशोधन से काफी मिलता-जुलता है।
ऐसे भी आरोप हैं कि मोदी सरकार पत्रकारों, गैर सरकारी संगठनों और सरकारी आलोचकों को निशाना बना रही है और राजनीतिक विरोधियों को चुप कराने के लिए राजकीय संस्थानों का उपयोग कर रही है। इसके अलावा, यह आरोप भी हैं कि भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियाँ गैर-न्यायिक हत्याओं में शामिल रही हैं।

भारत की अमेरिकी आलोचना: रणनीतिक प्रेरणाओं और भू-राजनीतिक वास्तविकताओं की खोज

वैश्विक रणनीतिक एवं सैन्य विश्लेषक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. एसबी अस्थाना ने Sputnik India को बताया, "यह बयान अमेरिका, विशेष रूप से डेमोक्रेट्स की उस प्रवृत्ति को उजागर करता है, जिसे "दुनिया की नैतिक पुलिसिंग" कहा जाता है, एक ऐसी प्रथा जिसका अक्सर उल्टा असर होता है। भारत की आलोचना को इसी दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में देखा जाता है।"

उन्होंने आगे कहा, "भारत के खिलाफ लगाए गए आरोपों को निराधार माना जाएगा। इसके अलावा, अमेरिका पर दोहरे मानकों का आरोप लगाया जाता है, क्योंकि वह पाकिस्तान में समान मुद्दों को नजरअंदाज कर देता है जबकि भारत में उन पर जोर देता है।"
अस्थाना के अनुसार, यह दोहरा मानक रणनीतिक विचारों से प्रेरित है, "जैसे कि अमेरिका को ईरान में तनाव के प्रबंधन और अल-कायदा* या आईएसआईएस** जैसे आतंकवादी संगठनों से निपटने के लिए पाकिस्तान के सहयोग की कथित आवश्यकता है।"
इस बीच इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के निदेशक डॉ. ऐश नारायण रॉय ने कहा, "भारत के प्रति अमेरिकी आलोचना कई भू-राजनीतिक कारकों से प्रभावित हो सकती है, जिसमें यूक्रेन में संघर्ष की निंदा करने में भारत की झिझक और पुन: निर्यात के लिए रूसी तेल का निरंतर आयात भी एक कारक हो सकता है।"

रॉय के अनुसार, इस आलोचना की एक और वजह, "मास्को के साथ भारत के घनिष्ठ संबंधों को कमजोर करने के उद्देश्य से भारत पर दबाव डालना है"।

दोहरा मापदंड

अस्थाना ने कहा, "अमेरिका के पास दूसरों को उपदेश देने का कोई अधिकार नहीं है, विशेष रूप से अगर उसके स्वयं के सैन्य कार्यों देखा जाए, जैसे कि इराक में, जिसमें औचित्य का अभाव था क्योंकि सामूहिक विनाश के कोई हथियार नहीं पाए गए थे। इराक, अफगानिस्तान और लीबिया में ये ऑपरेशन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मंजूरी के बिना प्रभावित देशों की संप्रभुता की अनदेखी और उनके सुरक्षा हितों को कमजोर करते हुए किए गए थे।"

*प्रतिबंधित आतंकवादी समूह
**प्रतिबंधित आतंकवादी समूह
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