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क्या बीजेपी लोक सभा चुनाव से पहले अल्पसंख्यकों का भरोसा जीत सकती है?

© AP Photo / Manish SwarupIndian Prime Minister Narendra Modi, center, in a saffron cap, and Chief Minister of Uttar Pradesh Yogi Adityanath, left, in saffron robes, ride in an open vehicle as they campaign for Bharatiya Janata Party (BJP) for the upcoming parliamentary elections in Ghaziabad, India, Saturday, April 6, 2024.
Indian Prime Minister Narendra Modi, center, in a saffron cap, and Chief Minister of Uttar Pradesh Yogi Adityanath, left, in saffron robes, ride in an open vehicle as they campaign for Bharatiya Janata Party (BJP) for the upcoming parliamentary elections in Ghaziabad, India, Saturday, April 6, 2024.  - Sputnik भारत, 1920, 10.04.2024
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भारत के 2024 आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का लक्ष्य 543 सदस्यीय लोक सभा में 370 सीटों पर जीत हासिल करना है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह लक्ष्य अल्पसंख्यकों के समर्थन पर निर्भर करता है। Sputnik India ने अल्पसंख्यक वोटों को आकर्षित करने में भाजपा कार्यकाल के दौरान पार्टी की सफलता की पड़ताल की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास' के मंत्र ने दुनिया भर में ध्यान आकर्षित किया है।
पश्चिमी देशों और उनसे संबद्ध मीडिया ने अक्सर मोदी और उनके राजनीतिक संगठन, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मज़ाक उड़ाया है, खासकर अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक समारोह के बाद, जिस पर उनका आरोप है कि यह एक ध्वस्त मुस्लिम मस्जिद पर बनाया गया है। हालाँकि, ऐतिहासिक साक्ष्यों से पता चलता है कि यह एक "विवादित संरचना" थी, क्योंकि इस्लाम के अनुयायियों ने वहाँ कभी प्रार्थना नहीं की।
इसके अलावा, नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) मुद्दे को भाजपा के आलोचकों द्वारा मुस्लिम विरोधी करार दिया गया है, जो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे इस्लामी देशों से आए मुसलमानों को छोड़कर, सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने के लिए है, फिर भी भाजपा अपनी गैर-भेदभावपूर्ण सरकारी योजनाओं के माध्यम से भारत के अल्पसंख्यकों का दिल जीतने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है, जिनके बारे में कहा जाता है कि इससे देश भर में लाखों मुसलमानों, ईसाइयों और सिखों को लाभ हो रहा है।

मोदी : भारत में गरीबों के मसीहा

बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा (प्रकोष्ठ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी मानते हैं कि पार्टी ने मुसलमानों को अपने पाले में लाने के लिए काफी प्रयास किये हैं।

सिद्दीकी ने मंगलवार को Sputnik India को बताया, "पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए 350 योजनाएं शुरू की हैं, और अन्य कार्यक्रमों से मुसलमानों और ईसाइयों के एक बड़े वर्ग को लाभ हुआ है।"

जमाल सिद्दीकी ने कहा कि जिन कार्यक्रमों का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा, वे हैं:
जन धन योजना (गरीबों के वित्तीय समावेशन की योजना);
उज्ज्वला योजना (गरीबी रेखा से नीचे की महिलाओं को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन), किसान सम्मान निधि (किसानों को वार्षिक आय सहायता),
आयुष्मान भारत (राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना जो 50 करोड़ कमजोर भारतीयों के लिए प्रति परिवार ₹5,00,000 का चिकित्सा कवर प्रदान करती है);
प्रधानमंत्री आवास योजना (कम आय वाले नागरिकों के लिए किफायती आवास प्रदान करने की योजना)।
भाजपा नेता ने कहा कि मध्य पूर्व के इस्लामिक देशों ने भी भारत के मुसलमानों के प्रति मोदी की पहुँच की सराहना की है, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), मिस्र, बहरीन, मालदीव और अफगानिस्तान सहित कई देशों ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से उन्हें सम्मानित किया है।

सिद्दीकी ने कहा, "यह संकेत देता है कि न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में रहने वाले लोग मोदी को गरीबों के मसीहा के रूप में देखते हैं।"

उन्होंने रेखांकित किया कि भारत के इतिहास में पहली बार मुसलमानों के पास मोदी के रूप में एक नेता हैं, जो तुष्टिकरण की राजनीति में रुचि के बजाय वास्तव में उनके लिए शैक्षिक और रोजगार के अवसर पैदा करना चाहते हैं, जिससे वे आत्म-सम्मान से भरा जीवन जी सकें।
इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश में मुसलमान न केवल मोदी की वापसी के लिए दुआ कर रहे हैं बल्कि आगामी चुनावों में उन्हें वोट भी देंगे।

भाजपा की मुस्लिम आउटरीच कार्यक्रमों ने 60 लाख लोगों को पार्टी से जोड़ा

सिद्दीकी ने कहा कि वे इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि भाजपा को चुनावों में मुस्लिम वोट मिलेंगे, क्योंकि भारत में समुदाय के प्रति अपने आउटरीच कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा द्वारा लगभग 44,000 संवाद पहल आयोजित की गईं, जिसमें लगभग 60 लाख इस्लामी आस्था वाले लोग पार्टी से जुड़े।

सिद्दीकी ने कहा, "मोदी मित्र कार्यक्रम ने हमें 2.2 मिलियन मुसलमानों तक पहुँचने में मदद की, जिसके माध्यम से हमने उन्हें सीधे प्रधानमंत्री से जोड़ा। इसके अलावा, कम से कम 14,000 संगठन जो भारत में मोटे तौर पर सूफीवाद से संबंधित हैं, सरकार की योजनाओं से जुड़े हुए हैं।"

