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इंडियन एयरफोर्स के लिए स्वदेशी जेट तेजस का उत्पादन तेज़ होगा, नाशिक में बनेंगे प्रति वर्ष 10 जेट

भारतीय वायुसेना में लड़ाकू विमानों की कमी को दूर करने के लिए स्वदेशी तेजस जेट के उत्पादन में तेज़ी लाई जा रही है।
Sputnik
रक्षा मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने Sputnik इंडिया को बताया कि नाशिक स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की फैक्टरी में प्रति वर्ष 10 तेजस मार्क 1A स्वदेशी जेट की उत्पादन क्षमता हासिल करने की तैयारी में है।
नाशिक फैक्टरी का पहला जेट अक्टूबर के पहले हफ्ते में परीक्षणों के लिए तैयार हो जाएगा। अभी तेजस मार्क 1A का उत्पादन बेंगलुरू में HAL मुख्यालय की दो एसेंबली लाइन के अलावा नाशिक की एसेंबली लाइन में चल रहा है। इन तीनों की ही क्षमता 8-8 जेट प्रति वर्ष की है।
Sputnik इंडिया पहले समाचार दे चुका है कि अक्टूबर में भारतीय वायुसेना को दो नए तेजस मार्क 1A मिल जाएंगे। इसमें लगी 110 किमी तक हवा से हवा में मार करने वाली अस्त्र मिसाइल का परीक्षण किया जा चुका है।
इसके अलावा 25 किमी तक मार करने वाली ASRAM मिसाइल और कुछ अन्य अस्त्रों का परीक्षण चल रहा है जो इस महीने पूरा हो जाएगा। इस वित्त वर्ष के पूरा होने तक यानि मार्च 2026 तक वायुसेना को कुल 12 तेजस मार्क 1A मिलने की आशा है।
सूत्रों ने बताया कि HAL अगले वर्ष तक प्रतिवर्ष 30 जेट की दर से उत्पादन प्रारंभ करने के लिए तैयार है, इसलिए प्रति वर्ष 20 जेट वायुसेना को सौंपे जाने का लक्ष्य रखा गया है।
अमेरिका से इंजन की आपूर्ति में रुकावट आने से तेजस मार्क 1A के उत्पादन में दो साल की देरी हो चुकी है। भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने HAL को कुल 180 तेजस मार्क 1A बनाने का ऑर्डर दिया है। इन जेट्स के मिलने के बाद भारतीय वायुसेना में तेजस जेट की संख्या सुखोई-30 के बाद सबसे ज्यादा होगी।
भारतीय वायुसेना स्क्वाड्रन की कमी से जूझ रही है और स्वीकृत 42 स्क्वाड्रन के स्थान पर केवल 31 स्क्वाड्रन हैं। इसी महीने MiG-21 की दो स्क्वाड्रन सेवा से बाहर हो जाएंगी और तब भारतीय वायुसेना के पास केवल 29 स्क्वाड्रन होंगी।
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