भारत और मध्य पूर्व के देशों को रूसी उर्वरक आपूर्ति में काफी वृद्धि
12:27 29.12.2022 (अपडेटेड: 12:43 29.12.2022)
© Sputnik / Denis Abramov / मीडियाबैंक पर जाएंAn employee on the territory of the Almaz Fertilizers LLC plant for the production of water-soluble and granular fertilizers in the city of Lermontov, Stavropol Territory.
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उर्वरक उत्पादकों के रूसी संघ के प्रमुख एंड्रेय गूर्येव के अनुसार इस साल, रूस ने भारत को खनिज उर्वरकों की आपूर्ति लगभग तीन गुना बढ़ा दी है, और मध्य पूर्व में, मुख्य रूप से तुर्की को आपूर्ति 40% तक बढ़कर 7 लाख टन की हो गई है। इसके अलावा, अफ्रीकी बाजार में भी रूसी उर्वरकों की हिस्सेदारी में काफी वृद्धि हुई है।
"मुख्य आयातक भारत ही है। प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, इस देश में रूसी उर्वरकों का निर्यात लगभग 3 गुना बढ़कर 36 लाख टन का हो गया है, मुख्य रूप से फॉस्फेट उर्वरकों की आपूर्ति में वृद्धि के कारण," गूर्येव ने वैकल्पिक आपूर्ति मार्गों के संदर्भ में कहा।
रूस पहली बार वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में भारत के लिए सबसे बड़ा उर्वरक आपूर्तिकर्ता बन गया है यानी बाजार की हिस्सेदारी का पांचवां हिस्सा प्राप्त करके।
सरकार और उद्योग के सूत्रों के मुताबिक 1 अप्रैल को शुरू हुए वर्ष की अवधि में भारत का आयात बरकर 1.6 अरब डॉलर हो गया। पिछले पूरे वित्त वर्ष में भारत ने रूस से 12.6 लाख टन आयात किया।
भारतीय खरीदारों की ओर से विदेशी आपूर्तिकर्ताओं के साथ बातचीत करने वाले उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत को कभी-कभी वैश्विक कीमतों पर 70 डॉलर प्रति टन से अधिक की छूट मिलती थी।इस तरह रूस को एक बड़ा खरीदार मिला है जो यूरोपीय खरीदारों की जगह ले सकता है," गूर्येव ने कहा।
गूर्येव के अनुसार यह स्पष्ट है कि यह भारत और रूस के लिए परस्पर लाभकारी है।
फरवरी में यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान की शुरुआत के बाद से, नई दिल्ली ने मॉस्को के साथ अपने राजनीतिक संबंधों को कम करने के अमेरिका और अन्य पश्चिमी सहयोगियों के आह्वान को लगातार खारिज कर दिया है। भारत सरकार कहती रहती है कि वैश्विक खाद्य और ऊर्जा संकट के समय में वह अपने राष्ट्रीय हितों को ही प्राथमिकता देगी।