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एएसआई ने बिहार के नालंदा में मिलीं 1200 साल पुरानी दो मूर्तियों का मांगा कब्जा
एएसआई ने बिहार के नालंदा में मिलीं 1200 साल पुरानी दो मूर्तियों का मांगा कब्जा
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एएसआई ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के पास एक जलाशय से 1200 साल पुरानी दो पत्थर की मूर्तियां का कब्जा मांगा है।
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के पास एक जलाशय से 1200 साल पुरानी दो पत्थर की मूर्तियों का कब्जा मांगा है। एएसआई के एक अधिकारी के मुताबिक यह मूर्तियां प्राचीन नालंदा महाविहार के पास सरलीचक गांव के तार सिंह तालाब से तब मिली जब बिहार सरकार की 'जल-जीवन-हरियाली' परियोजना के तहत तालाब की सफाई हो रही थी। अभी तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण या नालंदा जिला प्रशासन द्वारा दोनों मूर्तियों के बारे में कोई भी जानकारी साझा नहीं की गई है। एएसआई पटना सर्कल की अधीक्षण पुरातत्वविद् गौतमी भट्टाचार्य ने मीडिया को बताया कि जब क्षेत्र में रहने वाले गांव वालों को मूर्तियों के बारे में पता चला तो उन्होंने इन्हें रखने के लिए एक मंदिर बनाने की योजना बनाना शुरू कर दिया था। नियम के मुताबिक जब भी कोई पुरावशेष या कलाकृतियाँ 10 रुपये के मूल्य से अधिक की पाई जाती हैं, तो भारतीय खजाना ट्राव अधिनियम, 1878 के अनुसार उन्हें खोजने वाले द्वारा निकटतम सरकारी खजाने में जमा किया जाना चाहिए। इस खोज के बारे में पूछे जाने पर नालंदा के जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने एक समाचार एजेंसी से कहा कि मुझे इसके बारे में पता चला है और मामले की जांच की जा रही है।
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नालंदा विश्वविद्यालय, 1200 साल पुरानी, दो मूर्तियां, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, एएसआई
नालंदा विश्वविद्यालय, 1200 साल पुरानी, दो मूर्तियां, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, एएसआई
एएसआई ने बिहार के नालंदा में मिलीं 1200 साल पुरानी दो मूर्तियों का मांगा कब्जा
एक साल पहले इसी तालाब में 1,300 साल पुरानी पाल काल की नाग देवी की मूर्ति मिली थी। इसे नालंदा में एएसआई संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के पास एक जलाशय से 1200 साल पुरानी दो पत्थर की मूर्तियों का कब्जा मांगा है।
एएसआई के एक अधिकारी के मुताबिक यह मूर्तियां प्राचीन नालंदा महाविहार के पास सरलीचक गांव के तार सिंह तालाब से तब मिली जब बिहार सरकार की 'जल-जीवन-हरियाली' परियोजना के तहत तालाब की सफाई हो रही थी।
अभी तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण या नालंदा जिला
प्रशासन द्वारा दोनों मूर्तियों के बारे में कोई भी जानकारी साझा नहीं की गई है।
एएसआई पटना सर्कल की अधीक्षण
पुरातत्वविद् गौतमी भट्टाचार्य ने मीडिया को बताया कि जब क्षेत्र में रहने वाले गांव वालों को
मूर्तियों के बारे में पता चला तो उन्होंने इन्हें रखने के लिए एक
मंदिर बनाने की योजना बनाना शुरू कर दिया था।
“वहां तैनात हमारे अधिकारियों को इसके बारे में पता चला और उन्होंने तुरंत स्थानीय पुलिस को सूचित किया। हमें जो प्रतिक्रिया मिली है, उसके मुताबिक दोनों मूर्तियां, जो संभवत: 1200 साल पुरानी हैं, अब स्थानीय पुलिस के कब्जे में हैं। हम उन्हें नालंदा संग्रहालय में प्रदर्शित करना चाहते हैं। मैंने राज्य सरकार से इंडियन ट्रेजर ट्रोव एक्ट, 1878 के प्रावधानों के तहत इन मूर्तियों को तुरंत सौंपने का अनुरोध किया है," एएसआई पटना सर्कल की अधीक्षण पुरातत्वविद् गौतमी भट्टाचार्य ने कहा।
नियम के मुताबिक जब भी कोई पुरावशेष या कलाकृतियाँ 10 रुपये के मूल्य से अधिक की पाई जाती हैं, तो भारतीय खजाना ट्राव अधिनियम, 1878 के अनुसार उन्हें खोजने वाले द्वारा निकटतम सरकारी खजाने में जमा किया जाना चाहिए।
"मैंने पहले ही राज्य सरकार को लिखा है और संबंधित अधिकारियों से अधिनियम के प्रावधानों के बारे में सभी जिलाधिकारियों को अवगत कराने का अनुरोध किया है ताकि खजाने को जिला प्रशासन की सुरक्षित हिरासत में जमा किया जा सके," भट्टाचार्य ने आगे कहा।
इस खोज के बारे में पूछे जाने पर नालंदा के जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने एक
समाचार एजेंसी से कहा कि मुझे इसके बारे में पता चला है और मामले की जांच की जा रही है।