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चार साल बाद लद्दाख में सैनिकों का पीछे लौटना शुरू

पूर्वी लद्दाख के डेमचौक और डेपसांग मैदानों में पिछले चार साल से ज्यादा समय से एक-दूसरे के सामने डटे भारत और चीन के सैनिकों ने पीछे हटना शुरू कर दिया है।
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सेना के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक डेमचौक के चार्डिंग नाला जंक्शन और डेपसांग मैदान में वाइ जंक्शन से दोनों ही तरफ़ के सैनिक पीछे हट रहे हैं। यहां से टेंट, मोर्चे और अस्थायी ठिकानों को भी हटाया जा रहा है जिनका निर्माण मई 2020 के बाद दोनों ही तरफ़ किया गया था।
21 अक्टूबर को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दिल्ली में पत्रकार वार्ता में बताया था कि दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी सैनिक गतिरोध को खत्म करने पर सहमति हो गई है। यह जानकारी प्रधानमंत्री मोदी के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस के कज़ान रवाना होने से ठीक पहले दी गई थी।
कज़ान में मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक में विवाद सुलझाने की दिशा में आगे चर्चा की राह बनी है।
डेमचौक और डेपसांग मैदान के कई हिस्सों को लेकर दोनों देशों के बीच दशकों पुराना विवाद है। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख के कई हिस्सों में दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई और 15 जून 2020 को गलवान में एक खूनी मुठभेड़ हुई। तब से दोनों ओर के 50-50 हज़ार सैनिकों के अलावा टैंक-बख्तरबंद गाड़ियां एक-दूसरे के सामने डटे हुए थे।
सेना के सूत्रों के मुताबिक डेमचौक में टेंट हटाए गए हैं और सैनिक पीछे हट रहे हैं, और इस काम में कुछ दिन लग सकते हैं। दोनों देशों के बीच समझौते में डेपसांग, डेमचौक के अलावा गोगरा, हॉटस्प्रिंग, गलवान घाटी और पेंगांग झील के उत्तरी किनारे पर भी भारतीय सैनिकों की गश्त बहाल करने पर सहमति हुई है। पेंगांग झील के उत्तरी किनारे पर पहले भारतीय सैनिक फिंगर 4 के आगे फिंगर 5-6 तक गश्त करते थे लेकिन 2020 के बाद वह केवल फिंगर 2 तक ही जा रहे थे।
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