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'सीमित खुशी': इस साल पाकिस्तानी ईसाई कैसे मना रहे हैं क्रिसमस?
'सीमित खुशी': इस साल पाकिस्तानी ईसाई कैसे मना रहे हैं क्रिसमस?
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पाकिस्तान में, ईसाई समुदाय लड़ाकों के खतरों और आर्थिक संकट के बावजूद इस खुशी से भरे समारोह को मनाने के लिए तैयार है। पाकिस्तान मुख्य रूप से मुस्लिम देश है, लेकिन ईसाई और हिंदू सबसे बड़े अल्पसंख्यक समूह हैं।
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पाकिस्तान मुख्य रूप से मुस्लिम देश है, लेकिन ईसाई और हिंदू अल्पसंख्यक समूह के तौर पे वहाँ रहते हैं, और प्रत्येक समूह का हिस्सा लगभग 1.6 प्रतिशत आबादी है। पाकिस्तान में लगभग 25 लाख ईसाई रहते हैं, हालांकि रिपोर्टों के अनुसार यह संख्या अधिक हो सकती है, क्योंकि गांवों में रहने वाले बहुत ईसाइयों के पास पहचान पत्र नहीं हैं।कराची के दक्षिणी बंदरगाह शहर में बड़ी ईसाई आबादी है, और भी पंजाब प्रांत में लाहौर और फैसलाबाद के शहरों में थोड़ी आबादी है। पंजाब में कई ईसाई गांव भी हैं, और पेशावर शहर में रूढ़िवादी उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में भी बड़ी ईसाई आबादी है।लाहौर के कुछ सबसे बड़े चर्चों में रेज़रेक्शन का कैथेड्रल चर्च, सेक्रेड हार्ट कैथेड्रल, सेंट एंड्रयू चर्च, सेंट एंथोनी चर्च और सेंट जोसेफ चर्च शामिल हैं।कराची में सबसे प्रसिद्ध चर्च में से होली ट्रिनिटी कैथेड्रल, अवर लेडी ऑफ फातिमा चर्च, सेक्रेड हार्ट चर्च और सेंट एंड्रयूज चर्च हैं, जिसको स्कॉच चर्च भी कहा जाता है।हालाँकि, समाज में इस्लामीकरण के चलते कई वर्षों से पाकिस्तान में सहिष्णुता में गिरावट हो रही है। भारतीय उपमहाद्वीप के विभाजन से पहले इन शहरों में अल्पसंख्यक समुदाय, आबादी के 15 प्रतिशत हिस्सा थे; अब वे 4 प्रतिशत से भी कम रह गए हैं।25 दिसंबर देश में सार्वजनिक अवकाश होता है लेकिन यहाँ यह ईसा मसीह की याद में नहीं, यह दिन 'पिता' और राष्ट्र के संस्थापक कायद-ए-आजम को समर्पित है।आर्थिक संकट के बीच उत्सवपाकिस्तान में ईसाई समुदाय क्रिसमस का उत्सव मनाता है। परंपराएं हर शहर में अलग अलग होती हैं लेकिन क्रिसमस की पूर्व संध्या और क्रिसमस दिवस पर चर्च सर्विसेज़ आयोजित की जाती हैं, जिनको 'बरहा दिन' या बड़ा दिन कहा जाता है।Sputnik के साथ बातचीत में, पाकिस्तान के ग्रेस एसेंबली में पादरी और फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज के प्रोफेसर रेवरेंड डॉ. अल्फ्रेड याकूब ने यह जानकारी साझा किया कि पाकिस्तानी ईसाई इस साल क्रिसमस कैसे मनाएंगे।उन्होंने आगे कहा कि एक पुरानी परंपरा के अनुसार ईसाई केक बांटते हैं, एक-दूसरे के घरों में जाते हैं और बार्बेक्यू पार्टियों को आयोजीत करते हैं। "24 दिसंबर की रात को लोग चर्च जाते हैं क्योंकि हम क्रिसमस की पूर्व संध्या मनाते हैं और बाद में सुबह को सर्विस होती है, जिसके बाद लोग अपने प्रीय लोगों के साथ मिलने जाते हैं," उन्होंने कहा।ईसाई चमकीले कपड़े पहनकर एक दूसरे से मिलते, पार्कों में जाते और खुब आनंद लेते हुए दिन बिताते हैं। हालाँकि, पाकिस्तान में चल रहे आर्थिक संकट के कारण, इस वर्ष समुदाय को कुछ समस्याएं मिली हैं।पाकिस्तान भर में मुद्रास्फीति बढ़ रही हे, और गैस की कमी है, जिसके कारण लोगों के लिए विशेष अवसरों के मौके पर दावत तैयार करना मुश्किल है।