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रूस और पाकिस्तान ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना चाहते हैं: विदेश मंत्री लावरोव

© Photo : Russian Foreign MinistryJoint news conference by Russian Foreign Minister Sergey Lavrov and Foreign Minister of Pakistan Bilawal Bhutto Zardari
Joint news conference by Russian Foreign Minister Sergey Lavrov and Foreign Minister of Pakistan Bilawal Bhutto Zardari - Sputnik भारत, 1920, 30.01.2023
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मास्को (Sputnik) - रूस और पाकिस्तान मुख्य रूप से ऊर्जा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को तेज करने का इरादा रखते हैं, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सोमवार को कहा।
मास्को में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के साथ एक बैठक में लावरोव ने कहा कि, "मास्को और इस्लामाबाद की मुख्य रूप से ऊर्जा और अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की पारस्परिक इच्छा है।"
इस महीने की शुरुआत में, रूसी ऊर्जा मंत्री निकोले शुल्गिनोव और पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के मंत्री अयाज सादिक दोनों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि मास्को और इस्लामाबाद मार्च तक पाकिस्तान को रूस की तेल और गैस की आपूर्ति के सभी विवरणों पर सहमति पर पहुंचेंगे।
इसके अलावा, ऊर्जा मंत्री ने कहा कि रूस पाकिस्तान की बिजली उत्पादन परियोजनाओं में भाग ले सकता है, जिन में से पनबिजली संयंत्रों के आधुनिकीकरण और निर्माण के साथ-साथ ताप विद्युत संयंत्रों का आधुनिकीकरण भी शामिल है।
इस बीच, रूस के शीर्ष राजनयिक ने कहा कि मास्को को इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमेरिका रूस और पाकिस्तान के बीच तेल समझौते को बाधित करने की कोशिश करेगा।
"इसे लेकर कि... संयुक्त राज्य अमेरिका की वही गारंटी है कि वे ऊर्जा क्षेत्र में हमारे सौदों में बाधा नहीं डालेंगे: निश्चित रूप से वे बाधा डालेंगे। संयुक्त राज्य अमेरिका शाब्दिक रूप से, सार्वजनिक रूप से, बिना शर्मिंदगी के, काफी अहंकारपूर्वक कहता है कि हम रूस के साथ व्यापार नहीं कर सकते।" लावरोव ने कहा कि चीन, भारत, तुर्की और मिस्र सहित एक भी ऐसा देश नहीं बचा है, जिसे अमेरिका ने इस तरह के नव-औपनिवेशिक संदेश न भेजे हों।
24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन में एक सैन्य अभियान शुरू करने के बाद से पश्चिमी देश तेल और गैस निर्यात से रूस की आय को सीमित करने के साथ-साथ रूसी ईंधन पर अपनी निर्भरता को कम करने के तरीकों की तलाश कर रहे हैं। 5 दिसंबर को, यूरोपीय संघ ने रूसी कच्चे तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत सीमा रखी, और G7 राष्ट्र और ऑस्ट्रेलिया इसको भी अपना चुके हैं। यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के तहत 5 फरवरी से रूसी तेल उत्पादों पर भी कीमत सीमा रखी जाएंगी।
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