भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ब्रिक्स सदस्यों का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स समूह का विस्तार और नए देशों की इसमें शामिल होने की बढ़ती इच्छा खुद ही इसकी की महत्ता और प्रभाव को दर्शाते हैं।
जयशंकर ने कहा, "वर्ष 2006 में स्थापित ब्रिक्स एक ऐसा मंच है जो अपनी स्थापना के बाद से लगातार प्रगति कर रहा है। यह अपने सदस्य देशों की साझा चिंताओं को दर्शाता है और वैश्विक विचार-विमर्श और नेतृत्व को अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण और समावेशी बनाने का प्रयास करता है।"
साथ ही जयशंकर ने कहा कि ब्रिक्स सदस्य देशों द्वारा समय-समय पर क्षेत्रीय राजनीतिक मुद्दों से संबंधित विचार-विमर्श भी किया गया है जिसमें अफगानिस्तान में शांतिपूर्ण समाधान, गाजा में स्थायी युद्ध विराम, लेबनान की स्थिति, सूडान और हैती में मानवीय संकट, यूक्रेन और उसके आसपास की स्थिति, सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता शामिल है।
उन्होंने कहा, "यह स्वाभाविक है कि समसामयिक मुद्दों पर ब्रिक्स सदस्य देशों का दृष्टिकोण भिन्न होगा, क्योंकि उन देशों के विकास एवं आय का स्तर अलग-अलग है तथा वे अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हैं। उनकी बैठकों और चर्चाओं का उद्देश्य साझा समाधान प्राप्त करना और वैश्विक व्यवस्था को आकार देने के लिए मिलकर काम करना है। उनका साझा सूत्र बहुध्रुवीयता के प्रति प्रतिबद्धता है।"