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अमेरिका स्थित खालिस्तानी आतंकी ने की भारतीय मूल के कनाडाई सांसद आर्य को अयोग्य ठहराने की मांग

कनाडा में भारत के खिलाफ सिख चरमपंथियों का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है और इसमें कहीं न कहीं कनाडा सरकार की मिलीभगत भी दिखाई पड़ती है, क्योंकि ओटावा खालिस्तानी समर्थकों पर लगाम लगाना नहीं चाहता है।
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भारत में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित खालिस्तान समर्थक ग्रुप सिख फॉर जस्टिस ने कनाडाई सांसद चंद्रा आर्य को कनाडाई सरकार से आयोग ठहराने की मांग करते हुए उन्हें भारत जाने के लिए कहा।
कनाडा में भारत के खिलाफ रोज नए नए बयान देने वाले खालिस्तान समर्थक और सिख फॉर जस्टिस के जनरल काउंसल गुरपतवंत सिंह पन्नू ने सांसद आर्य के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे सिखों के खियाफ़ नफरत फैला रहे हैं।

सिख फॉर जस्टिस ने एक्स पर लिखा, "सांसद आर्य को अपनी मातृभूमि वापस चले जाना चाहिए, क्योंकि अपने मालिक भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर आर्य सिखों के खिलाफ नफरत फैलाने वाला अभियान चला रहे हैं और उन्होंने कनाडा के प्रति अपनी निष्ठा को पूरी तरह त्याग दिया है।

सिख फॉर जस्टिस एक अमेरिकी स्थित समूह है, जिसे गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा चलाया जाता है। पन्नु को भारत सरकार ने 1 जुलाई, 2020 को एक 'नामित व्यक्तिगत आतंकवादी' घोषित किया था।
कनाडाई सांसद के भारत के समर्थन में दिए गए बयानों को लेकर पन्नू ने आगे लिखा कि सांसद आर्य का हर कार्य और शब्द हिंदू वर्चस्ववादी मोदी शासन से मेल खाता है, जो निज्जर की हत्या और कनाडा में सिखों के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय दमन के लिए जिम्मेदार है।

कनाडाई सांसद के रूप में आर्य को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए पन्नू ने कहा, "आर्य मोदी की हिंदुत्व विचारधारा के अनुयायी हैं, जो असहमति पूर्ण राजनीतिक राय को दबाने के लिए हिंसा के इस्तेमाल को बढ़ावा देते हैं, जो कि कनाडा के लोकतंत्र के मौलिक सिद्धांतों के साथ सीधे टकराव में है, जैसा कि अधिकारों के चार्टर में निहित है।"

इससे पहले सोमवार को आर्य ने एक बार फिर कनाडा की कानून प्रवर्तन एजेंसियों से खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों के खिलाफ उनके घृणित बयानों के लिए कार्रवाई करने का आग्रह किया और कहा कि उनकी भारत विरोधी बयानबाजी जल्द ही हिंदू-कनाडाई लोगों के खिलाफ शारीरिक कार्रवाई में तब्दील हो सकती है।
आर्य ने याद करते हुए कहा, "सिख फॉर जस्टिस के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने पिछले साल सार्वजनिक रूप से हिंदुओं से भारत वापस जाने का आह्वान किया था। खालिस्तान समर्थकों ने ब्रैम्पटन और वैंकूवर में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का सार्वजनिक रूप से जश्न मनाया और घातक हथियारों की तस्वीरें लहराईं।"
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