रूस पश्चिमी दबाव के बावजूद अपनी गैस और तेल का निर्यात कैसे बढ़ाता है
© Sputnik / Alexey Nikolsky / मीडियाबैंक पर जाएंWelding at the connection ceremony of the first link of the Power of Siberia gas pipeline on the Namsky tract near the village of Us Khatyn in the presence of Russian President Vladimir Putin.
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पावर ऑफ साइबेरिया पाइपलाइन की मदद से चीन में रूस की प्राकृतिक गैस की आपूर्ति 2021 में 10.39 अरब क्यूबिक मीटर (बीसीएम) से बढ़कर 2022 में 15.5 बीसीएम हो गई। रूस 2025 तक चीन में पाइपलाइन से गैस की आपूर्ति सालाना 38 बीसीएम तक बढ़ाने की योजना बना रहा है। यह पश्चिम को क्या दिखाता है?
"रूस ने पश्चिम की तुलना में 2014 के सबक यानी प्रतिबंधों की शुरुआत को बेहतर सीखा। 2014 से ग्राहकों की संख्या में विविधता लाना रूस की ऊर्जा रणनीति का अहम हिस्सा है, जबकि यूरोप अब आपूर्ति में विविधता लाने की कोशिश कर रहा है," स्वतंत्र मैक्रो कंसल्टेंसी मैक्रो-एडवाइजरी लिमिटेड के संस्थापक भागीदार क्रिस्टोफर वीफर ने Sputnik को बताया।
यूरोप लंबे समय तक रुसी अधिकांश ऊर्जा वस्तुओं का सबसे बड़ा ग्राहक था। हालाँकि, पिछले साल यूरोपीय संघ 24 फरवरी, 2022 को शुरू हुए मास्को के विशेष सैन्य अभियान के जवाब में रूसी पाइपलाइन गैस की खरीद को घटाने लगा था।
लेकिन 16 जनवरी को रूसी उप प्रधान मंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने घोषणा की कि देश ने पावर ऑफ साइबेरिया से चीन में पाइपलाइन गैस की आपूर्ति 49 प्रतिशत बढ़ाकर 15.5 बीसीएम की है। यह योजना बनाई गई है कि 2025 तक चीन में गैस की आपूर्ति सालाना 38 बीसीएम तक बढ़ेगी।
राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा कोष (FNEB) के एक प्रमुख विश्लेषक इगोर युशकोव के अनुसार, रूस लगातार पावर ऑफ साइबेरिया के माध्यम से अपनी गैस आपूर्ति बढ़ा रहा है। वह यह रूसी-चीनी ऊर्जा सौदे के अनुसार करता है जिस पर हस्ताक्षर विशेष सैन्य अभियान से बहुत पहले किए गए थे।
युशकोव ने Sputnik को बताया, "इस पर ध्यान देना चाहिए कि अब वृद्धि तय समय से ज़्यादा है, क्योंकि पावर ऑफ साइबेरिया से चलने वाली गैस को लेकर गजप्रोम की पेशकश चीन के लिए बहुत फायदेमंद है।"
विश्लेषक के अनुसार, अपनी अधिकांश यूरोपीय आपूर्तियों को चीनी बाजार में भेजने के लिए रूस को पावर ऑफ साइबेरिया 2 परियोजना को लागू करना चाहिए।
पावर ऑफ साइबेरिया 2 चीन के लिए फायदेमंद क्यों है?
