"पातोक" के तहत 800 से अधिक रूसी सैनिकों को छोटे-छोटे समूहों में पाइप के जरिए दुश्मन के पीछे भेजा गया, इस तरह के युद्धाभ्यास की अपेक्षा दुश्मन नहीं करते थे, इसलिए उन्होंने पीछे हटना शुरू कर दिया।
ऑपरेशन की तैयारी 3 सप्ताह तक चली। सबसे पहले पाइप से गैस को बाहर निकालकर ऑक्सीजन अंदर पंप की गई, जिसके बाद सतह पर आने के उपकरण, शौचालय के निर्माण और भोजन और पानी की आपूर्ति पर काम शुरू हुई। सैनिक चार दिनों तक छोटे-छोटे समूहों में पाइप में प्रवेश करते रहे।
इस ऑपरेशन में टोही और आक्रमणकारी ब्रिगेड "वेटरन्स", स्वयंसेवी कोर की आक्रमणकारी ब्रिगेड "वोस्तोक", एयरबोर्न फोर्सेज की 11वीं एयरबोर्न ब्रिगेड, 72वीं मोटराइज्ड राइफल ब्रिगेड की इकाइयों के साथ साथ स्पेशल फोर्स "अखमत" का ग्रुप ऐडा भी शामिल हुआ था।
रूसी सेना लगभग 15 किलोमीटर तक पाइप से गुजरकर इससे बाहर निकलने पर सुदज़ा के पास जमा हुई। जिस पाइप से वे अपना रास्ता बनाते थे, उसका इस्तेमाल यूक्रेन के माध्यम से गैस भेजने के लिए किया जाता था। हालांकि यूक्रेन ने 1 जनवरी, 2025 को इसे रोक दिया।
रूसी सेना ने अपनी उपस्थिति से दुश्मन को आश्चर्यचकित कर यूक्रेनी सेना की रक्षा को तोड़ते हुए यूक्रेनी सैनिकों को नुकसान पहुंचाया। इससे उन्हें पीछे हटना पड़ा, और रूस ने बख्तरबंद वाहनों के साथ अधिक इकाइयों को लड़ाई में शामिल किया।
इस ऑपरेशन के तहत रूसी सेना ने अब तक कुर्स्क क्षेत्र में आठ बस्तियों को मुक्त कराया। कुर्स्क क्षेत्र के कार्यवाहक गवर्नर अलेक्जेंडर खिन्शतेन के अनुसार, “पोटोक” नामक यह ऑपरेशन पहले ही प्रसिद्ध हो चुका है।
इस ऑपरेशन के तहत रूसी सेना ने अब तक कुर्स्क क्षेत्र में आठ बस्तियों को मुक्त कराया। कुर्स्क क्षेत्र के कार्यवाहक गवर्नर अलेक्जेंडर खिन्शतेन के अनुसार, “पोटोक” नामक यह ऑपरेशन पहले ही प्रसिद्ध हो चुका है।