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ब्रिक्स की सबलता से G7 के लिए बढ़ती प्रतिद्वंदिता

© Sputnik / Michael Klimentyev / मीडियाबैंक पर जाएंRussian President Vladimir Putin takes part in unofficial BRICS summit in Antalya
Russian President Vladimir Putin takes part in unofficial BRICS summit in Antalya - Sputnik भारत, 1920, 20.05.2023
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वैश्विक अर्थव्यवस्था में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) का बढ़ता प्रभाव हिरोशिमा में आगामी G7 शिखर सम्मेलन में चर्चा का एक प्रमुख विषय होने वाला है।
अब ब्रिक्स में पांच सदस्य देश सम्मिलित हैं, लेकिन अल्जीरिया, अर्जेंटीना, मिस्र, ईरान, इंडोनेशिया, बहरीन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात सहित 19 अन्य देश भी उस में सम्मिलित होने में इच्छुक हैं।
इस अगस्त में दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स के 15वें शिखर सम्मेलन के अवसर पर उसके सदस्य देश साझी मुद्रा स्थापित करने की संभावना पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं, जिसका उद्देश्य अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करना और वैश्विक आर्थिक स्थिति को बदलना है।
क्या ब्रिक्स पश्चिम की सामूहिक शक्ति के प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभर सकता है? क्या प्रस्तावित "ब्रिक्स मुद्रा" डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए तैयार है?
10th BRICS summit in Johannesburg, South Africa - Sputnik भारत, 1920, 18.01.2023
विश्व
ब्रिक्स डॉलर से इन्कार करने के लिए नई भुगतान प्रणाली पर विचार कर रहा है
प्रभावशाली जापानी व्यापार समाचार पत्र संकेई शिंबुन के अनुसार, इस पहल का प्राथमिक लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम करना है, जबकि "ब्रिक्स की साझी मुद्रा" के विचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। अमेरिका में ब्याज दरों में हालिया वृद्धि और यूक्रेन संकट जैसे कारकों ने डॉलर को ज्यादा मजबूत किया, जिसके कारण विकासशील देशों की मुद्राओं के मूल्य में कटौती हुई और असंतोष फैल गया। इसके अलावा उस बात को लेकर चिंता बढ़ रही है कि वाशिंगटन के प्रतिबंध कुछ देशों को डॉलर का प्रयोग करना समाप्त करने पर विवश कर सकते हैं।

ब्रिक्स की बहुत बड़ी क्षमता है, जिसको अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिम भी स्वीकार किए बिना रह नहीं सकता

ब्रिक्स में रुचि दिखाने के लिए दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को किस चीज ने प्रेरित किया है, और क्या प्रस्तावित "ब्रिक्स की मुद्रा" "किंग डॉलर" को हटा सकती है? उत्तर की तलाश में Sputnik ने इंस्टिट्यूट ऑफ कंटेम्परेरी डेवलपमेंट में अर्थशास्त्र और वित्त ट्रैक के प्रमुख निकीता मास्लेनिकोव से बात की।

"G7 देशों के लिए भी ब्रिक्स की क्षमता निश्चित है। इस साल भारत और चीन ही वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में पचास प्रतिशत वृद्धि का योगदान करने वाले हैं, जबकि यूरोपीय संघ और अमेरिका के साथ उनके व्यापार की मात्रा 1.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में ब्रिक्स की भूमिका और इसके साथ वह दर्शाता है कि ब्रिक्स को अब केवल उभरती ताकत के रूप में नहीं समझा जाता है, बल्कि उसको भविष्य की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार के रूप में समझा जाता है। ब्रिक्स के सदस्य देशों और इस में सम्मिलित होने को लेकर इच्छुक प्रतिभागियों की बढ़ती आर्थिक भूमिका राजनीतिक प्रभाव में बदल रही है।“

मास्लेनिकोव के अनुसार, G7 की चिंताएं मुख्य रूप से महामारी के कारण हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था के विखंडन और यूक्रेन संकट से संबंधित हैं।
"इन दो कारकों ने अंतर्राष्ट्रीय वित्त, खाद्य की आपूर्ति और ऊर्जा के वितरण को नुकसान पहुंचाया, जबकि अतिरिक्त व्यापार बाधाओं ने क्षेत्रीय विवादों को और गहरा कर दिया। यह ब्रिक्स सहित सभी देशों के सामने स्पष्ट और दूरगामी संकट खड़ा करता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के विखंडन की वजह से दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद में सात प्रतिशत कटौती हो सकती है, जो जर्मनी और जापान के संयुक्त वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद के बराबर है। इसलिए, G7 इस बड़ी चुनौती का सामना करने को लेकर ब्रिक्स देशों के रुख और प्रस्तावित उपायों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक है।”
ब्रिक्स में साझी मुद्रा की संभावना के बारे में बात करते हुए मास्लेनिकोव ने कहा कि इसको अमल में लाना दीर्घकालिक लक्ष्य है।
"अब ब्रिक्स देशों के लिए द्विपक्षीय भुगतनों में राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करने के लिए शर्तें स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। साझी मुद्रा को बनाना अधिक जटिल और दीर्घकालिक चरण है, जिसके लिए क्षेत्रीय मौद्रिक प्रणाली की स्थापना, साझे प्रबंधन और समन्वय की मदद से नियंत्रित एकीकृत भुगतान तंत्र की आवश्यकता है," मास्लेनिकोव ने बताया।
"आर्थिक और कस्टम संघों के साथ-साथ साझे बाजार सहित कई उपायों को अभ्यास में लाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, न्यूनतम शुरुआती शर्त के रूप में सभी देशों को सबसे पहले कई वर्षों की राजनीतिक स्थिरता को सुनिश्चित करना चाहिए। यूरोप को अपनी मुद्रा को प्रस्तुत करने में 40 साल लग गए थे, इसलिए भविष्य में ब्रिक्स का रास्ता वास्तव में लंबा है," विशेषज्ञ ने अंत में कहा।
Screaming dollar - Sputnik भारत, 1920, 18.05.2023
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अमेरिकी डॉलर का समय समाप्त हो रहा है, अमेरिकी निवेशक ने Sputnik को बताया
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