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'हिंसा में होगी वृद्धि': भारतीय चुनाव का पश्चिमी मीडिया कवरेज एक नए निचले स्तर पर पहुंचा

© AFP 2023 PUNIT PARANJPEUS Vice President Joe Biden addresses a gathering of Indian businessmen at the Bombay Stock Exchange (BSE) in Mumbai on July 24, 2013.
US Vice President Joe Biden addresses a gathering of Indian businessmen at the Bombay Stock Exchange (BSE) in Mumbai on July 24, 2013. - Sputnik भारत, 1920, 19.05.2024
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भारतीय विदेश मंत्री ने कहा है कि पश्चिमी मीडिया आउटलेट्स भारतीय चुनाव में स्वयं को राजनीतिक अभिनेता मानते हैं। उन्होंने कहा है कि भारतीय चुनाव में पश्चिमी प्रभाव के प्रयास पहले की तुलना में अधिक तीव्र हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नकारात्मक कवरेज के माध्यम से चल रहे लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने के अपने प्रयासों के लिए भारत में आलोचना का सामना कर रहे पश्चिमी मीडिया ने अब भारतीय चुनावी प्रक्रिया को बदनाम करने का सहारा लिया है।
अपने नवीनतम संस्करण में लंदन स्थित मुख्यालय वाले प्रकाशन द इकोनॉमिस्ट ने अपने एक लेख में कहा है कि अगर मोदी "बड़े बहुमत" से जीतते हैं तो भारतीय विपक्ष 4 जून को चुनाव परिणामों की "वैधता" पर सवाल उठा सकता है।

“लेकिन अगर भाजपा कम बहुमत से जीतती है या बिल्कुल नहीं जीतती है, तो यह और भी अधिक आक्रामक हो सकती है। सबसे खराब स्थिति में, इससे सड़कों पर हिंसक वृद्धि का संकट है,” इस लेख में लिखा गया है, जिसमें भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) पर भाजपा के पक्ष में पक्षपाती होने का आरोप लगाया गया है।

एक अन्य लेख में, द इकोनॉमिस्ट ने भारतीय विपक्षी नेता अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के मुख्यमंत्री के बयान को प्रकाशित किया है, जिन्हें भ्रष्टाचार के मामले में उच्चतम न्यायालय ने 22 दिनों की अंतरिम जमानत दी है।

'कौन बनेगा मोदी का उत्तराधिकारी?' शीर्षक वाले एक लेख में, द इकोनॉमिस्ट ने दावा किया कि भाजपा को "उत्तराधिकार की समस्या" का सामना करना पड़ा और उनके उत्तराधिकारी के रूप में देखे जाने वाले सभी लोगों के बीच "मंच के पीछे मतभेद" देखा गया।

भारत की चुनाव प्रक्रिया को बदनाम करके 'पश्चिमी एजेंट' पहुँची निचले स्तर पर : लेखक

पुस्तक 'बीबीसी: ट्रू लाइज़' के सह-लेखक प्रशांत पांडे ने Sputnik India को बताया कि पश्चिमी मीडिया आउटलेट "चुनाव परिणामों को पहले से ही बदनाम करने का प्रयास कर रहे थे क्योंकि वे अपने प्रतिद्वंद्वी, प्रधानमंत्री मोदी को नकारात्मक ढ़ंग से बदनाम करने में विफल रहे हैं।

पांडे जी ने रेखांकित किया, "उन्हें एहसास है कि मतदाताओं के बीच लोकप्रियता के मामले में मोदी एक मजबूत स्थिति में हैं।"

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी को इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि पश्चिमी मीडिया पश्चिमी सरकारों के "एजेंट" के रूप में काम कर रहा है,जो भूराजनीतिक विचारों के कारण सीधे मोदी को निशाना बनाने से आजकल सावधान हैं।

पांडे जी ने कहा, "बिना किसी आधार के चुनाव प्रक्रिया को बदनाम करना पश्चिमी मीडिया द्वारा अपनाई जा रही एक नई रणनीति है। वे 2014 से देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर डर पैदा कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि भारतीय चुनावों में पश्चिम की हिस्सेदारी है।

