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दिल्ली में पहलवानों का विरोध: क्या यह वर्चस्व के लिये लड़ाई है?

© Sputnik / Rahul TrivediWrestlers’ Protest in Delhi
Wrestlers’ Protest in Delhi - Sputnik भारत, 1920, 22.01.2023
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खेल मंत्रालय ने घोषणा की है कि एक निरीक्षण समिति भारत के शीर्ष पहलवानों द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करेगी।
भारत में खेल के प्रति उत्साही लोगों ने पिछले हफ्ते बड़े पैमाने पर एक कार्रवाई देखी, क्योंकि देश के शीर्ष पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के "तानाशाही व्यवहार" के खिलाफ दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारी पहलवानों ने यह मांग की कि देश में कुश्ती की सर्वोच्च संस्था WFI और अन्य राज्यों के महासंघों को भंग कर दिया जाए जबकि WFI के प्रमुख सिंह को पद से हटा दिया जाए।

पहलवानों के विरोध की वजह क्या है?

पहलवानों ने बुधवार, 18 जनवरी को अपना विरोध शुरू किया। पहले दिन पहलवान और विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता विनेश फोगट ने WFI के प्रमुख पर गंभीर आरोप लगाते हुए यह दावा किया कि वह आदमी कई वर्षों से महिला पहलवानों का यौन शोषण कर रहे हैं। हालांकि, विनेश फोगट ने यह स्पष्ट किया कि यह उनका नहीं, बल्कि उनके एक साथी पहलवान का शोषण किया गया था। उन्होंने आगे दावा किया कि लखनऊ में राष्ट्रीय शिविर में कई कोचों ने भी महिला पहलवानों का शोषण किया है।
फोगट ने, जो 2020 में टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल में हारने के बाद WFI के साथ भिड़ रही हैं, उन्होंने कहा कि वह पहलवान बजरंग पुनिया के साथ तीन महीने पहले केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह से मिलीं और अपने उन मुद्दों को उठाया। एथलीट ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया कि उन्हें WFI के प्रमुख के इशारे पर उनके करीबी अधिकारियों से जान से मारने की धमकी मिली थी क्योंकि उन्होंने भारतीय कुश्ती को प्रभावित करने वाले कई मुद्दों पर टोक्यो ओलंपिक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आकर्षित करने का साहस किया था।
जंतर मंतर पर विनेश फोगाट के साथ 30 अन्य पहलवान भी शामिल हुए। उनके साथ शामिल होने वाले शीर्ष पहलवानों में टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बजरंग पुनिया, रियो ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक, विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता सरिता मोर, संगीता फोगट, सत्यव्रत मलिक, जितेंद्र किन्हा और राष्ट्रमंडल खेलों (CWG) के पदक विजेता सुमित मलिक शामिल थे। पहलवान इस बात पर अड़े थे कि वे WFI के प्रमुख को हटाना चाहते हैं और राष्ट्रीय महासंघ के साथ-साथ राज्य संघों को भी भंग करना चाहते हैं।

WFI के प्रमुख ने आरोपों को खारिज कर दिया

WFI प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह ने पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने यह दावा किया कि विरोध करने वाले पहलवान सिर्फ तीन प्रतिशत हैं, जबकि अन्य पहलवान उनके पक्ष में हैं। 2011 से WFI के अध्यक्ष रहे सिंह ने पद छोड़ने से इनकार करते हुए कहा कि उनके खिलाफ लगे किसी भी आरोप में कोई सच्चाई नहीं है और अगर कोई महिला पहलवान यौन उत्पीड़न के आरोप साबित करती है तो वह फांसी पर चढ़ने को तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह किसी भी जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं। विरोध के पीछे साजिश होने का आरोप लगाते हुए सिंह ने कहा कि पहलवान कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा के इशारे पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि यह हरियाणा कुश्ती संघ के पूर्व प्रमुख हुड्डा द्वारा उनके खिलाफ एक "राजनीतिक साजिश" थी। उन्होंने सवाल किया था कि केवल हरियाणा के खिलाड़ियों का एक छोटा वर्ग उनके खिलाफ विरोध क्यों कर रहा है। उनके अनुसार वास्तव में लक्ष्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ही है।
हालांकि, विरोध प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने इस दावे से इनकार किया यह कहकर कि यह विरोध राजनीति से प्रेरित नहीं है और यह खिलाड़ियों की गरिमा और देश में कुश्ती को बचाने की लड़ाई है। WFI के प्रमुख ने यह भी आरोप लगाया कि विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी राष्ट्रीय चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा से जुड़ी नई नीतियों से परेशान हैं। नई नीति के अनुसार, राष्ट्रीय चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा करने और जीतने वाले एथलीटों को ही राष्ट्रीय शिविर के लिए चुना जाएगा।

पहलवानों के विरोध पर राजनैतिक घमासान

जबकि शीर्ष पहलवानों ने विरोध को "अराजनीतिक" रखने के सभी प्रयास किए, देश में राजनीतिक दलों ने इसका उपयोग भाजपा पर अपनी बंदूकें चलाने के लिए करना शुरू कर दिया है। विरोध के दूसरे दिन, 19 जनवरी, जब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की नेता बृंदा करात विरोध स्थल पर पहुंचीं, बजरंग पुनिया ने विनम्रता से उन्हें मंच छोड़ने के लिए कहा, क्योंकि वे नहीं चाहते कि विरोध राजनीतिक बने।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के राज्य प्रमुख अरविंद केजरीवाल, और विपक्षी दलों के कई अन्य राजनेताओं ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ट्वीट और पोस्ट के माध्यम से पहलवानों को अपना समर्थन दिया।
हालांकि, प्रदर्शनकारी एथलीटों ने एक बार और स्पष्ट किया कि प्रदर्शन की कोई राजनीतिक आकांक्षा या जुड़ाव नहीं है और वे खिलाड़ियों के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।
पुनिया ने मीडिया से कहा कि उन्होंने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में बार-बार घोषणा की है कि यह विरोध न तो केंद्र सरकार के खिलाफ है और न ही किसी राज्य सरकार के खिलाफ। यह भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) या किसी अन्य संगठन के खिलाफ भी नहीं है, बल्कि केवल WFI के खिलाफ है। पुनिया ने आगे कहा कि उन्होंने अनुरोध किया है कि सभी राजनेता और राजनीतिक दलों से जुड़े लोग मंच पर शामिल न हों, क्योंकि विरोध पूरी तरह से अराजनीतिक है और वे इसमें किसी भी तरह की राजनीति नहीं चाहते हैं।