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा अभिकरण (IEA) के विश्व ऊर्जा आउटलुक 2022 के अनुसार एशियाई बाजारों के लिए रूस का पुनर्विन्यास "विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण" होगा।
चीन के हेइलोंगजियांग एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के रिसर्च फेलो मा युजुन के अनुसार, चीनी-रूसी ऊर्जा सहयोग को लेकर पश्चिम की भविष्यवाणियां निराधार हैं।
मा ने Sputnik को बताया, "रूसी-यूक्रेनी विवाद के कारण पश्चिम में रूसी ऊर्जा निर्यात सीमित हो गया, जिसकी वजह से पूर्व में निर्यात रूसी अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए प्राथमिकता हुआ। हालांकि यह कहना चाहिए कि चीन और रूस बहुत समय पहले मंगोलिया से होकर पावर ऑफ साइबेरिया 2 बनाने पर सहमत हुए थे, और यह यूक्रेनी संकट से सम्बंधित नहीं है। यह हमारे देशों के बीच लम्बे ऊर्जा सहयोग का हिस्सा है।"
पावर ऑफ साइबेरिया 2 पश्चिमी चीन में झिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र और साइबेरियाई गैस क्षेत्रों के बीच गैस पाइपलाइन है।
पावर ऑफ साइबेरिया का विस्तार न केवल तेल और गैस की आपूर्ति चैनलों में विविधता लाने के संदर्भ में ऊर्जा आयात के लिए चीन की रणनीतिक जरूरतों को पूरा करता है बल्कि मा के अनुसार यह चीन के आर्थिक विकास के लिए भी महत्त्वपूर्ण है।
रूस ने कच्चे तेल की आपूर्ति का पूर्व की ओर पुनर्विन्यास किया
रूस कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। पश्चिमी अधिकारियों ने चेतावनी दी कि अगर इसके कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों पर पूरा प्रतिबंध लगाया जाएगा, तो तेल की कीमतें आसमान छू जाएंगी। इसलिए दिसंबर 2022 से शुरू होने वाले विकासशील देशों में रूस की समुद्र से तेल की आपूर्ति की सीमा की पहल और कच्चे तेल से प्राप्त सामग्री पर आगामी सीमा की पहल सामने आई हैं।
हालाँकि पश्चिम के प्रतिबंधों के शुरुआती चरण में, रूस का तेल निर्यात कुछ कम हो गया था, चीन और भारत इसके सबसे बड़े खरीदार के रूप में उभरे।
पश्चिमी तेल वॉचडॉग्स के अनुसार, भारत का रुसी कच्चे तेल का आयात पिछले महीने 12 लाख बी/डी तक पहुंचा था। इसके अलावा, युशकोव के अनुसार, रूस और उसके एशियाई सहयोगी रूस की ऊर्जा वस्तुओं की समुद्री आपूर्ति करने के लिए राष्ट्रीय टैंकर बेड़े और राष्ट्रीय बीमा कंपनियों का प्रयोग करने की योजना बना रहे हैं। इस तरह उनको पश्चिमी नियंत्रण और प्रतिबंधों के बिना अपना ऊर्जा व्यापार करने का मौका मिला है।
प्रतिबंधों से उल्टा असर पड़ता है
रूस के तेल और गैस का उद्योग पश्चिम के प्रतिबंधों की स्थिति में स्थिर रहा है। इसके साथ युशकोव के अनुसार, यूरोपीय ऊर्जा बाजार में स्थिति अच्छी नहीं है।
उन्होंने कहा कि यूरोप को और विशेष रूप से औद्योगिक क्षेत्र को गैस की खपत में 50-60 अरब क्यूबिक मीटर की कमी करनी पड़ी। इसके परिणामस्वरूप, यूरोपीय व्यवसायों ने उत्पादन बंद किया या उस में कटौती की। व्यवसायों के बहुत मालिक अपने उत्पादन को अमेरिका या यूरेशिया में स्थानांतरित करने पर विचार कर रहे हैं जहां ऊर्जा की कीमत कम है और आम तौर पर स्थिर है।
यूरोप में रूसी पेट्रोलियम उत्पादों पर आगामी प्रतिबंध के कारण संभव है कि स्थिति और मुश्किल हो जाएगी, अंतर्राष्ट्रीय तेल विशेषज्ञ कहते हैं। हालाँकि रूस के तेल उत्पादों पर यूरोप की निर्भरता यूक्रेन में मास्को के विशेष सैन्य अभियान की शुरुआत के बाद 50 प्रतिशत कम हो गई, फिर भी रूस यूरोप का सबसे बड़ा डीजल आपूर्तिकर्ता है। यह स्पष्ट नहीं है कि पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति रूस के आलावा कौन करेगा।
हालाँकि, युशकोव के अनुसार सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि ऊर्जा की कमी के लिए यूरोप को सिर्फ अपने को दोषी ठहराना चाहिए।