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गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी हिमालयी नदियों का कम हो सकता है जल प्रवाह: UN प्रमुख

© AP Photo / Mukhtar KhanA glacier sits on a mountaintop on the way to remote Kharnak village in the cold desert region of Ladakh, India, Saturday, Sept. 17, 2022.
A glacier sits on a mountaintop on the way to remote Kharnak village in the cold desert region of Ladakh, India, Saturday, Sept. 17, 2022. - Sputnik भारत, 1920, 23.03.2023
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आने वाले दशकों में भारत के लिए बेहद अहम मानी जाने वाली नदियों को जलवायु परिवर्तन से गंभीर नुकसान होने की संयुक्‍त राष्‍ट्र महासच‍िव ने चेतावनी दी है।
संयुक्‍त राष्‍ट्र महासच‍िव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि हिमालय से निकलने वाली प्रमुख नदियां सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र के जल प्रवाह में कमी देखी जा सकती है क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग के कारण आने वाले दशकों में हिमनद यानी ग्लेशियर चादरें कम हो जाएंगी।
इंटरनेशनल ईयर ऑफ ग्लेशियर प्रिजर्वेशन पर आयोजित एक कार्यक्रम में गुटेरेस ने कहा कि हिमनद पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक है। दुनिया के 10 प्रतिशत हिस्से में हिमनद हैं। हिमनद दुनिया के लिए जल का एक बड़ा स्रोत भी है। लेकिन अंटार्कटिका हर साल औसतन 150 बिलियन टन बर्फ खो रहा है, जबकि ग्रीनलैंड की बर्फ की टोपी और भी तेजी से पिघल रही है यानी प्रति वर्ष लगभग 270 बिलियन टन बर्फ कम हो रही है।
"जैसे-जैसे आने वाले दशकों में हिमनद और बर्फ की चादरें घटेंगी, वैसे-वैसे सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी प्रमुख हिमालयी नदियों में इसका प्रभाव दिखेगा और उनका जल प्रवाह कम होता जाएगा," गुटेरेस ने कहा।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के आंकड़ों का गुटेरेस ने हवाला दिया जिसमें चेतावनी दी गई थी कि समुद्र का स्तर पिछले 3,000 वर्षों में किसी भी पिछली सदी की तुलना में साल 1900 के बाद से तेजी से बढ़ा है।
“जब तक हम इस प्रवृत्ति को नहीं बदलते हैं, इसके नतीजे विनाशकारी होंगे। निचले इलाकों के समुदायों और पूरे देश को हमेशा के लिए मिटा दिया जा सकता है। हम दुनिया भर में बाढ़, सूखा और भूस्खलन जैसे प्राकृतिक आपदा देखेंगे,” गुटेरेस ने कहा।
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