यह K-4 मिसाइल का सबमरीन से किया गया पहला परीक्षण है। इससे पहले K-4 के सभी परीक्षण पानी के अंदर पांटून से अलग-अलग गहराइयों से किए गए थे। यह मिसाइल 2-2.5 टन तक का विस्फोटक अपने साथ ले जा सकती है।
K सीरीज़ की मिसाइलों का विकास भारतीय नौसेना की न्यूक्लियर सबमरीन से लंबी दूरी तक परमाणु हमला करने की क्षमता हासिल करने के लिए किया गया है। K की पहली मिसाइल K-15 या सागरिका से भारतीय नौसेना की पहली न्यूक्लियर सबमरीन INS अरिहंत को लैस किया जा चुका है। सागरिका की मारक क्षमता 750 से 1500 किमी तक है।
K सीरीज़ की मिसाइलें ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाली लंबी दूरी की अग्नि बैलिस्टिक मिसाइल का सबमरीन से मार करने वाला संस्करण है। हालांकि ये अग्नि सीरीज़ की मिसाइलों से ज्यादा हल्की, तेज़ रफ्तार हैं और इन्हें ट्रेक कर पाना ज्यादा मुश्किल है। भारत 5000-6000 किमी तक मार करने वाली K-5 और 6000-8000 किमी तक मार करने वाली K-6 पर भी काम कर रहा है।
भारत ने अपनी दूसरी स्वदेशी लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइलों से लैस न्यूक्लियर सबमरीन (SSBN) INS अरिघात को 29 अगस्त को नौसेना में शामिल किया है। गुरुवार को विशाखापट्टनम में रक्षामंत्री और नौसेनाध्यक्ष की मौजूदगी में इसे नौसेना में शामिल किया। इस क्लास की पहली सबमरीन INS अरिहंत है जिसे अगस्त 2016 में नौसेना में शामिल किया गया था।
इस क्लास की अगली सबमरीन अरिदमन के अगले साल की शुरुआत में नौसेना में शामिल होने की संभावना है। INS अरिघात को 83 मैगावॉट के न्यूक्लियर रिएक्टर से चलाया जाता है। 112 मीटर लंबी ये सबमरीन समुद्र की सतह पर 12-14 नॉटिकल मील और सतह के अंदर 44 नॉटिकल मील की रफ्तार से चल सकती है। 6000 टन वज़नी इस सबमरीन में 3500 किमी तक मार करने वाली 4 K-4 मिसाइलें लगाई जा सकती हैं।