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बीएसएफ बॉर्डर पर पाकिस्तानी ड्रोन रोकने वाली टीमों को दिया ₹1 लाख इनाम

© Photo : DGP Punjab PoliceA Hexacopter drone equipped with modern technology & packets containing heroin weighing 5Kgs recovered from fields near the India-Pakistan border
A Hexacopter drone equipped with modern technology & packets containing heroin weighing 5Kgs recovered from fields near the India-Pakistan border - Sputnik भारत, 1920, 30.12.2022
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इस साल 25 दिसंबर तक बीएसएफ ने 22 ड्रोन मार गिराए हैं, और 12 से ज्यादा टीमों को अब तक एक लाख का इनाम दिया जा चुका है

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने पाकिस्तान की तरफ से आने वाले ड्रोंस को रोकने वाली टीम को ₹100000 के नगद पुरस्कार से नवाजा है। यह टीम स्पूफर और सुरक्षाकर्मियों के बहुस्तरीय गश्त के जरिए ड्रोन की बढ़ती घुसपैठ को रोकने में सफल हुई। इन ड्रोन के जरिए भारत में बड़ी तादाद में ड्रग्स और हथियार भी जाते हैं।
आधिकारिक डेटा के मुताबिक भारत पाकिस्तान के बॉर्डर पर इस साल ड्रोन की गतिविधियां बहुत बढ़ गई है, जिनमें से अधिकतर को सुरक्षा एजेंसियों ने मार गिराया।
बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी को बताया यह इनाम सीमा पर तैनात बीएसएफ की 'हिट' टीम को मिलेगा जो फायरिंग या तकनीक का उपयोग करके ड्रोन को मार गिराती है। सैनिकों को प्रेरित करने के लिए बीएसएफ द्वारा यह एक नीतिगत निर्णय के अनुसार किया गया है।
पाकिस्तान से ड्रोन का इस्तेमाल कर ड्रग्स और हथियार लाने वाले के बारे में बताने वाले के लिए इसी तरह के इनाम की घोषणा जालंधर पंजाब फ्रंटियर फोर्स ने पब्लिक के लिए अप्रैल महीने में की थी।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जम्मू, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के साथ लगने वाली 2,289 किलोमीटर लंबी भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर ड्रोन देखे जाने की संख्या 2020 में 77 से बढ़कर पिछले साल 104 और इस साल (23 दिसंबर तक) 311 हो गई है।

इनमें से लगभग 75 प्रतिशत पंजाब में देखे गए हैं, जहां बॉर्डर पार से ड्रग्स को इस पार भेजने के लिए प्रमुख रूप से ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है। सीमा सुरक्षा बल ने इन नशीले पदार्थों और हथियारों को ले जाने वाले ड्रोनों के बार बार आने और नेविगेशन पथ को रोकने के लिए इलेक्ट्रॉनिक जैमर और स्पूफर्स भी तैनात किये है, जो उनके स्थिरीकरण की ओर ले जाता है।
'जैमर और स्पूफर ऐसे गैजेट जो विद्युत चुम्बकीय तरंगों छोड़ते हैं और एक उड़ने वाले ड्रोन को बेकार करने के लिए क्रमशः नकली जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) सिग्नल भेजते हैं और उन्हें बाद में या तो 'सॉफ्ट किल' नामक डिवाइस के नियंत्रित पायलटिंग द्वारा या उस पर एक बंदूक से फायरिंग करके नीचे ले जाया जाता है। जिसे 'हार्ड किल' भी कहा जाता है।
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