उन्होंने साथ ही कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रधानमंत्री ने जनता, खासकर पसमांदा कहे जाने वाले दलित मुसलमानों के उत्थान की गहरी इच्छा दिखाई है, जिसमें देश की लगभग 85 प्रतिशत मुस्लिम आबादी शामिल है, जिन्हें पिछली सरकारों ने नजरअंदाज कर दिया था।
2024 के राष्ट्रीय चुनावों में भाजपा को मुस्लिम वोटों का एक बड़ा हिस्सा मिलेगा सिद्दीकी के इस दावे के बावजूद हैदराबाद स्थित चुनाव विश्लेषक जेवीसी श्रीराम को नहीं लगता कि पार्टी को समुदाय से उच्च प्रतिशत वोट मिलेंगे हालाँकि, वे इस बात से सहमत हैं कि पार्टी के मुस्लिम वोट शेयर में थोड़ी बढ़ोतरी होगी।
उदाहरण के लिए, 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में, भाजपा 8 प्रतिशत मुस्लिम वोट हासिल करने में सफल रही, श्रीराम का मानना है कि 2024 के राष्ट्रीय चुनावों में इसमें लगभग पाँच प्रतिशत की वृद्धि होनी तय है।

भाजपा केरल में ईसाइयों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करेगी

दूसरी ओर उनका मानना है कि दक्षिण में तमिलनाडु और केरल में, भाजपा को कुछ क्षेत्रों में, विशेषकर ईसाइयों के बीच समर्थन मिलेगा।
केरल में ईसाई कुल आबादी का लगभग 18 प्रतिशत हैं और भारत के सबसे दक्षिणी राज्य में कई निर्वाचन क्षेत्रों में जीत-हार में ईसाई वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

श्रीराम ने कहा, "जहाँ तक तमिलनाडु और केरल का सवाल है, मैं कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में धारणा में बदलाव देख सकता हूँ। केरल में, तिरुवनंतपुरम, अटिंगल, पथानामथिट्टा और त्रिशूर जैसी जगहों पर, जहाँ अगर ईसाई सोचते हैं कि भाजपा के पास जीतने का मौका है, तो वे संभवतः इसका समर्थन कर सकते हैं।"

श्रीराम ने कहा, "वह उच्च वर्ग के ईसाई और शायद रोमन कैथोलिक भी होंगे और जहाँ तक कन्याकुमारी का संबंध है, मैं वही प्रवृत्ति देख सकता हूँ , जहाँ विशुद्ध रूप से विकास के आधार पर तय होगा की वोट किसे मिलेंगी, मतदाताओं को यह एहसास होना चहाइए कि उस निर्वाचन क्षेत्र का सांसद क्षेत्र का विकास कर सकता है। संभवत: कुछ ईसाई वोट भाजपा की ओर जा सकते हैं।"
पूर्व संघीय मंत्री पोन राधाकृष्णन कन्याकुमारी से भाजपा के उम्मीदवार हैं और उन्होंने इससे पहले 2014 में 1,00,000 से अधिक मतों के अंतर से वहाँ चुनाव जीता था।
हालाँकि, भाजपा की अल्पसंख्यक शाखा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जोजो जोस श्रीराम के आकलन से सहमत नहीं हैं क्योंकि उन्हें राजनीतिक दल की ईसाई धारणा में उल्लेखनीय बदलाव की उम्मीद है।

बीजेपी और ईसाइयों के बीच मजबूत रिश्ते

जोस ने कहा, "भाजपा और ईसाइयों के बीच मजबूत संबंध इस देश के लाभ के लिए अपरिहार्य है, खासकर जब भारत में समुदाय की कुल आबादी 2 प्रतिशत है, लेकिन वे कम से कम 10 प्रतिशत औपचारिक शैक्षणिक संस्थानों को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा, देश भर के प्रमुख अस्पताल उन्हीं के हैं। इसलिए इन दो प्रतिशत को भारत का सबसे बड़ा एनजीओ कहा जा सकता है।"

इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पिछले साल क्रिसमस की पूर्व संध्या पर अपने आवास पर ईसाई नेताओं की मेजबानी ने भाजपा और ईसाइयों के बीच संबंधों को मजबूत किया है।
उनके अनुसार, केरल में भाजपा का कुल वोट शेयर काफी बढ़ जाएगा, राज्य की कई संसदीय सीटों पर ईसाइयों का एक बड़ा हिस्सा पार्टी के पक्ष में होगा, क्योंकि ईसाइयों को अब एक और समस्या का सामना करना पड़ रहा है, यह समस्या कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा शादी के लिए ईसाई महिलाओं को निशाना बनाना है।

जोस ने कहा, "आखिरकार, ईसाइयों को एहसास हुआ है कि यह भाजपा ही है जो कट्टरपंथी इस्लामी समूहों का विरोध कर रही है और उनका भविष्य केवल उस पार्टी के हाथों में सुरक्षित हो सकता है जो ऐसे संगठनों को संरक्षण नहीं देती है। हालाँकि बहुत बड़ी संख्या में नहीं, लेकिन एक अच्छे प्रतिशत में ईसाइयों ने अब धीरे-धीरे सभी चुनावों में भाजपा का समर्थन करना शुरू कर दिया है।"

Indian Prime Minister Narendra Modi waves at the crowd as he arrives to attend the Central Election Committee meeting at the headquarters of the Bharatiya Janata Party in New Delhi, India, Wednesday, Sep. 13, 2023. - Sputnik भारत, 1920, 08.04.2024
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