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अमेरिका चाहता है कि भारत निष्पक्षता के पश्चिमी रूप का पालन करे: भू-राजनीतिक विश्लेषक
अमेरिका चाहता है कि भारत निष्पक्षता के पश्चिमी रूप का पालन करे: भू-राजनीतिक विश्लेषक
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हाल ही में अमेरिका ने भारत को मास्को से अपने घनिष्ठ संबंध तोड़ने पर विवश करने का प्रयास किया, लेकिन नई दिल्ली ने किसी खेमे में सम्मिलित होने से इनकार करके अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखी है।
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नई दिल्ली को अपने निकटतम सहयोगी और रक्षा साझेदार यानी रूस से दूर करने के वाशिंगटन के तीव्र प्रयासों के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका भारत पर दबाव डाल रहा है ताकि वह निष्पक्षता के पश्चिमी रूप का पालन करे।मेलबर्न में ला ट्रोब विश्वविद्यालय के एक एमेरिटस प्रोफेसर जोसेफ कैमिलेरी ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर विशेष ध्यान देते हुए अमेरिका की राजकीय यात्रा पर हैं।कैमिलेरी ने मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच भेंट के मुख्य एजेंडे पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मोदी-बाइडन शिखर वार्ता का उद्देश्य दोनों नेताओं के लिए अलग है। उन्होंने कहा कि मोदी और बाइडन के पास बहुत अलग एजेंडे हैं, हालांकि वे साझे विचारों पर जोर देने की संभावना है।उन्होंने तर्क दिया कि मोदी के नेतृत्ववाले भारत के लिए मुख्य उद्देश्य अधिकांशतः घरेलू हैं।सबसे पहले, मोदी सरकार को यह सुनिश्चित करना था कि अमेरिका मुसलमानों, सिखों, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों के प्रति उसके व्यवहार की किसी गंभीर आलोचना में सम्मिलित न हो। दूसरा, व्यापार का विस्तार करने और निवेश, प्रौद्योगिकी और सहायता तक अधिक पहुंच प्राप्त करने की दृष्टि से वह अमरीका और पूरे पश्चिम से आर्थिक संबंध बढ़ाना चाहता है।कैमिलेरी ने आगे कहा कि चीन का नियंत्रण एक महत्वपूर्ण अमेरिकी सामरिक उद्देश्य है। इसके लिए, वाशिंगटन ने एक व्यापक गठबंधन बनाया है जिसमें जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस और अन्य देश सम्मिलित हैं।यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को अपनी विदेश नीति की स्वायत्तता के बारे में चिंतित होना चाहिए क्योंकि अमेरिका का 'सहयोग' करने से रूस से उसके रक्षा संबंध प्रभावित हो सकते हैं, कैमिलेरी ने नकारात्मक जवाब दिया।उन्होंने उल्लेख किया कि भारत बहुत बड़ा देश है, इसकी अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से बढ़ रही है, और इसकी सांस्कृतिक परंपराएं ऐसी हैं कि स्वायत्तता का संकट उठाने वाली नीतियों को सक्रिय रूप से अग्रसित करने की संभावना नहीं है।
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अमेरिका चाहता है कि भारत निष्पक्षता के पश्चिमी रूप का पालन करे: भू-राजनीतिक विश्लेषक
हाल ही में अमेरिका ने भारत को मास्को से अपने घनिष्ठ संबंध तोड़ने पर विवश करने का प्रयास किया, लेकिन नई दिल्ली ने किसी खेमे में सम्मिलित होने से इनकार करके अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखी है।
नई दिल्ली को अपने निकटतम सहयोगी और रक्षा साझेदार यानी रूस से दूर करने के वाशिंगटन के तीव्र प्रयासों के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका भारत पर दबाव डाल रहा है ताकि वह निष्पक्षता के पश्चिमी रूप का पालन करे।
मेलबर्न में ला ट्रोब विश्वविद्यालय के एक एमेरिटस प्रोफेसर जोसेफ कैमिलेरी ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर विशेष ध्यान देते हुए
अमेरिका की राजकीय यात्रा पर हैं।
कैमिलेरी ने मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच भेंट के मुख्य एजेंडे पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मोदी-बाइडन शिखर वार्ता का उद्देश्य दोनों नेताओं के लिए अलग है।
उन्होंने कहा कि मोदी और बाइडन के पास बहुत अलग एजेंडे हैं, हालांकि वे साझे विचारों पर जोर देने की संभावना है।
"संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए जहां तक संभव हो वहाँ तक भारत को अपने दो मुख्य रणनीतिक उद्देश्यों में सम्मिलित करने पर बहुत अधिक ध्यान देना महत्त्वपूर्ण है अर्थात एक ओर रूस विरोधी अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन को प्रबल करना और दूसरी ओर चीन को रोकने जोर देना," ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञ ने कहा।
उन्होंने तर्क दिया कि मोदी के नेतृत्ववाले भारत के लिए मुख्य उद्देश्य अधिकांशतः घरेलू हैं।
सबसे पहले,
मोदी सरकार को यह सुनिश्चित करना था कि अमेरिका मुसलमानों, सिखों, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों के प्रति उसके व्यवहार की किसी गंभीर आलोचना में सम्मिलित न हो। दूसरा, व्यापार का विस्तार करने और निवेश, प्रौद्योगिकी और सहायता तक अधिक पहुंच प्राप्त करने की दृष्टि से वह अमरीका और पूरे पश्चिम से आर्थिक संबंध बढ़ाना चाहता है।
कैमिलेरी ने आगे कहा कि
चीन का नियंत्रण एक महत्वपूर्ण अमेरिकी सामरिक उद्देश्य है। इसके लिए, वाशिंगटन ने एक व्यापक गठबंधन बनाया है जिसमें जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस और अन्य देश सम्मिलित हैं।
"जहां तक भारत की बात है, अमेरिका को कोई आशा नहीं है कि इन देशों की तरह ही भारत भी घनिष्ठ सुरक्षा संबंध विकसित करेगा। लेकिन वह चाहता है कि भारत जिस हद तक संभव हो, उस हद तक निष्पक्षता के पश्चिमी रूप का पालन करे। यह QUAD साझेदारी का मुख्य उद्देश्य है जो अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत को एक साथ लाता है," उन्होंने बताया।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को अपनी विदेश नीति की स्वायत्तता के बारे में चिंतित होना चाहिए क्योंकि अमेरिका का 'सहयोग' करने से
रूस से उसके रक्षा संबंध प्रभावित हो सकते हैं, कैमिलेरी ने नकारात्मक जवाब दिया।
उन्होंने उल्लेख किया कि भारत बहुत बड़ा देश है, इसकी
अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से बढ़ रही है, और इसकी सांस्कृतिक परंपराएं ऐसी हैं कि स्वायत्तता का संकट उठाने वाली नीतियों को सक्रिय रूप से अग्रसित करने की संभावना नहीं है।
जिस तरह से भारत ने [यूक्रेन में विवाद] की प्रतिक्रिया दी वह उस सामान्य रवैया का संकेत है जिसका पालन वह शक्ति के तीन प्रमुख केंद्रों - अमेरिका, रूस और चीन - से अपने संबंधों में आने वाले वर्षों में करेगा।