पिछले महीने ही पाकिस्तान के पेट्रोलियम डिविजन ने एक संसदीय पैनल को बताया था कि देश में गैस की कमी के कारण सर्दियों के दौरान घंटों तक गैस का इस्तेमाल बंद किया जाएगा। वर्तमान में, गैस लोड प्रबंधन को संकट के उचित समाधान के रूप में देखा जा रहा है।कराची में यह रिपोर्ट किया गया कि गैस दिन में तीन बार दी जाएगी और 16 घंटे तक गैस नहीं मिलेगी। केंद्र सरकार ने तीन घंटे सुबह को, दो घंटे दोपहर और तीन घंटे शाम को गैस की आपूर्ति करने की योजना बनाई है।गैस और बिजली में कटौती के अलावा देश में सुरक्षा की स्थिति इस क्रिसमस को मनाने पर बाधा डाल रही है।अल्पसंख्यक होने के जोखिमदेश में मिलटन्सी के उदय के बारे में और इससे ईसाइयों को खतरे के बारे में बात करते हुए, रेवरेंड डॉ. अल्फ्रेड याकूब ने कहा, "हां, खतरा है और हम हैरान हैं कि यह अचानक खतरा क्यों और कहां से बढ़ गया है। लेकिन जो भी खतरा क्यों न हो, फिर भी लोग चर्च जाना बंद नहीं करेंगे।"उन्होंने बताया कि इसके स्थान पर लोग चर्चों के आस-पास सुरक्षा बढ़ाते रहते हैं, सरकार गार्ड और पुलिस को वहाँ भेजती है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है, इसलिए चर्च जाने वाले लोग स्वयं सुरक्षा की तैयारी करते हैं।डॉ. आयरा ने भी उनकी चिंताओं को साझा किया, "पिछले एक साल के दौरान बम धमाकों की बार-बार आ रही खबरों की स्थिति में सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है।"पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों में वृद्धि हुई हे, जिनके कारण इस वर्ष 450 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर सुरक्षा बल के कर्मचारी थे। हालांकि, अधिकारी हिंसा को "आतंकवाद की छिटपुट घटनाएं" समझते हैं।इस्लामाबाद ने बहुत बार उग्रवाद में पुनरुत्थान के लिए संघर्षग्रस्त अफगानिस्तान पर कब्जा किए तालिबान* को जिम्मेदार ठहराया है।मानवाधिकार समूहों के अनुसार, पाकिस्तान के ईश-निंदा कानूनों का इस्तेमाल अक्सर ईसाई और अहमदी जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के सदस्यों के साथ-साथ शिया जैसे अल्पसंख्यक मुसलमान संप्रदायों के खिलाफ किया जाता हे। यह अल्पसंख्यकों के लिए भी जोखिम बढ़ाता है और उन्हें सामाजिक विवादों में आसानी से निशाना बनाता है।सभी को शुभ कामनाएंऐसी कठिनाइयों के बावजूद, देश भर के ईसाइयों को राजनीतिक दलों और विदेशी दूतावासों से शुभकामनाएं मिल रही हैं। विशेष रूप से कराची, इस्लामाबाद और लाहौर जैसे शहरों में बहुत कंपनियों और कार्यालयों ने भी अपने ईसाई कर्मचारियों के लिए समारोह आयोजित किया।विभिन्न मंत्रालयों में कई केक काटने के समारोह आयोजित किए गए और इस तरह ईसाई कर्मचारियों को बधाई मिली। इसके अलावा, कई गैर-सरकारी संगठनों ने ईसाई समुदायों के लिए शीतकालीन उपहार वितरण समारोह आयोजित किया।संघीय वित्त मंत्री और सीनेटर मोहम्मद इशाक डार ने वित्त मंत्रालय के ईसाई कर्मचारियों के साथ क्रिसमस केक काटा और पाकिस्तान और दुनिया भर में रहने वाले ईसाई समुदाय को क्रिसमस की शुभकामना दी।इसी तरह पीटीआई प्रमुख और पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान ने लाहौर में अपने घर पर अपनी पार्टी के ईसाई सदस्यों के लिए केक काटने की आयोजना की।* तालिबान आतंकवादी गतिविधियों के कारण संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित है।
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'सीमित खुशी': इस साल पाकिस्तानी ईसाई कैसे मना रहे हैं क्रिसमस?
