अखंड भारत के प्रश्न पर उन्होंने कहा, "अखंड रूस के विचार जैसा ही अखंड भारत का भी विचार है। यह राजनैतिक प्रभुत्व नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता को पुनर्जीवित करने का प्रयास होगा। हमें पश्चिमी औपनिवेशिक मानसिकता के दुष्प्रभाव से मुक्ति पानी होगी। अखंड भारत भारतीय सभ्यता के वैदिक जड़ों पर आधारित होगा, वैदिक समाज में समाहित परम शांति को स्वीकार करने और प्राचीन विज्ञान, पराभौतिकी जैसे सिद्धांतों को अपनाने से संभव होगा। इसमें भारतीय सूफ़ी इस्लाम, बौद्ध परंपराएं, जैन परंपराएं यहां तक कि वह ईसाई परंपराएं भी होंगी जो प्रोटेस्टेंट एजेंटों द्वारा थोपी गई परंपराओं से अलग हैं। यह एक मानसिक स्थिति होगी, आध्यात्मिक भारत होगा राजनैतिक मजबूरी नहीं।"
उन्होंने कहा, "पुराणों में कई उदाहरण हैं जिनमें असुर मानवरूप में रहते थे। सोरोस असुर है, वह भारत, मोदी, रूस, पुतिन, ट्रंप, इस्लाम, एर्दोगन सबसे घृणा करता है। हर उस बात को बढ़ावा देता है जो खराब है, जहरीली है, बीमार है, विकृत है। भारत में वह दलितों को सरकार के खिलाफ़ उकसा रहा है क्योंकि वह सोचता है कि उनमें भारत को अस्थिर करने की शक्ति है। भारत में दलितों को अपनाने की कोशिशें हमेशा से होती रही हैं पर वह उन्हें भारत के विरुद्ध मोर्चाबंद कर रहा है। वह मोदी से घृणा करता है क्योंकि मोदी सुव्यवस्था है और विकसित होते भारत की सफलता है। मोदी भारत को दोबारा महान बनाना चाहते हैं जैसे पुतिन रूस को और ट्रंप अमेरिका को।"
उन्होंने कहा, "इन क्षेत्रों में संस्कृतियों का मेल होता था, सहयोग और मित्रता पैदा होती थी। भारत और चीन के बीच का विवाद सुलझाने के लिए गहन आध्यात्मिक सिद्धांतों पर आधारित संवाद होना चाहिए न कि पश्चिम द्वारा थोपे गए सतही सीमा के आधार पर। इस तरह की सीमाओं का सिद्धांत भारतीय सिद्धांतों से मेल नहीं खाता।"