भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व में एनडीए के संसदीय दल ने तीसरी बार सरकार बनाने के लिए बैठक की, जिसमें नरेंद्र मोदी का नाम प्रधानमंत्री के तौर पर रखा गया। इस बीच पश्चिमी मीडिया में नरेंद्र मोदी के विरोध की जगह उनकी प्रशंसा ने ले ली है।
तीसरी बार सत्ता मे वापसी करने के बाद जाहिर तौर पर दुनिया भर में मोदी के लिए स्वीकार्यता बढ़ रही है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पश्चिमी मीडिया आउटलेट्स ने भारत की नीतियों की आलोचना करना बंद कर दिया और नई दिल्ली के सैन्य ताकत बढ़ाने के उद्देश्य की प्रशंसा करनी शुरू कर दी है।
इस प्रशंसा को हम इस तरह भी देख सकते हैं कि पश्चिम हमेशा से चीन का मुकाबला करने के लिए एक सहयोगी की तलाश में रहता है, और शायद इसलिए उनके बयानों में और तेवर में बदलाव साफ तौर पर देखा जा सकता है।
इससे पहले पश्चिम के इस रवैये पर भारत में सामरिक मामलों के एक विशेषज्ञ ने कहा था कि पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत की छवि को विशेष रूप आम चुनावों के समय धूमिल करने का प्रयास किया गया, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग करके चुनावों के अंतिम परिणाम में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया था।
यह दक्षिण एशियाई संप्रभु राष्ट्र में तनाव को बनाए रखने की एक और साजिश थी।