केंद्र सरकार और भारतीय ओलम्पिक संघ (IOA) की कार्रवाई

विरोध से अवगत होने पर ही, खेल मंत्रालय ने WFI से 72 घंटे के भीतर पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों पर अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने को कहा।
हालांकि, प्रदर्शनकारी संतुष्ट नहीं रहे इसलिए उन्होंने विरोध जारी रखा। विरोध के दूसरे दिन, सरकार ने तीन बार के राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेता और भाजपा नेता बबिता फोगट को पहलवानों से बात करने और उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन देने के लिए मध्यस्थ के रूप में भेजा, लेकिन पहलवानों ने WFI को भंग करने पर जोर दिया।
बाद में, खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपने आवास पर पहलवानों के साथ रात 10 बजे से (IST) चार घंटे की बैठक की। बैठक अनिर्णायक रही, क्योंकि एथलीटों ने अपनी मांगों से पीछे हटने से इनकार कर दिया। तीसरे दिन शुक्रवार, 20 जनवरी को पहलवानों ने भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के प्रमुख पीटी उषा को एक पत्र लिखकर भेजा। Sputnik द्वारा समीक्षा किए गए पत्र के अनुसार, विनेश फोगट को टोक्यो में ओलंपिक पदक से चूकने के बाद WFI के प्रमुख द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया था और उसने आत्महत्या करने के बारे में भी सोचा था। IOA ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों और अन्य अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए एथलीटों का चयन करने और इन आयोजनों में भारतीय टीमों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है।
पत्र मिलने के बाद, IOA प्रमुख उषा ने आरोपों की जांच के लिए शीर्ष मुक्केबाज मैरी कॉम की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन किया। मैरी कॉम के अलावा, समिति में पहलवान योगेश्वर दत्त, तीरंदाज डोला बनर्जी और भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के अध्यक्ष और IOA के कोषाध्यक्ष सहदेव यादव शामिल हैं।
पहलवानों ने शुक्रवार को खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ एक बैठक की। बैठक के बाद, ठाकुर ने घोषणा की कि WFI के प्रमुख के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए चार सदस्यीय निगरानी समिति बनाई जाएगी। उन्होंने यह भी घोषणा की कि समिति चार सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी और तब तक, सिंह महासंघ की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में भाग नहीं लेंगे।
हाल के घटनाक्रम में, WFI के अतिरिक्त सचिव विनोद तोमर को खेल मंत्रालय ने निलंबित कर दिया था। तोमर ने सिंह के साथ मिलकर काम किया था और वे महासंघ के दिन-प्रतिदिन के मामलों में व्यस्त थे। मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश के गोण्डा में चल रहे रैंकिंग टूर्नामेंट को भी रद्द कर दिया और WFI को प्रतिभागियों द्वारा भुगतान की गई प्रवेश फीस वापस करने का निर्देश दिया।
इस बीच, खेल मंत्रालय द्वारा सभी गतिविधियों को तुरंत स्थगित करने के निर्देश के बाद WFI ने वार्षिक आम बैठक (AGM) भी रद्द कर दी है। AGM 22 जनवरी रविवार को होनी थी। WFI के प्रमुख AGM के बाद मीडिया को संबोधित करने वाले थे, लेकिन सूत्रों ने अब Sputnik को बताया कि निगरानी समिति द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों पर अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद वे मीडिया से बात करेंगे।

क्या यह विरोध वर्चस्व के लिये एक लड़ाई है?

Sputnik ने इस मुद्दे को लेकर कई कुश्ती प्रशिक्षकों और अन्य विशेषज्ञों से संपर्क स्थापित करने की कोशिश की है उनकी राय जानने के लिये। अर्जुन अवार्डी और 2002 मैनचेस्टर कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक विजेता शोकिंदर तोमर ने Sputnik से कहा: "यह वास्तव में शर्मनाक है कि जिन खिलाड़ियों ने देश का नाम रोशन किया, वे अपनी गरिमा के लिए सड़क पर बैठे हैं।"
WFI प्रमुख के इस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि विरोध करने वाले एथलीटों को चयन प्रक्रिया में समस्या है, तोमर ने कहा कि सबसे पहले, यह सच नहीं है, और दूसरी बात यह है कि, भले ही सिंह सही थे, फिर भी यह उन्हें यौन संबंध बनाने का अधिकार नहीं देगा।
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर Sputnik को बताया कि यह केवल WFI के प्रमुख की कथित तानाशाही के बारे में नहीं है, बल्कि यह वर्चस्व की लड़ाई है। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि कुछ लोग चाहते हैं कि कुश्ती महासंघ का नियंत्रण हरियाणा से हो, क्योंकि ज्यादातर पहलवान वहीं से हैं, जबकि मौजूदा मुखिया उत्तर प्रदेश से हैं।
हालांकि तोमर ने इस आरोप को खारिज कर दिया। “मैं उत्तर प्रदेश से हूं और पहलवानों का समर्थन करने के लिए यहां हूं। जो कोई भी इस मामले को किसी तरह का राजनीतिक अर्थ दे रहा है वह गलत कर रहा है क्योंकि इससे खेल के लिए अच्छे नतीजे नहीं निकलेंगे।'
इस बीच, कुछ पहलवान WFI के प्रमुख के समर्थन में सामने आए यह कहकर कि जब से उन्होंने महासंघ के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला है, तब से कुश्ती का स्तर बढ़ गया है। अब तक, विरोध को बंद कर दिया गया है और पहली कार्रवाई खेल मंत्रालय द्वारा की गई है, और पहलवानों के साथ-साथ खेल के प्रति उत्साही अब निगरानी समिति की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।
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