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कौन हैं बांग्लादेश के नए राष्ट्रपति शहाबुद्दीन चुप्पू?

© Twitter/@Amirul1971Mohammed Shahabuddin becomes the 22nd President of Bangladesh
Mohammed Shahabuddin becomes the 22nd President of Bangladesh - Sputnik भारत, 1920, 24.04.2023
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स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता मोहम्मद शहाबुद्दीन ने 21वें राष्ट्रपति एम अब्दुल हामिद की जगह ली। अब्दुल हमीद लगातार दो बार राष्ट्रपति के रूप में 10 साल और 41 दिन बिताने के बाद सेवानिवृत्त हुए।  
बांग्लादेश के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शहाबुद्दीन चुप्पू ने पांच साल के कार्यकाल के लिए बांग्लादेश के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है। संसदीय अध्यक्ष शिरीन शर्मिन चौधरी ने सोमवार को ढाका के बंग भवन राष्ट्रपति भवन में बांग्लादेश के 22वें राष्ट्रपति शहाबुद्दीन को पद की शपथ दिलाई।
सत्तारूढ़ अवामी लीग (AL) पार्टी के उम्मीदवार चुप्पू को 13 फरवरी को निर्विरोध चुना गया क्योंकि कोई भी अन्य उम्मीदवार राष्ट्रपति की दौड़ में शामिल नही था। 305 में से 302 सदस्यों के साथ राष्ट्रीय संसद में AL पार्टी के पास बहुमत है इसलिए किसी अन्य पार्टी के पास राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को नामित करने के लिए संख्या नहीं थी। निवर्तमान राष्ट्रपति हामिद ने शपथ लेने के बाद नए राष्ट्रपति को बधाई दी। बांग्लादेश में लगातार 10 वर्षों तक राष्ट्रपति पद पर रहने वाले एकमात्र व्यक्ति हामिद हैं।

नए राष्ट्रपति शहाबुद्दीन चुप्पू का जीवन

मोहम्मद शहाबुद्दीन का जन्म 10 दिसंबर 1949 को पबना कस्बे के श्रीरामपुर के जुबली टैंक इलाके में हुआ था, उनका उपनाम चुप्पू है। उनके पिता का नाम सरफुद्दीन अंसारी और माता खैरुन्नेसा है। वह 1971 में देश के स्वतंत्रता संग्राम में एक स्वतंत्रता सेनानी भी रह चुके हैं। 1974 में राजशाही विश्वविद्यालय से एमएससी की डिग्री प्राप्त की, बाद में उन्होंने एलएलबी और बीसीएस (कानून) की परीक्षा उत्तीर्ण की।

छात्र जीवन और आंदोलनकारी

निर्वाचित राष्ट्रपति छात्र लीग की पबना एडवर्ड कॉलेज इकाई के महासचिव, पबना जिला छत्र लीग के अध्यक्ष भी रहे थे। वह जिला इकाई के बांग्लादेश कृषक श्रमिक अवामी लीग (BaKSAL) के संयुक्त सचिव और अवामी लीग जिला इकाई के प्रचार सचिव भी रहे।
शहाबुद्दीन ने 1966 में 6-सूत्रीय आंदोलन, 1967 में भुट्टा (मक्का) आंदोलन, 1979 में जन-विद्रोह, 1970 के चुनाव और 1971 में मुक्ति संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया। वह पबना जिले के अग्रिम पंक्ति के आंदोलन के आयोजक थे और उन्होंने 15 अगस्त, 1975 की क्रूर घटनाओं के तुरंत बाद विरोध किया। इसके बाद उन्हें तीन साल की कैद हुई और तत्कालीन सैन्य तानाशाहों द्वारा अमानवीय यातनाएं दी गईं।
मो. शहाबुद्दीन पत्रकारिता (दैनिक बांग्ला बानी) में भी थे और विभिन्न भाषाओं में अच्छी संख्या में लेख भी प्रकाशित हुआ करते थे।

नौकरी में जीवन

अपने करियर के दौरान, उन्होंने जिला और सत्र न्यायाधीश में भ्रष्टाचार निरोधक आयुक्त के रूप में कार्य किया। उन्होंने प्रधान मंत्री कार्यालय के निदेशक और बंगबंधु मर्डर केस में कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्रालय को सौंपे गए समन्वयक के रूप में भी काम किया। शहाबुद्दीन लगातार दो बार बीसीएस (न्यायपालिका) एसोसिएशन के महासचिव चुने गए।
बाद में उन्होंने 2001 के चुनाव के बाद की हिंसा की जांच में न्यायिक जांच आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। ACC आयुक्त के रूप में, मोहम्मद शहाबुद्दीन ने पद्म ब्रिज परियोजना के खिलाफ तथाकथित भ्रष्टाचार की साजिश से निपटने में अपनी गहरी दृढ़ता साबित की।
इस पूर्व छात्र नेता ने बांग्लादेश अवामी लीग की सलाहकार परिषद के सदस्य और पार्टी की केंद्रीय प्रचार और प्रकाशन उप-समिति के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। चुप्पू 2006 में न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए। हालांकि उन्होंने 2011 से 2016 तक देश के भ्रष्टाचार-विरोधी आयोग के आयुक्त के रूप में भी कार्य किया।
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