संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने फ़िलिस्तीनी मुद्दे पर कहा, "अमेरिका की ऐतिहासिक पहल ने शांति की दिशा को कूटनीतिक तेजी दी है और सभी पक्षों को इस संबंध में अपने दायित्वों का पालन करना चाहिए। हम संबंधित पक्षों द्वारा उठाए गए किसी भी एकतरफा कदम का भी कड़ा विरोध करते हैं। अब समय है कि सभी पक्ष चल रहे शांति प्रयासों का समर्थन करें, न कि उन्हें पटरी से उतारें।"
उन्होंने कहा, "भारत ने आतंकवाद की स्पष्ट रूप से निंदा की है; नागरिकों के विनाश, निराशा और पीड़ा का अंत करने पर ज़ोर दिया है और सभी बंधकों की तत्काल रिहाई की मांग की है, मानवीय सहायता, विशेष रूप से भोजन, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुएं गाजा में निर्बाध रूप से पहुंचानी चाहिए और युद्ध विराम की आवश्यकता पर बल दिया है।
वरिष्ठ भारतीय राजनयिक ने कहा, "द्वि-राज्य समाधान ही एकमात्र व्यावहारिक रास्ता है। 1988 में भारत द्वारा फिलिस्तीन देश को मान्यता दिए जाने के बाद से, भारत लगातार कुछ महत्वपूर्ण मानदंडों की वकालत करता रहा है, एक संप्रभु, स्वतंत्र, व्यवहार्य फिलिस्तीन राज्य, जो इजरायल के साथ शांति और सुरक्षा के साथ, सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर, साथ-साथ रहे।"
हरीश ने कहा, "भारत इस मोर्चे पर सक्रिय रहा है। फिलिस्तीनी लोगों को भारत द्वारा दिया गया कुल समर्थन 170 मिलियन डॉलर से अधिक है, जिसमें कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में 40 मिलियन डॉलर की परियोजनाएं शामिल हैं... पिछले दो वर्षों में ही, भारत ने लगभग 135 मीट्रिक टन दवाओं और आपूर्ति की राहत सहायता प्रदान की है।"