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गेहूँ की सबसे अच्छी किस्में: नाम, हाइब्रिड प्रजातियाँ, विभिन्न प्रकार
गेहूँ की सबसे अच्छी किस्में: नाम, हाइब्रिड प्रजातियाँ, विभिन्न प्रकार
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सन 2022 में मई में भारत ने गेहूँ निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। वहीं भारत गेहूँ का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारतीय गेहूँ की कौन सी किस्में, संकर... 29.06.2023, Sputnik भारत
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विश्व खाद्य कीमतों में तेजी से वृद्धि के कारण सन 2022 में 13 मई को भारत सरकार ने देश से गेहूँ के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। उम्मीद थी कि विशेष सैन्य अभियान की स्थिति में यूक्रेन के बजाय भारत गेहूँ की आपूर्ति कर सकेगा, लेकिन भारत अपनी खाद्य सुरक्षा के बारे में खुद परेशान साबित हुआ। तो भारतीय गेहूँ इतना अच्छा क्यों माना जाता है और इसकी की सबसे अच्छी किस्में कौन सी हैं?गेहूँ की सर्वोत्तम किस्मेंसबसे आम अनाज गेहूँ है। यह पूरे विश्व में उगाया जाता है और उगने के क्षेत्रफल की दृष्टि से मक्के के बाद दूसरे स्थान पर है। यह मानव आहार में वनस्पति प्रोटीन के मुख्य स्रोत है और कई देशों में इसे एक रणनीतिक खाद्य पदार्थ माना जाता है। पोषण मूल्य की दृष्टि से, यह अनाज अन्य लोकप्रिय फसलों, उदाहरण के लिए चावल और मकई से कहीं बेहतर है। इसलिए भारत में गेहूं की बेहतरीन प्रदर्शन वाली किस्मों के विकास और विस्तार पर विशेष जोर दिया जाता है। यहाँ गेहूँ की कुछ बेहतरीन किस्में हैं।DBW 296DBW 296 हरियाणा के करनाल जिले में उगाई भारतीय गेहूँ की किस्म है और जौ अनुसंधान संस्थान (ICAR) द्वारा विकसित एक नई उच्च उपज देने वाली नरम गेहूँ की किस्म है। तीन सालों के परीक्षण के दौरान उत्तर पश्चिम भारत के विभिन्न स्थानों में सीमित सिंचाई हालात में उगाए जाने के समय इस किस्म ने उत्कृष्ट और लगातार पैदावार दिखाई है।DBW 327DBW 327 प्राकृतिक और कृत्रिम परिस्थितियों में धारी और पत्ती के जंग के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी है, जैसा कि निम्न ACI आंकड़ों से स्पष्ट है। इसने धारीदार जंग की प्रमुख प्रजातियों के प्रति भी प्रतिरोधी साबित हुआ है।DBW 332DBW 332 की औसत उपज 78.3q/ha है और संभावित उपज 83.0q/ha है। DBW 332 धारीदार और पत्ती जंग के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी है।DBW 222यह किस्म भूरे रतुआ के प्रति प्रतिरोधी है, पीले रतुआ के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है। देर से बुआई करने पर उपज में केवल 18.4% की कमी साबित हुई, चपाती गुणवत्ता स्कोर 7.5/10 और ब्रेड गुणवत्ता स्कोर 8.24 था।DBW 252पत्तों की बीमारियों के प्रति उच्च प्रतिरोधी और सूखे के प्रति सहनशीलता वाली करण श्रिया यानी DBW 252 नामक किस्म को उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में प्रतिबंधित सिंचाई हालात के लिए विकसित किया गया था।HI 8759इस किस्म की उच्च उर्वरता के लिए ठीक समय पर बुआई एक अनिवार्य शर्त है। भारत के मध्य क्षेत्र में व्यावसायिक खेती के लिए इसकी सिफारिश की गई है।