क्रिसमस एक ऐसा समारोह है जो लोगों को एक साथ लाता है और पाकिस्तान में, ईसाई समुदाय लड़ाकों के खतरों और आर्थिक संकट के बावजूद इस खुशी से भरे समारोह को मनाने के लिए तैयार है। Sputnik ने कुछ प्रमुख पाकिस्तानी ईसाइयों से बात की, जिन्होंने अपने समुदाय को लेकर अपनी राय साझा की।
पाकिस्तान मुख्य रूप से मुस्लिम देश है, लेकिन ईसाई और हिंदू अल्पसंख्यक समूह के तौर पे वहाँ रहते हैं, और प्रत्येक समूह का हिस्सा लगभग 1.6 प्रतिशत आबादी है। पाकिस्तान में लगभग 25 लाख ईसाई रहते हैं, हालांकि रिपोर्टों के अनुसार यह संख्या अधिक हो सकती है, क्योंकि गांवों में रहने वाले बहुत ईसाइयों के पास पहचान पत्र नहीं हैं।
कराची के दक्षिणी बंदरगाह शहर में बड़ी ईसाई आबादी है, और भी पंजाब प्रांत में लाहौर और फैसलाबाद के शहरों में थोड़ी आबादी है। पंजाब में कई ईसाई गांव भी हैं, और पेशावर शहर में रूढ़िवादी उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में भी बड़ी ईसाई आबादी है।
लाहौर के कुछ सबसे बड़े चर्चों में रेज़रेक्शन का कैथेड्रल चर्च, सेक्रेड हार्ट कैथेड्रल, सेंट एंड्रयू चर्च, सेंट एंथोनी चर्च और सेंट जोसेफ चर्च शामिल हैं।
कराची में सबसे प्रसिद्ध चर्च में से होली ट्रिनिटी कैथेड्रल, अवर लेडी ऑफ फातिमा चर्च, सेक्रेड हार्ट चर्च और सेंट एंड्रयूज चर्च हैं, जिसको स्कॉच चर्च भी कहा जाता है।
हालाँकि, समाज में इस्लामीकरण के चलते कई वर्षों से पाकिस्तान में सहिष्णुता में गिरावट हो रही है। भारतीय उपमहाद्वीप के विभाजन से पहले इन शहरों में अल्पसंख्यक समुदाय, आबादी के 15 प्रतिशत हिस्सा थे; अब वे 4 प्रतिशत से भी कम रह गए हैं।
25 दिसंबर देश में सार्वजनिक अवकाश होता है लेकिन यहाँ यह ईसा मसीह की याद में नहीं, यह दिन 'पिता' और राष्ट्र के संस्थापक कायद-ए-आजम को समर्पित है।
पाकिस्तान में ईसाई समुदाय क्रिसमस का उत्सव मनाता है। परंपराएं हर शहर में अलग अलग होती हैं लेकिन क्रिसमस की पूर्व संध्या और क्रिसमस दिवस पर चर्च सर्विसेज़ आयोजित की जाती हैं, जिनको 'बरहा दिन' या बड़ा दिन कहा जाता है।
Sputnik के साथ बातचीत में, पाकिस्तान के ग्रेस एसेंबली में पादरी और फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज के प्रोफेसर रेवरेंड डॉ. अल्फ्रेड याकूब ने यह जानकारी साझा किया कि पाकिस्तानी ईसाई इस साल क्रिसमस कैसे मनाएंगे।
याक़ूब ने कहा, "हम परंपरा के अनुसार चर्च में जाएंगे और अपने घरों को रोशनी और क्रिसमस ट्री से सजाएंगे। आजकल हम पूरे देश में प्लाजा, शॉपिंग मॉल और कैफे में सजाए गए क्रिसमस ट्री को देख सकते हैं और यह बहुत अच्छा है।"
