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भूस्खलन सूचकांक में उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग और टिहरी शीर्ष पर: इसरो

© AP Photo / Ashwini BhatiaМотоциклист пытается проехать через перекрытую оползнем дорогу в Дхарамсале, штат Химачал-Прадеш, Индия
Мотоциклист пытается проехать через перекрытую оползнем дорогу в Дхарамсале, штат Химачал-Прадеш, Индия - Sputnik भारत, 1920, 10.03.2023
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इसरो डेटाबेस ने हिमालय और पश्चिमी घाट में भारत के 17 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में भूस्खलन की चपेट में आने वाले क्षेत्रों को कवर किया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने हाल ही में एक लैंडस्लाइड एटलस रिपोर्ट तैयार की जिसके मुताबिक भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले पर भूस्खलन का खतरा सबसे अधिक है।
जिला आपातकालीन संचालन केंद्र के अनुसार रुद्रप्रयाग में 32 पुराने भूस्खलन क्षेत्र हैं जिनमें से ज्यादातर राष्ट्रीय राजमार्ग -107 पर स्थित है। यह राजमार्ग केदारनाथ मंदिर की ओर जाता है।
भूस्खलन के खतरे वाले जिलों की सूची में उत्तराखंड का एक और जिला टिहरी दूसरे स्थान पर है। इसरो की सूची में दो दर्जन से अधिक भूस्खलन क्षेत्र है जिसमें तोता घाटी भी शामिल है। तोता घाटी बहुत पुराने भूस्खलन स्थल के रूप में पहचाना गया है।
स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर के आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में 2018 और 2021 के बीच 253 भूस्खलन हुए जिसके परिणामस्वरूप 127 लोगों की मौत हुई।
आंकड़ों के मुताबिक पिछले दो दशकों में उत्तराखंड में 11,000 से अधिक भूस्खलन दर्ज किए गए हैं और सबसे ज्यादा भूस्खलन वाले मार्गों में ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग से चमोली से बद्रीनाथ, रुद्रप्रयाग से उखीमठ से केदारनाथ, चमोली से उखीमठ, उत्तरकाशी से गंगोत्री से गौमुख और पिथौरागढ़ से खेला से मालपा शामिल हैं।
भूस्खलन संवेदनशीलता क्षेत्र मानचित्र के अनुसार भारत के केरल राज्य के त्रिशूर,पलक्कड़,कोझीकोड, मलप्पुरम, जम्मू-कश्मीर के राजौरी, पुलवामा और दक्षिण सिक्किम, पूर्वी सिक्किम व अन्य उच्च जोखिम वाले जिले हैं।
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