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ट्रम्प की वापसी के बाद क्या PTI नेता इमरान खान के बदलेंगे दिन?

इमरान खान के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान और अमेरिका के बीच तनाव बहुत अधिक रहा, खास तौर पर 2021 में अफ़गानिस्तान से अमेरिकी वापसी के बाद जब खान ने अमेरिकी विदेश नीति की खुले तौर पर आलोचना की।
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के जाने के बाद सत्ता के मुखिया के तौर पर इस बार रिपब्लिकन नेता ट्रंप एक बार फिर व्हाइट हाउस जाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं लेकिन बाइडन प्रशासन के कई फैसले सवालों के घेरे में रहे हैं जो नए राष्ट्रपति के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं।
एशिया में पाकिस्तान जैसे देश में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को जिस तरह से सत्ता से बेदखल किया गया उस पर आज भी सवालिया निशान लगा हुआ है। आज भी PTI नेता इमरान खान के बयानों से साफ तौर झलकता है कि उनको सत्ता से हटाने के पीछे संयुक्त राज्य अमेरिका का हाथ रहा है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पाकिस्तान को लेकर किस तरह के कदम उठाते हैं यह अपने आप में गौर करने वाली बात होगी।
वाशिंगटन में राजनीतिक परिदृश्य में हुए इस हालिया बड़े बदलाव ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पाकिस्तान के प्रति अमेरिकी नीति में कोई बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, खास तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के निष्कासन के मामले में। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन के चहेतों के संभावित प्रस्थान के बाद कुछ लोगों का मानना ​​है कि पाकिस्तान के प्रति अमेरिका का दृष्टिकोण बदल सकता है।
जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों को संभवतः यह उम्मीद होगी कि ट्रंप खान की दुर्दशा की ओर ध्यान देंगे और बाइडन प्रशासन के कार्यकाल में सत्ता से बेदखल किए गए इमरान खान पाकिस्तान की राजनीति में अपनी वापसी कर सकेंगे।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने में शामिल रहे कई नेताओं और नई अमेरिकी नीति के बदले जाने के बारे में Sputnik ने भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित थिंक टैंक मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (एमपी-आईडीएसए) में एसोसिएट फेलो डॉ. प्रियंका सिंह से बात की।
पाकिस्तान में इमरान खान को सत्ता से हटाने की जिम्मेदारी तीन अमेरिकी डोनाल्ड लू, विक्टोरिया नूलैंड और जो बाइडन को दिए जाने और इन प्रमुख हस्तियों के संभावित प्रस्थान से पाकिस्तान के प्रति अमेरिकी नीति में बदलाव की संभावना पर डॉ. प्रियंका सिंह कहती हैं कि उनके अनुसार 2022 में इमरान खान के साथ जो कुछ भी हुआ, जरूरी नहीं कि वह किसी व्यक्ति विशेष के कारण हुआ हो।

प्रियंका सिंह कहती हैं, "इमरान के साथ जो हुआ, वह एक बड़ी तस्वीर का हिस्सा है, जो खासकर अगस्त 2021 में अफ़गानिस्तान से अमेरिका की वापसी के बाद द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट के रूप में चिह्नित है।"

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद पाकिस्तान और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर बात करते हुए पाकिस्तान में अमेरिकी भागीदारी की विशेषज्ञ डॉ प्रियंका कहती हैं कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की दिशा में कुछ बदलाव हो सकता है और ट्रांजीशन के दौरान ऐसा होना स्वाभाविक है।

उन्होंने कहा, "बाइडन प्रशासन के दौरान इमरान खान के बाहर निकलने से उनके समर्थकों में उम्मीदें जगी हैं कि अमेरिका उनकी रिहाई को सुरक्षित करने के लिए प्रभाव डाल सकता है। हालांकि यह ध्यान देने योग्य है कि इमरान खान को अधिकांश समर्थन रिपब्लिकन के बजाय डेमोक्रेट्स से मिला है।"

पाकिस्तान में अमेरिकी "डीप स्टेट" की भूमिका के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस पर वह कुछ खास नहीं कह सकती लेकिन पाकिस्तान की राजनीति, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा मामलों में अमेरिका का काफी प्रभाव है, जिसमें पाकिस्तानी सेना की अहम भूमिका है। वास्तव में, महत्वपूर्ण चुनौतियों और मतभेदों के बावजूद कुछ दीर्घकालिक रणनीतियां दशकों से चली आ रही हैं।

सिंह ने कहा, "सेना पाकिस्तान में अमेरिकी हितों की प्राथमिक मध्यस्थ के रूप में कार्य करती है, चाहे वह प्रत्यक्ष हो या पर्दे के पीछे। इस गतिशीलता ने अयूब खान, जिया-उल-हक और परवेज मुशर्रफ जैसे नेताओं के नेतृत्व वाली सैन्य शासन व्यवस्थाओं द्वारा समर्थित एक दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा दिया है। इसलिए सेना अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों के केंद्र में है।"

नए राष्ट्रपति के आने के बाद पाकिस्तान और अमेरिका के बीच के संबंधों के भविष्य पर डॉ प्रियंका कहती हैं कि वर्तमान में, अफ़गानिस्तान के बारे में कोई तात्कालिक चिंता न होने के कारण अमेरिका-पाकिस्तान रणनीतिक सहयोग में अफ़गानिस्तान की केंद्रीय भूमिका पर विचार करना महत्वपूर्ण है।

एसोसिएट फेलो डॉ. प्रियंका सिंह ने अंत में कहा, "आगे बढ़ते हुए बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि नया प्रशासन पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को किस तरह प्राथमिकता देता है और क्या हम उनके दृष्टिकोण में कोई मौलिक बदलाव देखेंगे या वर्षों से अमेरिका और पाकिस्तान संबंधों को परिभाषित करने वाले दीर्घकालिक लेन-देन संबंधों को जारी रखा जाएगा।"

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