लेखक ने कहा, "ऐसा नहीं है कि पश्चिम ने पिछले भारतीय चुनावों में हस्तक्षेप या प्रभाव डालने की कोशिश नहीं की है। लेकिन इस समय वे विशेष रूप से उग्र हैं।"

उन्होंने स्पष्ट किया कि पश्चिम "एशियाई थिएटर" में चीन का मुकाबला करने के लिए एक "मजबूत भारत" चाहता है, लेकिन साथ ही साथ एक मजबूत भारतीय नेता से भयभीत है जो स्वतंत्र विदेश नीति रखते हैं, जिन विशेषताओं का मोदी प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

पांडे ने साथ ही यह टिप्पणी की, "पश्चिम एक दुविधा में फंस गया है। वे सीधे मोदी सरकार का विरोध नहीं कर सकते या भारतीय नेतृत्व को भू-राजनीतिक कारणों से निशाना नहीं बना सकते। लेकिन हम जो देख रहे हैं, वह यह है कि पश्चिमी एजेंट प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना को बढ़ावा दे रहे हैं।"

'भारतीय विपक्ष और पश्चिमी मीडिया एक-दूसरे की प्रशंसा करते हैं'

पांडे ने साथ ही कहा कि द इकोनॉमिस्ट में प्रकाशित लेख "विपक्ष के विचारों से मिलता-जुलता है"
इसके अतिरिक्त, प्रशांत पांडे ने इस पर ध्यान दिया कि पश्चिमी मीडिया मोदी के उत्तराधिकारी का सवाल उठाकर भाजपा में मतभेद उत्पन्न करने का प्रयास कर रहा था, जैसा कि केजरीवाल ने 11 मई को अपने पहले अभियान भाषण में किया था।
केजरीवाल ने 11 मई को अपने पहले राजनीतिक भाषण करते हुए कहा कि मोदी अगले वर्ष "सेवानिवृत्त हो जाएंगे" क्योंकि वह 75 वर्ष के हो जाएंगे। राजनीतिज्ञ ने इस पर जोर दिया कि अतीत में कई अन्य भाजपा राजनेताओं ने 75 वर्ष के होने पर इस्तीफा दिया हैं। उसी भाषण के दौरान केजरीवाल ने दावा किया कि मोदी, पार्टी की सत्ता गृह मंत्री अमित शाह को सौंपेंगे।
साथ ही, केजरीवाल ने भविष्यवाणी करते हुए कहा कि मोदी चुनाव जीतने के दो महीने के उपरांत भाजपा नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक करियर समाप्त कर देंगे। केजरीवाल ने इसके लिए कारण बताते हुए कहा कि मोदी "एक राष्ट्र, एक नेता" चाहते हैं और आदित्यनाथ को हटाना चाहते हैं ।
केजरीवाल ने उसी भाषण में कहा, "हालांकि, वे 4 जून को चुनाव नहीं जीतेंगे। इंडिया गठबंधन जीतेगा।"

पांडे ने केजरीवाल के बयानों में विरोधाभास पर ध्यान देते हुए कहा, "उनके [केजरीवाल] अनुसार, चुनाव जीतने के बाद मोदी अपनी जगह पर शाह को ले लेंगे। लेकिन, उनका यह भी कहना है कि भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन चुनाव नहीं जीत पाएगा।"

इसी समय शाह और आदित्यनाथ दोनों ने केजरीवाल के उत्तराधिकार भविष्यवाणी का उपहास किया है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का कहना यह है कि केजरीवाल ने "अपना दिमाग खो दिया है"।

प्रशांत पांडे ने आगे कहा, "भारतीय विपक्ष को लेकर मुख्य समस्या यह है कि राजनीतिक विरोधी द्वारा निष्पक्ष रूप से पीटे जाने को स्वीकार करने से अस्वीकार कर दिया है। हालांकि, उनका विरोधी ने चार या पाँच दशकों में चुनावी लाभ प्राप्त किया है।"

उन्होंने कहा कि यह बड़े खेद की बात है कि भारतीय विपक्ष और पश्चिमी मीडिया मात्र मोदी को दुर्बल करने के लिए साँठ-गांठ करते हैं।
An election official applies indelible ink mark on the index finger on a woman voter during the fourth phase of general election, on the outskirts of Samastipur, in the Indian state of Bihar, Monday, May 13, 2024. - Sputnik भारत, 1920, 13.05.2024
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