रक्षा मंत्री ने कहा कि कुछ देश खुलेआम अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करते हैं, वहीं भारत न्यायिक आधार पर पुराने पड़ चुके अंतर्राष्ट्रीय ढांचे में सुधार लाने का पक्षधर है।
भारतीय सेना दिल्ली में 14 से 16 अक्टूबर तक संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सैनिक भेजने वाले देशों के सेनाध्यक्षों का सम्मेलन कर रही है जिसका मंगलवार को उद्घाटन हुआ। इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में प्रमुख भूमिका निभाने वाले 32 देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल हो रहे हैं।
रक्षा मंत्री ने आज के समय में शांति सैनिकों के सामने आने वाली चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा कि उन्हें गैर परंपरागत युद्ध के मैदानों, आतंकवाद और नाज़ुक राजनीतिक हालात में काम करने के साथ-साथ मानवीय त्रासदी, महामारी, प्राकृतिक आपदाओं, दुष्प्रचार अभियानों का भी सामना करना पड़ता है।
राजनाथ सिंह ने तकनीकी दृष्टि से समर्थ देशों से आह्वान किया कि वे शांति अभियानों में अपने सैनिक, संसाधन, तकनीक और विशेषज्ञता से सहायता दें। संयुक्त राष्ट्र संघ के सामने आए भरोसे के संकट का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अब एक संशोधित बहुलतावाद की आवश्यकता है जो वास्तविकता दिखाएं, सभी की बात सुनी जाए, सभी संकटों का सामना किया जाए और मानव कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
भारत अब तक 50 से अधिक संयुक्त राष्ट्र अभियानों में अपने 2,90,000 कर्मचारी भेज चुका है। 1961 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान में भारतीय सेना के कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया को मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सैनिक सम्मान परमवीर चक्र प्रदान किया गया है।
इन शांति अभियानों में अब तक 160 भारतीय शांति सैनिक मारे गए हैं। शांति अभियानों में सैनिक सहयोग देने वाला भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है और इस समय 7860 भारतीय शांति सैनिक संयुक्त राष्ट्र के 10 शांति मिशनों में काम कर रहे हैं। ये शांति सैनिक अफ्रीका के युद्धग्रस्त क्षेत्रों के अलावा लेबनान, गोलन हाइट्स जैसी जगहों पर भी तैनात हैं
भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में भारत के सहयोग की चर्चा करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अभियानों के लिए भारत लगातार कुशल अभियान, बेहतर तकनीक और क्षमता बढ़ाने में काम करता रहेगा। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में नवाचार, सबको साथ लेकर चलने और साथ काम करने की आवश्यकता है।