इसमें 3 किमी लंबा रनवे बनाया गया है जिसमें लगभग सभी सैनिक हवाई जहाज़ उतर सकते हैं और उड़ान भर सकते हैं। यह हवाई पट्टी भारत-चीन सीमा से लगभग 40 किमी दूर है। इस रणनैतिक महत्व की परियोजना को 2021 में 214 करोड़ रुपए की लागत के साथ भारतीय रक्षा मंत्रालय ने मंज़ूरी दी थी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सितंबर 2023 में इस हवाईपट्टी का शिलान्यास किया था।
सीमा से इसकी बहुत कम दूरी और इसकी ऊंचाई इसको इस क्षेत्र में रणनैतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण बनाते हैं। लद्दाख के लेह हवाई अड्डे से वायुसेना के लड़ाकू एयरक्राफ्ट उड़ाने का अनुभव रखने वाले विंग कमांडर अमित रंजन गिरि (सेवानिवृत्त) कहा कहना है कि न्योमा हवाई पट्टी भारतीय वायुसेना को जबरदस्त बढ़त देगी।
विंग कमांडर गिरि ने कहा, "किसी एयरफील्ड के आगे होने से वहां से उड़ने वाले लड़ाकू एयरक्राफ्ट की मार का दायरा बढ़ जाएगा और वह ज्यादा दूरी तक कार्रवाई कर सकता है।"
इस हवाईपट्टी से भारतीय वायुसेना को यहां तैनात सैनिकों तक रसद, गोलाबारूद पहुंचाना या उनकी तैनाती करने में बहुत कम समय खर्च करना पड़ेगा। अभी तक लद्दाख में यहां से 200 किमी दूर लेह में बड़ा हवाई अड्डा था जहां से सैनिक हवाई जहाज़ अपनी कार्रवाई कर सकते थे।
मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सैनिक गतिरोध पैदा हो गया था। दोनों ही देशों ने अपने सैनिकों को सीमा पर तैनात कर दिया था। दो सप्ताह पहले ही दोनों देशों के बीच लद्दाख को डेमचौक और डेपसांग से सैनिकों की वापसी का समझौता हुआ है। लेकिन चार साल तक चले इस तनाव के बीच भारत ने अपनी उत्तरी सीमा के ऊंचाई वाले स्थानों में पुल, सड़कें, टनल और हवाई अड्डे बनाने का काम तेज़ कर दिया है।