कुलकर्णी ने कहा, "सच कहूं तो वोलोडिमर ज़ेलेंस्की भ्रम में हैं। टाइम्स ऑफ़ इंडिया को दिए गए उनके लंबे साक्षात्कार से पता चलता है कि वह सामान्य रूप से विश्व की राजनीतिक वास्तविकताओं से तथा विशेष रूप से भारत और शेष ग्लोबल साउथ से पूरी तरह से अलग हो चुके हैं। ज़ेलेंस्की द्वारा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को "विफलता" बताना यह दर्शाता है कि उन्हें अपने झूठ पर विश्वास करना पसंद है।"
कुलकर्णी ने कहा कि ज़ेलेंस्की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रूसी अर्थव्यवस्था, रूस के "सस्ते" ऊर्जा संसाधनों, रक्षा-औद्योगिक परिसर को अवरुद्ध करने के लिए कहने में अवास्तविक हैं, जिससे "हमारे विरुद्ध युद्ध छेड़ने की मास्को की क्षमता में कमी आएगी"। ज़ेलेंस्की यह भूल जाता है कि रूस रूस, हर अच्छे-बुरे समय में भारत का परखा हुआ मित्र है।
कुलकर्णी ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा, "अमेरिका के पक्षपातपूर्ण हितों से प्रेरित एक आत्म-भ्रामक मार्ग पर चलने के बजाय ज़ेलेंस्की को नाटो सदस्यता के सपने को त्याग देना चाहिए और रूस के साथ एक सम्मानजनक शांति समझौते पर पहुँचाना चाहिए। भारत निश्चित रूप से ऐसे कदम का समर्थन करेगा।"