HW 5207HW 5207 एक अधिक उपज देने वाली ब्रेड किस्म है जो कम सिंचाई की स्थिति में तमिलनाडु के दक्षिणी पहाड़ी क्षेत्रों और आसपास के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।HS 562अच्छी सिंचाई के हालात में इसकी उपज की आनुवंशिक क्षमता 6.2 टन/हैक्टर है। पत्ती और धारीदार जंग के प्रति उसका प्रतिरोध अच्छे स्तर पर है और चपाती और ब्रेड बनाने के लिए वह उपयुक्त है।HD 4728पत्ती और तने के रतुआ रोगों के प्रति इस किस्म की क्षमता बहुत उच्च है। इसके दानों से उच्च गुणवत्ता वाली सूजी की जा सकती है।HD 3171HD 3171 भारत के उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में वर्षा के समय में बुआई के लिए उपयुक्त है।गेहूँ की अन्य अधिक उपज देने वाली किस्मेंकरनाल में स्थित भारतीय गेहूँ और जौ अनुसंधान संस्थान (ICAR) के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह के अनुसार देश का गेहूँ उत्पादन 2022-2023 फसल वर्ष में 2.3 करोड़ टन होने की उम्मीद है, जो पिछले साल की रबी कटाई की ऋतु की तुलना में लगभग 0.5 करोड़ टन ज़्यादा है।सिंह ने अनुकूल मौसम, रकबे में बढ़ोतरी और अधिक उपज देने वाली फसल किस्मों को गेहूँ उत्पादन में अपेक्षित बढ़ोतरी की वजह समझा जाता है।ऊपर वर्णित गेहूँ की किस्मों के अलावा अन्य अत्यधिक उपजाऊ प्रजातियाँ भी हैं। उदाहरण के लिए सिंह ने अधिक उपज देने वाली किस्मों के रूप में DBW 187, DBW 303 और HD 3226 का ज़िक्र किया है, जो बड़े पैमाने पर हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी यूपी और राजस्थान में बोई जाती हैं।गेहूँ की फ़सल इकट्ठा करने में कितना समय लगता है?गेहूँ की फसल बोने के लिए नवंबर से दिसंबर तक की आवधि सबसे अच्छी है लेकिन प्रत्येक क्षेत्र में इस फसल की बुआई के लिए अलग-अलग समय होता है। जब दानों की भूसी भुरभुरी, सूखी और संरचना में कठोर दिखने लगे तो गेहूँ कटाई के लिए तैयार हो जाता है। अलग-अलग क्षेत्रों में कटाई की समय-सीमा भी अलग-अलग होती है। आखिरी कटाई मार्च में होती है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि सिंचित गेहूँ की तुलना में वर्षा आधारित गेहूँ की फसलें तेजी से परिपक्व होती हैं और कटाई के लिए भी तेजी से तैयार हो जाती हैं।
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वैश्विक खाद्य संकट, भारत, कृषि, भारतीय किसान
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गेहूँ की सबसे अच्छी किस्में: नाम, हाइब्रिड प्रजातियाँ, विभिन्न प्रकार
सन 2022 में मई में भारत ने गेहूँ निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। वहीं भारत गेहूँ का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारतीय गेहूँ की कौन सी किस्में, संकर प्रजातियाँ और प्रजातियाँ सबसे अच्छी हैं?
विश्व खाद्य कीमतों में तेजी से वृद्धि के कारण सन 2022 में 13 मई को भारत सरकार ने देश से गेहूँ के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की।
उम्मीद थी कि विशेष सैन्य अभियान की स्थिति में यूक्रेन के बजाय भारत गेहूँ की आपूर्ति कर सकेगा, लेकिन भारत अपनी खाद्य सुरक्षा के बारे में खुद परेशान साबित हुआ। तो भारतीय गेहूँ इतना अच्छा क्यों माना जाता है और इसकी की सबसे अच्छी किस्में कौन सी हैं?