उन्होंने आगे कहा कि एक पुरानी परंपरा के अनुसार ईसाई केक बांटते हैं, एक-दूसरे के घरों में जाते हैं और बार्बेक्यू पार्टियों को आयोजीत करते हैं। "24 दिसंबर की रात को लोग चर्च जाते हैं क्योंकि हम क्रिसमस की पूर्व संध्या मनाते हैं और बाद में सुबह को सर्विस होती है, जिसके बाद लोग अपने प्रीय लोगों के साथ मिलने जाते हैं," उन्होंने कहा।
ईसाई चमकीले कपड़े पहनकर एक दूसरे से मिलते, पार्कों में जाते और खुब आनंद लेते हुए दिन बिताते हैं। हालाँकि, पाकिस्तान में चल रहे आर्थिक संकट के कारण, इस वर्ष समुदाय को कुछ समस्याएं मिली हैं।
Sputnik से बातचीत में फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज यूनिवर्सिटी में असिस्टन्ट प्रोफेसर और पाकिस्तानी ईसाई डॉ. आयरा इंद्रियस पात्रास ने कहा, "मैं चर्च सर्विस में भाग लूंगा, पड़ोसियों के साथ केक और मिठाई साझा करूंगा और रिश्तेदारों से मिलूंगा। रसोई में गैस की अनुपलब्धता के कारण, गाजर का हलवा (गाजर की मिठाई) और खीर (मीठी चावल की पुडींग) जैसा पारंपरिक क्रिसमस भोजन बनाना बेहद मुश्किल हो गया है।"
पाकिस्तान भर में मुद्रास्फीति बढ़ रही हे, और गैस की कमी है, जिसके कारण लोगों के लिए विशेष अवसरों के मौके पर दावत तैयार करना मुश्किल है।
पिछले महीने ही पाकिस्तान के पेट्रोलियम डिविजन ने एक संसदीय पैनल को बताया था कि देश में गैस की कमी के कारण सर्दियों के दौरान घंटों तक गैस का इस्तेमाल बंद किया जाएगा। वर्तमान में, गैस लोड प्रबंधन को संकट के उचित समाधान के रूप में देखा जा रहा है।
कराची में यह रिपोर्ट किया गया कि गैस दिन में तीन बार दी जाएगी और 16 घंटे तक गैस नहीं मिलेगी। केंद्र सरकार ने तीन घंटे सुबह को, दो घंटे दोपहर और तीन घंटे शाम को गैस की आपूर्ति करने की योजना बनाई है।
गैस और बिजली में कटौती के अलावा देश में सुरक्षा की स्थिति इस क्रिसमस को मनाने पर बाधा डाल रही है।
देश में मिलटन्सी के उदय के बारे में और इससे ईसाइयों को खतरे के बारे में बात करते हुए, रेवरेंड डॉ. अल्फ्रेड याकूब ने कहा, "हां, खतरा है और हम हैरान हैं कि यह अचानक खतरा क्यों और कहां से बढ़ गया है। लेकिन जो भी खतरा क्यों न हो, फिर भी लोग चर्च जाना बंद नहीं करेंगे।"
उन्होंने बताया कि इसके स्थान पर लोग चर्चों के आस-पास सुरक्षा बढ़ाते रहते हैं, सरकार गार्ड और पुलिस को वहाँ भेजती है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है, इसलिए चर्च जाने वाले लोग स्वयं सुरक्षा की तैयारी करते हैं।
