https://hindi.sputniknews.in/20221221/aphagaanistaan-mein-paakistaan-kee-rananeetik-gaharaee-neeti-ko-lekar-bhaarat-kee-or-se-alochna-179257.html
अफगानिस्तान में पाकिस्तान की 'रणनीतिक गहराई' नीति को लेकर भारत की ओर से आलोचना
अफगानिस्तान में पाकिस्तान की 'रणनीतिक गहराई' नीति को लेकर भारत की ओर से आलोचना
Sputnik भारत
भारत के वरिष्ठ राजनयिक संजय वर्मा ने कहा कि वे दिन जब अन्य देशों ने अपनी "रणनीतिक गहराई" के लिए अफगानिस्तान का इस्तेमाल किया था, अब वे खत्म हो गये हैं।
2022-12-21T14:44+0530
2022-12-21T14:44+0530
2022-12-21T14:44+0530
विश्व
आतंकवादी
पाकिस्तान
भारत
कश्मीर
अफ़ग़ानिस्तान
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/15/177196_0:0:1280:721_1920x0_80_0_0_8aef49c5abec9ea730466601e88432de.jpg
भारत के वरिष्ठ राजनयिक संजय वर्मा ने भारत पर संभावित रणनीतिक प्रभाव डालने के लिए अपने पड़ोसी को एक बफर जोन के रूप में मानने की पाकिस्तान की नीति की आलोचना करते हुए यह भी कहा कि वे दिन जब अन्य देशों ने अपनी "रणनीतिक गहराई" के लिए अफगानिस्तान का इस्तेमाल किया था, अब वे खत्म हो गये हैं। अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए, वर्मा ने कहा कि इस तरह की नीति से आज तक अफगानिस्तान में केवल "दुख" पहुंचा है। भारतीय राजनयिक ने इस बात को रेखांकित किया कि अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता को सुनिश्चित करने में उनके देश का "सीधा हित" है, इसके "समीपस्थ पड़ोसी" होने के नाते (अफगानिस्तान की सीमा पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर से लगती है, जिसे भारतीय मान्यता प्राप्त नहीं है)।अफगानिस्तान को लेकर भारत की प्राथमिकताएं क्या हैं?वर्मा के अनुसार नई दिल्ली अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति के बारे में "गहराई से चिंतित" है, क्योंकि वहां के लोगों को बाइडेन प्रशासन द्वारा अमेरिका स्थित वित्तीय संस्थानों में देश को अपने संघीय कोष से वंचित करने के बाद भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ा है। पिछले अगस्त से, भारत ने पड़ोसी अफगानिस्तान को लगभग 40,000 मीट्रिक टन गेहूं और 45 टन दवाओं की आपूर्ति की है, जो मानवीय एजेंसियों के माध्यम से वितरित की गई हैं।वर्मा ने रेखांकित किया कि भारत ने तालिबान से लगातार आग्रह किया है कि वह अफगानिस्तान की धरती का "आश्रय, प्रशिक्षण, योजना या आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण" के लिए इस्तेमाल न करे। तालिबान ने फरवरी 2020 में दोहा में ट्रम्प प्रशासन के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करते समय यह सुनिश्चित करने की कसम खाई थी। विशेष रूप से, वर्मा ने लश्कर-ए-तैयबा** (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद** (जेईएम) की गतिविधियों में बढ़ोतरी पर खास नज़र डाला, क्योंकि ये दोनों आतंकवादी संगठन हाल के वर्षों में भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों में शामिल थे।*संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के तहत**रूस में प्रतिबंधित
पाकिस्तान
भारत
कश्मीर
अफ़ग़ानिस्तान
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
2022
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
खबरें
hi_IN
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/15/177196_143:0:1280:853_1920x0_80_0_0_8b936aca6ad5cb56a572db1e32a19d2a.jpgSputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, काबुल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, अफगानिस्तान पर भारत का दृष्टिकोण, अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति, समावेशी और प्रतिनिधि सरकार
अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, काबुल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, अफगानिस्तान पर भारत का दृष्टिकोण, अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति, समावेशी और प्रतिनिधि सरकार
अफगानिस्तान में पाकिस्तान की 'रणनीतिक गहराई' नीति को लेकर भारत की ओर से आलोचना
अपने पड़ोसी देश के प्रति पाकिस्तान के दृष्टिकोण के आलोचकों ने इस्लामाबाद पर रणनीतिक लाभ के लिए अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। वे इसकी ओर इशारा करते हैं कि पिछले अगस्त में काबुल में तालिबान* के सत्ता हासिल करने से पहले भी पाकिस्तान इसका समर्थन कर रहा था।
भारत के वरिष्ठ राजनयिक संजय वर्मा ने भारत पर संभावित रणनीतिक प्रभाव डालने के लिए अपने पड़ोसी को एक बफर जोन के रूप में मानने की पाकिस्तान की नीति की आलोचना करते हुए यह भी कहा कि वे दिन जब अन्य देशों ने अपनी "रणनीतिक गहराई" के लिए अफगानिस्तान का इस्तेमाल किया था, अब वे खत्म हो गये हैं। अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए, वर्मा ने कहा कि इस तरह की नीति से आज तक अफगानिस्तान में केवल "दुख" पहुंचा है। भारतीय राजनयिक ने इस बात को रेखांकित किया कि अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता को सुनिश्चित करने में उनके देश का "सीधा हित" है, इसके "समीपस्थ पड़ोसी" होने के नाते (अफगानिस्तान की सीमा पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर से लगती है, जिसे भारतीय मान्यता प्राप्त नहीं है)।
वर्मा का कहना है कि अफगानिस्तान पर भारत का दृष्टिकोण हमेशा "हमारी ऐतिहासिक मित्रता और अफगानिस्तान के लोगों के साथ हमारे विशेष संबंधों" पर आधारित रहा है।
अफगानिस्तान को लेकर भारत की प्राथमिकताएं क्या हैं?
वर्मा के अनुसार नई दिल्ली अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति के बारे में "गहराई से चिंतित" है, क्योंकि वहां के लोगों को बाइडेन प्रशासन द्वारा अमेरिका स्थित वित्तीय संस्थानों में देश को अपने संघीय कोष से वंचित करने के बाद भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ा है। पिछले अगस्त से, भारत ने पड़ोसी अफगानिस्तान को लगभग 40,000 मीट्रिक टन गेहूं और 45 टन दवाओं की आपूर्ति की है, जो मानवीय एजेंसियों के माध्यम से वितरित की गई हैं।
मानवतावादी राहत के अलावा, अफगानिस्तान को लेकर भारत की अन्य प्राथमिकताओं में आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के साथ-साथ देश में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए सम्मान, "वास्तव में समावेशी और प्रतिनिधि सरकार" का गठन करना शामिल है।
वर्मा ने रेखांकित किया कि भारत ने तालिबान से लगातार आग्रह किया है कि वह अफगानिस्तान की धरती का "आश्रय, प्रशिक्षण, योजना या आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण" के लिए इस्तेमाल न करे। तालिबान ने फरवरी 2020 में दोहा में ट्रम्प प्रशासन के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करते समय यह सुनिश्चित करने की कसम खाई थी। विशेष रूप से, वर्मा ने लश्कर-ए-तैयबा** (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद** (जेईएम) की गतिविधियों में बढ़ोतरी पर खास नज़र डाला, क्योंकि ये दोनों आतंकवादी संगठन हाल के वर्षों में भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों में शामिल थे।
“अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता महत्वपूर्ण अनिवार्यताएं हैं जिनको हमें सामूहिक रूप से सुनिश्चित करने के प्रयास करने की आवश्यकता है। भारत इसे जीवन में लाने के लिए अपनी भूमिका निभाता रहेगा। हमारे प्रयासों के आधार में अफगान लोगों के हित आज और हमेशा बने रहेंगे," भारतीय राजनयिक ने निष्कर्ष निकाला।
*संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के तहत