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पीएम नरेंद्र मोदी के 2022 में सब से अच्छे उद्धरण
पीएम नरेंद्र मोदी के 2022 में सब से अच्छे उद्धरण
Sputnik भारत
दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के नेता होने के नाते भारतीय प्रधान मंत्रि देश के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हैं। वे अन्य देशों, विशेष रूप से विकासशील दुनिया से सकारात्मक संबंधों को ज़्यादा प्राथमिकता प्रदान करते हैं।
2022-12-13T11:54+0530
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नरेंद्र मोदी जो कहते हैं, वह आम तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करता है। और उस पर पूरी दुनिया में अक्सर चर्चाएँ की जाती हैं।भविष्य में भारत के विकास, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और अन्य देशों से रिश्ते ज़्यादा मजबूत करने को लेकर प्रधान मंत्री के इस वर्ष के सब से अच्छे उद्धरणों की सूची देखें।भविष्य में भारत के विकास के बारे में15 अगस्त को भारत स्वतंत्रता दिवस मनाता है। इस वर्ष जनता को संबोधित करते हुए, पीएम ने युवाओं से 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का आह्वान किया:“मेरे देश के नौजवानों जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा। तब आप 50-55 के हुए होंगे, मतलब आपके जीवन का ये स्वर्णिम काल, आपकी उम्र के ये 25-30 साल भारत के सपनों को पूरा करने का काल है। मेरा देश विकसित देश होगा।“इसके अलावा, 76 वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान भाषण देते हुए पीएम मोदी ने बताया कि भारत को विकसित देश बनने की इन योजनाओं को पूरा करने के लिए क्या आवश्यक है:“आने वाले 25 वर्षों के लिए हमें पंच प्रण पर फोकस करना होगा। पहला प्रण है कि देश बड़े संकल्प लेकर चले। दूसरा प्रण है हमें अपने मन और आदतों केभीतर गुलामी का कोई अंश बचने नहीं देना है। तीसरी प्रण यह कि हमें अपनी विरासत पर गर्व हो। चौथा प्रण एकता और एकजुटता का हो। पांचवां प्रण नागरिकों का कर्तव्य है, जिसमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी शामिल हैं।“भारत के तक्नीकि विकास के बारे में16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसके दौरान प्रधान मंत्री ने भारत के आर्थिक और तकनीकी विकास की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित किया:“हम हर क्षेत्र में नवोन्मेष को समर्थन कर रहे हैं। आज भारत में 70,000 से अधिक स्टार्टअप हैं। इनमें से 100 यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाले) हैं। भारत जन-केंद्रित विकास मॉडल में प्रौद्योगिकी के समुचित उपयोग पर काफी ध्यान दे रहा है।“प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम "मन की बात" के दौरान राष्ट्र को भाषण देते हैं। 27 नवंबर को भारतीय उपलब्धियों के बारे में बताते हुए उन्होंने भारत के निजी क्षेत्र द्वारा बनाए गए पहले विक्रम-एस रॉकेट के लॉन्च की सराहना की:“18 नवंबर को, भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की जब एक रॉकेट ‘विक्रम एस’ को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था । यह भारत में प्राइवेट स्पेस सेक्टर के लिए एक नए युग के उदय का प्रतीक है। यह देश में आत्मविश्वास से भरे एक नए युग का आरंभ है।“भारत की जी20 अध्यक्षता के बारे में27 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बारे में बताते हुए, प्रधान मंत्री ने जी 20 अध्यक्षता पर भी अपनी राय साझा की थी, जिसे भारत ने औपचारिक रूप से 1 दिसंबर को ग्रहण किया।“देश भर के लोगों ने मुझे लिखा है कि वे कितने गौरवान्वित हैं कि भारत को G20 की अध्यक्षता मिली है। जी 20 की अध्यक्षता हमारे लिए एक अवसर है। हमें वैश्विक विकास पर ध्यान देना चाहिए । शांति हो, एकता हो या संयुक्त विकास, इन चीजों से जुड़ी चुनौतियों का समाधान भारत के पास है। हमने ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ की थीम दी है।दूसरे देशों से भारत के संबंधों के बारे मेंपीएम मोदी ने 19 अक्टूबर को डिफेंस एक्सपो 2022 के उद्घाटन समारोह में भाषण भी दिया। उन्होंने उस तथ्य पर ज़ोर देकर कहा कि दुनिया भारत की सराहना और सम्मान करती है:“वैश्वीकरण के युग में मर्चेंट नेवी की भूमिका का भी विस्तार हुआ है। दुनिया की भारत से उम्मीदें बढ़ी हैं, और मैं विश्व समुदाय को विश्वास दिलाता हूं कि भारत उन्हें पूरा करेगा । इसलिए यह डिफेंस एक्सपो भारत के प्रति वैश्विक भरोसे का भी प्रतीक है ।"