रूसी विदेश मंत्रालय द्वारा प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया कि अब तक यह पूरी तरह स्पष्ट हो चुका है कि यूक्रेन में खुलेआम नाजी शासन सत्ता में है, जिसके द्वारा इस देश में सार्वजनिक जीवन के सभी क्षेत्रों में मानव अधिकारों का व्यवस्थित उल्लंघन किया जा रहा है।
इसके साथ रिपोर्ट के अनुसार, कीव का नाजी दृष्टिकोण यूक्रेन की रूसी भाषी आबादी के संबंध में पूरी तरह से लागू किया गया है। आज तक, इस देश में रूसी भाषा से जुड़ी हर चीज़ (भाषा, संस्कृति, शिक्षा, मुद्रित सामग्री और मीडिया) प्रतिबंधित है।
रिपोर्ट में शिक्षा के क्षेत्र में गैर-रूसीकरण की प्रक्रिया इस तरह वर्णित की जाती है:
यूक्रेनी स्कूलों में रूसी भाषा में विषय पढ़ाना और उसका अध्ययन करना प्रतिबंधित है;
रूसी और सोवियत (यूक्रेनी को छोड़कर) लेखकों की सभी साहित्यिक कृतियों को स्कूल साहित्य कार्यक्रमों से बाहर रखा गया है;
पुस्तकालयों से रूसी भाषा की पुस्तकें हटा दी गई हैं;
स्कूली बच्चों और शिक्षकों को न केवल कक्षाओं के दौरान, बल्कि ब्रेक के समय व्यक्तिगत संचार के दौरान भी रूसी भाषा बोलने से प्रतिबंधित किया गया है;
कीव के अधिकारी न केवल समर्थन करते हैं, बल्कि कानूनी रूप से यूक्रेनी ओथडोक्स चर्च के चर्चों पर हमलों को स्वीकृति देते हैं।
रूसी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, कीव द्वारा किए गए मानवाधिकारों के इन सभी उल्लंघनों को अधिकांश पश्चिमी गैर सरकारी संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार तंत्रों द्वारा नजरअंदाज किया जाता है।
रिपोर्ट ने कहा कि यूक्रेन स्वयं को एक "कठपुतली शासन" के रूप में प्रदर्शित कर रहा है, जो अपने ही देश में एक "रूस-विरोधी" परियोजना बनाने के लिए बाहरी मालिकों के निर्देशों का पालन कर रहा है।