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तेल पर भारत का रुख यूरोपीय संघ को प्रतिबंधों में कटौती करने के लिए प्रेरित कर सकता है: विशेषज्ञ

© AP Photo / Charlie RiedelIn this April 24, 2015 file photo, pumpjacks work in a field near Lovington, N.M. The United States may have reclaimed the title of the world's biggest oil producer sooner than expected
In this April 24, 2015 file photo, pumpjacks work in a field near Lovington, N.M. The United States may have reclaimed the title of the world's biggest oil producer sooner than expected - Sputnik भारत, 1920, 17.05.2023
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मास्को (Sputnik) - पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति पर ब्रुसेल्स के रुख को लेकर नई दिल्ली के बयान दिखाते हैं कि भारत यूरोपीय संघ के नियमों के अनुसार नहीं रहेगा, संभव है कि यूरोपीय लोगों को अपनी प्रतिबंध नीति को कम करना पड़ेगा, प्लेखानोव रूसी यूनिवर्सिटी ऑफ ईकनामिक्स में हाइयर स्कूल ऑफ फाइनैन्स के निदेशक कोन्स्तन्तीन ओद्रोव ने Sputnik को बताया।
इससे पहले जोसेप बोरेल ने कहा था कि यूरोपीय संघ को भारत के व्यवहार के खिलाफ कदम उठाना चाहिए, जो कथित रूप से यूरोप में बिक्री के लिए रूस से तेल को रिफाइन करता है।

उनके अनुसार, यह प्रतिबंधों का उल्लंघन है और [यूरोपीय संघ के] सदस्य देशों को कदम उठाना चाहिए। जवाब में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बोरेल से यूरोपीय संघ की परिषद के नियमों को पढ़ने को कहा।

बोरेल के बयानों पर भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी करते हुए ओद्रोव ने कहा, "मुझे लगता है कि भारत केवल एक पक्ष के हितों पर काम करने वाली मांगों के अनुसार रहने में दिलचस्पी नहीं लेता है।"

India's Foreign Minister Subrahmanyam Jaishankar gestures as he speaks during a news conference at the media centre for the Shanghai Cooperation Organization (SCO) meeting in Benaulim on May 5, 2023. (Photo by Punit PARANJPE / AFP) - Sputnik भारत, 1920, 17.05.2023
व्यापार और अर्थव्यवस्था
रूसी तेल खरीद को लेकर जयशंकर ने यूरोपीय संघ को दिया करारा जवाब
विशेषज्ञ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत जैसे देशों का व्यवहार यूरोपीय संघ को प्रतिबंधों को कम करने के मुद्दे को उठाने पर मजबूर कर सकता है।

"भारत जैसे देशों और सभी अन्य देशों के अधिक स्वतंत्र व्यवहार के नतीजे में इस वर्ष के दूसरे आधे में यूरोपीय लोगों को प्रतिबंध हटाने के मुद्दे पर चर्चा शुरू करना पड़ेगा। उनके पास आर्थिक रूप से कोई अन्य विकल्प भी नहीं है। खासकर अगर तिमाही के दौरान वित्तीय संकट [का अनुमान किया जाता है], और इसकी अत्यधिक संभावना है," ओद्रोव ने कहा।

उन्होंने याद दिलाया कि भारत अब तेल आपूर्ति के संदर्भ में रूस के साथ सहयोग से लाभ उठा रहा है, जो इसे छूट पर रूसी तेल खरीदने और रुपये में भुगतान करने देता है। भारत के लिए ऐसे सहयोग में "आर्थिक और वित्तीय अर्थ स्पष्ट और प्रत्यक्ष है।"
विशेषज्ञ ने कहा, "यह द्विपक्षीय व्यापार में संबंधों के विकास के लिए महत्वपूर्ण प्रेरक के रूप में काम करता है, जो सामान्य रूप से भारत और रूस दोनों के लिए फायदेमंद है।"
उनकी राय में बोरेल को मालूम है कि इस तरह के भारतीय-रूसी सहयोग के कारण यूरोपीय उद्यमियों को लाभ नहीं मिलता, इसलिए भारत को लेकर उनका रुख ऐसा ही है।
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राजनीति
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उस सवाल का जवाब देते हुए कि क्या यूरोपीय देश भारत के खिलाफ उपायों पर बोरेल के विचार का समर्थन करेंगे, ओद्रोव ने कहा कि "गैस की कीमतों में तेज वृद्धि का अनुभव वाले देश तेल बाजार में इस अस्थिरता को आने देने को लेकर दस बार सोचेंगे, जो मुद्रास्फीति को और बढ़ा सकती है, जिससे लड़ने में सिर्फ असफलता मिली है।“
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