"हम खतरे के माहौल को महसूस करते हैं और हम नहीं जानते कि हमला कहां से होगा । हालांकि हम (चर्चस) हमेशा खुले हैं, हम सुरक्षा को लेकर अधिक जागरूक हो जाते हैं। यह खुशी को और चलने की इंसानियत की स्वतंत्रता को अधिक सीमित बनाता है क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों को चर्च के ओर जाने या सड़कों पर जाने को भी चिंता करते हैं," रेव्रन्ड ने कहा।
डॉ. आयरा ने भी उनकी चिंताओं को साझा किया, "पिछले एक साल के दौरान बम धमाकों की बार-बार आ रही खबरों की स्थिति में सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है।"
पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों में वृद्धि हुई हे, जिनके कारण इस वर्ष 450 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर सुरक्षा बल के कर्मचारी थे। हालांकि, अधिकारी हिंसा को "आतंकवाद की छिटपुट घटनाएं" समझते हैं।
इस्लामाबाद ने बहुत बार उग्रवाद में पुनरुत्थान के लिए संघर्षग्रस्त अफगानिस्तान पर कब्जा किए तालिबान* को जिम्मेदार ठहराया है।
मानवाधिकार समूहों के अनुसार, पाकिस्तान के ईश-निंदा कानूनों का इस्तेमाल अक्सर ईसाई और अहमदी जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के सदस्यों के साथ-साथ शिया जैसे अल्पसंख्यक मुसलमान संप्रदायों के खिलाफ किया जाता हे। यह अल्पसंख्यकों के लिए भी जोखिम बढ़ाता है और उन्हें सामाजिक विवादों में आसानी से निशाना बनाता है।
ईसाई अल्पसंख्यकों की समस्याओं की बात करते हुए, डॉ. आयरा ने समझाया, "पाकिस्तान में ईसाइयों का बड़ा हिस्सा मरगिनलिजेड स्वीपर समुदाय में शामिल है, अन्य गरीब वर्गों की तरह उनके लिए जीवन कठिन है। ये लोग बढ़ती मुद्रास्फीति और गैस और बिजली जैसी बुनियादी जरूरतों की अनुपलब्धता से लड़ रहे हैं।"
ऐसी कठिनाइयों के बावजूद, देश भर के ईसाइयों को राजनीतिक दलों और विदेशी दूतावासों से शुभकामनाएं मिल रही हैं। विशेष रूप से कराची, इस्लामाबाद और लाहौर जैसे शहरों में बहुत कंपनियों और कार्यालयों ने भी अपने ईसाई कर्मचारियों के लिए समारोह आयोजित किया।
विभिन्न मंत्रालयों में कई केक काटने के समारोह आयोजित किए गए और इस तरह ईसाई कर्मचारियों को बधाई मिली। इसके अलावा, कई गैर-सरकारी संगठनों ने ईसाई समुदायों के लिए शीतकालीन उपहार वितरण समारोह आयोजित किया।
संघीय वित्त मंत्री और सीनेटर मोहम्मद इशाक डार ने वित्त मंत्रालय के ईसाई कर्मचारियों के साथ क्रिसमस केक काटा और पाकिस्तान और दुनिया भर में रहने वाले ईसाई समुदाय को क्रिसमस की शुभकामना दी।
इसी तरह पीटीआई प्रमुख और पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान ने लाहौर में अपने घर पर अपनी पार्टी के ईसाई सदस्यों के लिए केक काटने की आयोजना की।
* तालिबान आतंकवादी गतिविधियों के कारण संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित है।