डिफेंस
भारतीय सेना, इसके देशी और विदेशी भागीदारों और प्रतिद्वन्द्वियों की गरमा गरम खबरें।

भारतीय वायु सेना को दो-तीन सप्ताह में नए तेजस जेट मिल जाएंगे: सूत्र

पहला तेजस मार्क 1A अगले दो से चार हफ्ते में भारतीय वायुसेना को सौंपा जा सकता है, इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने Sputnik India को बताया। सूत्रों की माने तो इससे पहले फ़ाइटर जेट के सारे परीक्षण पूरे हो चुके हैं और उसे पूरे पेलोड यानी हथियारों के साथ उड़ाकर भी देखा जा चुका है।
Sputnik
तेजस में लगने वाला GE F-404 इंजन हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL) के रिजर्व इंजनों में से एक है। सूत्रों के अनुसार, HAL भारतीय वायुसेना को 83 ऐसे नए तेजस मार्क 1 A देगा, जिनमें इस इंजन का इस्तेमाल होगा।
लेकिन अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) इन इंजनों को भेज ही नहीं रही है। GE का कहना है कि वैश्विक स्तर पर एविएशन इंडस्ट्री में परेशानी आ रही है इसलिए वह इंजन नहीं भेज पा रही है। इससे HAL के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।
HAL को भारत सरकार ने 2021 में कुल 46000 करोड़ रुपए में 83 तेजस मार्क 1A बनाने का ऑर्डर दिया था। इनकी सप्लाई मार्च 2024 से शुरू होनी थी लेकिन इंजन के न पहुंच पाने का कारण यह संभव नहीं हो पाया। ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि पहला फ़ाइटर जेट नवंबर से पहले नहीं मिल पाएगा।

लेकिन अब रक्षा से जुड़े हुए शीर्ष सूत्रों के मुताबिक फ़ाइटर जेट को अगस्त के आखिर या सिंतबर की शुरुआत में वायुसेना को सौंप दिया जाएगा। HAL ने अपने रिज़र्व स्टाक से इंजन लगाकर जेट की सप्लाई सुचारू करने की कोशिश की है। "रिज़र्व इंजनों से शुरुआती जेट्स को सप्लाई के लिए तैयार किया जाएगा। आशा है कि तब तक GE से इंजनों की सप्लाई शुरू हो जाएगी," सूत्र ने बताया।

HAL को तय समझौते के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष यानी मार्च 2025 तक 12 जेट्स भारतीय वायुसेना को सौंपने हैं। इस जेट का दो सीटों वाला ट्रेनर भारतीय वायुसेना को पिछले साल अक्टूबर में ही सौंप दिया गया था। तेजस मार्क 1A 5 टन से ज्यादा वजन के हथियार ले जा सकता है। इसमें बेहतर रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारेफ़ेयर सिस्टम है। इसमें हवा से हवा में मार करने वाली अस्रम मिसाइल है। इसे भविष्य में ब्रह्मोस NJ से लैस किया जा सकता है।
भारतीय वायुसेना तेजस को भविष्य में अपना मुख्य फ़ाइटर जेट बनाना चाहती है। अभी वायुसेना में इसकी दो स्क्वाड्रन (लगभग 40 जेट) हैं। ये दोनों स्क्वाड्रन फ्लाइंग डैगर और फ्लाइंग बुलेट्स तमिलनाडु के सुलूर एयरबेस में तैनात हैं। 83 जेट के बाद 97 और इसी तरह के जेट खरीदने के लिए कैबिनेट की मंज़ूरी मिल चुकी है।
डिफेंस
भूमि, समुद्र और वायु में अद्वितीय बहुमुखी ब्रह्मोस मिसाइल का कोई जोड़ नहीं
विचार-विमर्श करें