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स्टालिनग्राड की लड़ाई की 80वीं जयंती, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध की दिशा बदल दी
स्टालिनग्राड की लड़ाई की 80वीं जयंती, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध की दिशा बदल दी
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80 साल पहले सोवियत लाल सेना के सैनिकों ने स्टालिनग्राड की लड़ाई को जीता था, जो इतिहास में सबसे खूनी और तीव्र शहरी लड़ाइयों में से एक है।
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शुरू में विजेता के रूप में स्टालिनग्राड नामक शहर में आकर नाज़ी सैनिक बाद में सोवियत सैनिकों को हराने में असफल हुए। हजारों नाजी सैनिकों की मौत हुई, जबकि बाकी नाज़ी सैनिकों ने अपने कमांडर फील्ड मार्शल फ्रेडरिक पॉलस के साथ अपनी हार मानी।स्टालिनग्राड में सोवियत संघ की जीत द्वितीय विश्व युद्ध की दिशा बदलकर महत्वपूर्ण क्षण बन गई। इसके तुरंत बाद रणनीतिक पहल लाल सेना को मिली, जबकि हंगरी और रोमानिया जैसे हिटलर के कई सहयोगियों ने सोवियत संघ के साथ शांति समझौता करने के रास्ते की तलाश करना शुरू कर दिया।
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स्टालिनग्राड की लड़ाई, सोवियत लाल सेना, द्वितीय विश्व युद्ध की दिशा बदलना, सोवियत लाल सेना के सैनिक, नाजी सैनिक, फील्ड मार्शल फ्रेडरिक पॉलस, हिटलर के सहयोगी
स्टालिनग्राड की लड़ाई, सोवियत लाल सेना, द्वितीय विश्व युद्ध की दिशा बदलना, सोवियत लाल सेना के सैनिक, नाजी सैनिक, फील्ड मार्शल फ्रेडरिक पॉलस, हिटलर के सहयोगी
स्टालिनग्राड की लड़ाई की 80वीं जयंती, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध की दिशा बदल दी
80 सालों पहले सोवियत लाल सेना के सैनिकों ने स्टालिनग्राड की लड़ाई को जीता था, जो इतिहास में सबसे खूनी और तीव्र शहरी लड़ाइयों में से एक है।
शुरू में विजेता के रूप में
स्टालिनग्राड नामक शहर में आकर
नाज़ी सैनिक बाद में
सोवियत सैनिकों को हराने में असफल हुए।
हजारों नाजी सैनिकों की मौत हुई, जबकि बाकी नाज़ी सैनिकों ने अपने कमांडर फील्ड मार्शल फ्रेडरिक पॉलस के साथ अपनी हार मानी।
स्टालिनग्राड में सोवियत संघ की जीत द्वितीय विश्व युद्ध की दिशा बदलकर महत्वपूर्ण क्षण बन गई। इसके तुरंत बाद रणनीतिक पहल लाल सेना को मिली, जबकि हंगरी और रोमानिया जैसे हिटलर के कई सहयोगियों ने सोवियत संघ के साथ शांति समझौता करने के रास्ते की तलाश करना शुरू कर दिया।