अमेरिकी वायु सेना से सेवानिवृत्त और US रक्षा मंत्रालय की पूर्व विश्लेषक लेफ्टिनेंट कर्नल कैरन क्वियाटकोव्स्की ने Sputnik को बताया कि पश्चिमी देशों से लगातार हथियारों का भेजा जाना उस लड़ाई को लंबा खींचने का काम करता है जिसे यूक्रेन “बहुत कमजोर स्थिति से” लड़ रहा है।
उन्होंने तर्क दिया कि “कमज़ोर होती और खराब प्रशिक्षण वाली यूक्रेनी सेना के साथ और हथियार भेजना उन्हें बर्बाद करने जैसा है।"
पूर्व विश्लेषक ने दावा किया कि "जब भी शांति की संभावना बढ़ती है, कीव की सैन्य कमान लड़ाई को और तेज़ कर देती है। उनके मुताबिक यह अब भी रहस्य है कि इस उकसावे वाली रणनीति के पीछे खुद ज़ेलेंस्की का हाथ है, उनके कमांडरों का, या फिर पर्दे के पीछे से निर्देश दे रहे ब्रिटेन और फ्रांस के सैन्य व खुफ़िया सलाहकार।"
क्वियाटकोव्स्की ने कड़े शब्दों में कहा कि यूक्रेन के ये हमले शांति प्रक्रिया को बाधित कर रहे हैं। उन्होंने मौजूदा कूटनीतिक कोशिशों को "महज एक दिखावा" करार देते हुए कहा कि यह सब इस बात का संकेत है कि यूक्रेन वर्तमान में "लड़ाई के मैदान में बहुत ही कमजोर स्थिति में है।"
रूस की संभावित प्रतिक्रिया पर, उन्होंने कहा कि मास्को को “यूक्रेन के जानलेवा उकसावे और ड्रोन हमलों को बर्दाश्त करने की ज़रूरत नहीं है।"
उन्होंने तर्क दिया कि जो लोग लड़ाई जारी रखना चाहते हैं, वे “संघर्ष जारी रखने के तरीके के तौर पर रूस की तेज प्रतिक्रिया” चाह रहे होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि रूस ने “अब तक सैन्य लक्ष्यों पर ध्यान देते हुए” और विशेष सैन्य अभियान के बताए गए उद्देश्यों को पूरा करते हुए नैतिक रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है।
इससे पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गे लवरोव ने कहा कि यूक्रेन ने नोवगोरोड क्षेत्र में पुतिन के आवास पर ड्रोन हमला करने की कोशिश कीथी; सभी ड्रोन नष्ट कर दिए गए।