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अफगानिस्तान में भारत, चीन और ईरानी दूतावासों पर आतंकी हमले का खतरा: UN रिपोर्ट
अफगानिस्तान में भारत, चीन और ईरानी दूतावासों पर आतंकी हमले का खतरा: UN रिपोर्ट
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इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड लेवांत-खोरासन* (ISIL-K) ने अफगानिस्तान में भारत, ईरान और चीन के दूतावासों पर आतंकी हमले शुरू करने की धमकी दी है।
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इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड लेवांत-खोरासन* (ISIL-K) ने अफगानिस्तान में भारत, ईरान और चीन के दूतावासों पर आतंकी हमले शुरू करने की धमकी दी है।रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि काबुल में रूसी दूतावास पर पिछले साल सितंबर में हमला तालिबान** द्वारा सत्ता सँभालने के बाद से अफगानिस्तान में एक राजनयिक उपस्थिति के खिलाफ पहला हमला था।गौरतलब है कि गुरुवार को सुरक्षा परिषद ने 'आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे' विषय पर एक बैठक की । रिपोर्ट के अनुसार, आईएसआईएल (खुरासान) ने खुद को तालिबान के लिए 'प्राथमिक प्रतिद्वंद्वी' के रूप में तैनात करना शुरू किया है। इनका कहना है कि तालिबान के लड़ाके देश को सुरक्षा प्रदान करने में असक्षम हैं।बता दें कि साल 2022 के जून महीने में, अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद भारत ने दूतावास से अपने अधिकारियों को वापस बुला लिया था। हालांकि, 10 महीने बाद फिर से राजनयिक संबंध बहाल हो गए थे। *रूस और अन्य देशों में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन**आतंकवादी गतिविधियों के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित
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आतंकी हमले की धमकी, अफगानिस्तान में दूतावास, संयुक्त राष्ट्र संघ रिपोर्ट
आतंकी हमले की धमकी, अफगानिस्तान में दूतावास, संयुक्त राष्ट्र संघ रिपोर्ट
अफगानिस्तान में भारत, चीन और ईरानी दूतावासों पर आतंकी हमले का खतरा: UN रिपोर्ट
राजनयिक मिशनों को निशाना बनाकर ये आतंकी समूह तालिबान और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के बीच संबंधों को कमजोर करने की कोशिश में हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड लेवांत-खोरासन* (ISIL-K) ने अफगानिस्तान में भारत, ईरान और चीन के दूतावासों पर आतंकी हमले शुरू करने की धमकी दी है।
"इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड लेवांत-खोरासन (ISIL-K) की गतिविधियां मध्य और दक्षिण एशिया में एक महत्वपूर्ण आतंकवादी खतरा बनी हुई हैं, और समूह ने बाहरी संचालन करने की महत्वाकांक्षाओं को बरकरार रखा है," महासचिव की रिपोर्ट में कहा गया।
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि काबुल में रूसी दूतावास पर पिछले साल सितंबर में हमला तालिबान** द्वारा सत्ता सँभालने के बाद से अफगानिस्तान में एक राजनयिक उपस्थिति के खिलाफ पहला हमला था।
गौरतलब है कि गुरुवार को सुरक्षा परिषद ने
'आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे' विषय पर एक बैठक की । रिपोर्ट के अनुसार, आईएसआईएल (खुरासान) ने खुद को तालिबान के लिए 'प्राथमिक प्रतिद्वंद्वी' के रूप में तैनात करना शुरू किया है। इनका कहना है कि
तालिबान के लड़ाके देश को सुरक्षा प्रदान करने में असक्षम हैं।
बता दें कि साल 2022 के जून महीने में, अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद भारत ने दूतावास से अपने अधिकारियों को वापस बुला लिया था। हालांकि, 10 महीने बाद फिर से राजनयिक संबंध बहाल हो गए थे।
*रूस और अन्य देशों में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन
**आतंकवादी गतिविधियों के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित