सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने Sputnik India को बताया कि इस महीने के अंत तक अप्रैल 2020 की ही तरह सैनिकों की गश्त शुरू हो जाएगी। पहली बार दोनों देशों के सैनिक आपसी तालमेल के साथ गश्त करेंगे।
सेना के सूत्र ने बताया कि दोनों ही देश किसी भी गश्ती दल के निकलने से पहले दूसरे पक्ष को उस गश्ती दल में शामिल सैनिकों की संख्या, उनके रास्ते और गश्त के समय के बारे में जानकारी देंगे, जिससे किसी किस्म की गलतफ़हमी की गुंजाइश न रहे। गश्ती दल की संख्या तय होगी और उससे ज्यादा सैनिक एक साथ गश्त पर नहीं निकलेंगे।
अप्रैल 2020 के बाद बने सभी अस्थायी निर्माण, शेड, बंकर, दीवार और टेंट हटा लिए जाएंगे। इनका हटाया जाना मंगलवार से ही शुरू हो गया था और अगले चार दिन में इन्हें पूरी तरह हटा लिया जाएगा।
सैनिक हर जगह से एक तय दूरी तक पीछे हटेंगे और दूसरे पक्ष को इसकी जानकारी दी जाएगी। पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जाएगी और एक दूसरे को इसकी जानकारी मुहैय्या कराई जाएगी।
"भरोसा बहाली के लिए ज़रूरी कदम उठाए जाएंगे, साथ ही पूरी प्रक्रिया और उसके बाद भी निगरानी बरकरार रखी जाएगी," सूत्र ने कहा।
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के कई हिस्सों में मई 2020 से तनाव था और दोनों ही ओर के सैनिक आमने-सामने तैनात थे। डेपसांग और डेमचौक में विवाद कम था इसलिए यहां सैनिकों के पीछे हटने पर सबसे पहले समझौता हुआ। तनाव के दूसरे स्थानों जैसे गोगरा, हॉटस्प्रिंग, पेंगांग झील, गलवान से सैनिकों की वापसी और पूर्व स्थिति बहाल करने पर चर्चा चल रही है।