16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, पीएम नरेंद्र मोदी ने एससीओ देशों से भारतीय संबंधों पर भी अपनी राय व्यक्त की:“भारत एससीओ सदस्य देशों के बीच अधिक सहयोग और आपसी विश्वास को बढ़ाने का समर्थन करता है। एससीओ को हमारे क्षेत्र में विश्वस्त और डाइवर्सिफाइड सप्लाई चेन विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए बेहतर कनेक्टिविटी की आवश्यकता तो होगी ही, साथ ही यह भी महत्वपूर्ण होगा कि हम सभी एक दूसरे को ट्रांजिट का पूरा अधिकार दें।“भारत-रूस के रिश्तों के बारे में16 सितंबर 2022 को समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक बैठक की, जिसमें उन्होंने भारत-रूस की दोस्ती पर जोर दिया:"हम ऐसे मित्र हैं जो कई दशकों से साथ रहे हैं। हमें उम्मीद है कि दोनों के रिश्ते आने वाले वक्त में और मज़बूत होंगे।“7 सितंबर को रूस के व्लादिवोस्तोक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऑनलाइन संबोधन करते हुए पीएम मोदी ने बताया कि भारत और रूस किस तरह से अपना सहयोग विकसित करना चाहते हैं:“भारत आर्कटिक विषयों पर रूस के साथ अपनी भागीदारी को मजबूत करने के लिए इच्छुक है। ऊर्जा के क्षेत्र में भी सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। ऊर्जा के साथ-साथ, भारत ने फार्मा और डायमंड के क्षेत्रों में भी रसियन फॉर ईस्ट में महत्वपूर्ण निवेश किए हैं।“यूक्रेन संकट के बारे मेंयूक्रेन संकट पर भारत की राय संतुलित और तटस्थ भी रही है । भारत संकट के पक्षों से बातचीत की अपील करता है, लेकिन इसकी राय यह है कि दिल्ली वार्ता में हिस्सा नहीं ले सकती, क्योंकि यह संकट का पक्ष नहीं है।2022 में पीएम मोदी ने यूक्रेन संकट पर टिप्पणी की थी, उदाहरण के लिए, रूस के व्लादिवोस्तोक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम को संबोधित करते हुए उन्होंने इस स्थिति पर अपनी राय जताई:“यूक्रेन संकट की शुरुआत से ही हमने कूटनीतिक रणनीति और संवाद का मार्ग अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। हम इस संकट को समाप्त करने के लिए सभी शांतिपूर्ण प्रयासों का समर्थन करते हैं।“
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पीएम नरेंद्र मोदी के 2022 में सब से अच्छे उद्धरण
11:54 13.12.2022 (अपडेटेड: 10:53 15.12.2022) दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के नेता होने के नाते भारतीय प्रधान मंत्रि देश के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हैं। इसके साथ वे अन्य देशों, विशेष रूप से विकासशील दुनिया यानी 'ग्लोबल साउथ' से सकारात्मक संबंधों को ज़्यादा प्राथमिकता प्रदान करते हैं।
नरेंद्र मोदी जो कहते हैं, वह आम तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करता है। और उस पर पूरी दुनिया में अक्सर चर्चाएँ की जाती हैं।
भविष्य में भारत के विकास, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और अन्य देशों से रिश्ते ज़्यादा मजबूत करने को लेकर प्रधान मंत्री के इस वर्ष के सब से अच्छे उद्धरणों की सूची देखें।
भविष्य में भारत के विकास के बारे में
15 अगस्त को भारत स्वतंत्रता दिवस मनाता है। इस वर्ष जनता को संबोधित करते हुए, पीएम ने युवाओं से 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का आह्वान किया:
“मेरे देश के नौजवानों जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा। तब आप 50-55 के हुए होंगे, मतलब आपके जीवन का ये स्वर्णिम काल, आपकी उम्र के ये 25-30 साल भारत के सपनों को पूरा करने का काल है। मेरा देश विकसित देश होगा।“
इसके अलावा, 76 वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान भाषण देते हुए पीएम मोदी ने बताया कि भारत को विकसित देश बनने की इन योजनाओं को पूरा करने के लिए क्या आवश्यक है:
“आने वाले 25 वर्षों के लिए हमें पंच प्रण पर फोकस करना होगा। पहला प्रण है कि देश बड़े संकल्प लेकर चले। दूसरा प्रण है हमें अपने मन और आदतों केभीतर गुलामी का कोई अंश बचने नहीं देना है। तीसरी प्रण यह कि हमें अपनी विरासत पर गर्व हो। चौथा प्रण एकता और एकजुटता का हो। पांचवां प्रण नागरिकों का कर्तव्य है, जिसमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी शामिल हैं।“
भारत के तक्नीकि विकास के बारे में
16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसके दौरान प्रधान मंत्री ने भारत के आर्थिक और तकनीकी विकास की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित किया:
“हम हर क्षेत्र में नवोन्मेष को समर्थन कर रहे हैं। आज भारत में 70,000 से अधिक स्टार्टअप हैं। इनमें से 100 यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाले) हैं। भारत जन-केंद्रित विकास मॉडल में प्रौद्योगिकी के समुचित उपयोग पर काफी ध्यान दे रहा है।“
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम "मन की बात" के दौरान राष्ट्र को भाषण देते हैं। 27 नवंबर को भारतीय उपलब्धियों के बारे में बताते हुए उन्होंने भारत के निजी क्षेत्र द्वारा बनाए गए पहले विक्रम-एस रॉकेट के लॉन्च की सराहना की:
“18 नवंबर को, भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की जब एक रॉकेट ‘विक्रम एस’ को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था । यह भारत में प्राइवेट स्पेस सेक्टर के लिए एक नए युग के उदय का प्रतीक है। यह देश में आत्मविश्वास से भरे एक नए युग का आरंभ है।“
भारत की जी20 अध्यक्षता के बारे में
27 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बारे में बताते हुए, प्रधान मंत्री ने जी 20 अध्यक्षता पर भी अपनी राय साझा की थी, जिसे भारत ने औपचारिक रूप से 1 दिसंबर को ग्रहण किया।
“देश भर के लोगों ने मुझे लिखा है कि वे कितने गौरवान्वित हैं कि भारत को G20 की अध्यक्षता मिली है। जी 20 की अध्यक्षता हमारे लिए एक अवसर है। हमें वैश्विक विकास पर ध्यान देना चाहिए । शांति हो, एकता हो या संयुक्त विकास, इन चीजों से जुड़ी चुनौतियों का समाधान भारत के पास है। हमने ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ की थीम दी है।
दूसरे देशों से भारत के संबंधों के बारे में
पीएम मोदी ने 19 अक्टूबर को डिफेंस एक्सपो 2022 के उद्घाटन समारोह में भाषण भी दिया। उन्होंने उस तथ्य पर ज़ोर देकर कहा कि दुनिया भारत की सराहना और सम्मान करती है:
“वैश्वीकरण के युग में मर्चेंट नेवी की भूमिका का भी विस्तार हुआ है। दुनिया की भारत से उम्मीदें बढ़ी हैं, और मैं विश्व समुदाय को विश्वास दिलाता हूं कि भारत उन्हें पूरा करेगा । इसलिए यह डिफेंस एक्सपो भारत के प्रति वैश्विक भरोसे का भी प्रतीक है ।"
16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, पीएम नरेंद्र मोदी ने एससीओ देशों से भारतीय संबंधों पर भी अपनी राय व्यक्त की:
“भारत एससीओ सदस्य देशों के बीच अधिक सहयोग और आपसी विश्वास को बढ़ाने का समर्थन करता है। एससीओ को हमारे क्षेत्र में विश्वस्त और डाइवर्सिफाइड सप्लाई चेन विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए बेहतर कनेक्टिविटी की आवश्यकता तो होगी ही, साथ ही यह भी महत्वपूर्ण होगा कि हम सभी एक दूसरे को ट्रांजिट का पूरा अधिकार दें।“
भारत-रूस के रिश्तों के बारे में
16 सितंबर 2022 को समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक बैठक की, जिसमें उन्होंने भारत-रूस की दोस्ती पर जोर दिया:
"हम ऐसे मित्र हैं जो कई दशकों से साथ रहे हैं। हमें उम्मीद है कि दोनों के रिश्ते आने वाले वक्त में और मज़बूत होंगे।“
7 सितंबर को रूस के व्लादिवोस्तोक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऑनलाइन संबोधन करते हुए पीएम मोदी ने बताया कि भारत और रूस किस तरह से अपना सहयोग विकसित करना चाहते हैं:
“भारत आर्कटिक विषयों पर रूस के साथ अपनी भागीदारी को मजबूत करने के लिए इच्छुक है। ऊर्जा के क्षेत्र में भी सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। ऊर्जा के साथ-साथ, भारत ने फार्मा और डायमंड के क्षेत्रों में भी रसियन फॉर ईस्ट में महत्वपूर्ण निवेश किए हैं।“
यूक्रेन संकट पर भारत की राय संतुलित और तटस्थ भी रही है । भारत संकट के पक्षों से बातचीत की अपील करता है, लेकिन इसकी राय यह है कि दिल्ली वार्ता में हिस्सा नहीं ले सकती, क्योंकि यह संकट का पक्ष नहीं है।
2022 में पीएम मोदी ने यूक्रेन संकट पर टिप्पणी की थी, उदाहरण के लिए, रूस के व्लादिवोस्तोक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम को संबोधित करते हुए उन्होंने इस स्थिति पर अपनी राय जताई:
“यूक्रेन संकट की शुरुआत से ही हमने कूटनीतिक रणनीति और संवाद का मार्ग अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। हम इस संकट को समाप्त करने के लिए सभी शांतिपूर्ण प्रयासों का समर्थन करते हैं।“