गेहूँ की सर्वोत्तम किस्में
सबसे आम अनाज गेहूँ है। यह पूरे विश्व में उगाया जाता है और उगने के क्षेत्रफल की दृष्टि से मक्के के बाद दूसरे स्थान पर है। यह मानव आहार में वनस्पति प्रोटीन के मुख्य स्रोत है और कई देशों में इसे एक रणनीतिक खाद्य पदार्थ माना जाता है। पोषण मूल्य की दृष्टि से, यह अनाज अन्य लोकप्रिय फसलों, उदाहरण के लिए चावल और मकई से कहीं बेहतर है।
इसलिए भारत में गेहूं की बेहतरीन प्रदर्शन वाली किस्मों के विकास और विस्तार पर विशेष जोर दिया जाता है। यहाँ गेहूँ की कुछ बेहतरीन किस्में हैं।
DBW 296 हरियाणा के करनाल जिले में उगाई भारतीय गेहूँ की किस्म है और जौ अनुसंधान संस्थान (ICAR) द्वारा विकसित एक नई उच्च उपज देने वाली नरम गेहूँ की किस्म है। तीन सालों के परीक्षण के दौरान उत्तर पश्चिम भारत के विभिन्न स्थानों में सीमित सिंचाई हालात में उगाए जाने के समय इस किस्म ने उत्कृष्ट और लगातार पैदावार दिखाई है।
DBW 327 प्राकृतिक और कृत्रिम परिस्थितियों में धारी और पत्ती के जंग के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी है, जैसा कि निम्न ACI आंकड़ों से स्पष्ट है। इसने धारीदार जंग की प्रमुख प्रजातियों के प्रति भी प्रतिरोधी साबित हुआ है।
DBW 332 की औसत उपज 78.3q/ha है और संभावित उपज 83.0q/ha है। DBW 332 धारीदार और पत्ती जंग के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी है।
यह किस्म भूरे रतुआ के प्रति प्रतिरोधी है, पीले रतुआ के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है। देर से बुआई करने पर उपज में केवल 18.4% की कमी साबित हुई, चपाती गुणवत्ता स्कोर 7.5/10 और ब्रेड गुणवत्ता स्कोर 8.24 था।
पत्तों की बीमारियों के प्रति उच्च प्रतिरोधी और सूखे के प्रति सहनशीलता वाली करण श्रिया यानी DBW 252 नामक किस्म को उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में प्रतिबंधित सिंचाई हालात के लिए विकसित किया गया था।
इस किस्म की उच्च उर्वरता के लिए ठीक समय पर बुआई एक अनिवार्य शर्त है। भारत के मध्य क्षेत्र में व्यावसायिक खेती के लिए इसकी सिफारिश की गई है।
HW 5207 एक अधिक उपज देने वाली ब्रेड किस्म है जो कम सिंचाई की स्थिति में तमिलनाडु के दक्षिणी पहाड़ी क्षेत्रों और आसपास के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।
अच्छी सिंचाई के हालात में इसकी उपज की आनुवंशिक क्षमता 6.2 टन/हैक्टर है। पत्ती और धारीदार जंग के प्रति उसका प्रतिरोध अच्छे स्तर पर है और चपाती और ब्रेड बनाने के लिए वह उपयुक्त है।
पत्ती और तने के रतुआ रोगों के प्रति इस किस्म की क्षमता बहुत उच्च है। इसके दानों से उच्च गुणवत्ता वाली सूजी की जा सकती है।
HD 3171 भारत के उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में वर्षा के समय में बुआई के लिए उपयुक्त है।
गेहूँ की अन्य अधिक उपज देने वाली किस्में
करनाल में स्थित भारतीय गेहूँ और जौ अनुसंधान संस्थान (ICAR) के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह के अनुसार देश का गेहूँ उत्पादन 2022-2023 फसल वर्ष में 2.3 करोड़ टन होने की उम्मीद है, जो पिछले साल की रबी कटाई की ऋतु की तुलना में लगभग 0.5 करोड़ टन ज़्यादा है।
सिंह ने अनुकूल मौसम, रकबे में बढ़ोतरी और अधिक उपज देने वाली फसल किस्मों को गेहूँ उत्पादन में अपेक्षित बढ़ोतरी की वजह समझा जाता है।
ऊपर वर्णित गेहूँ की किस्मों के अलावा अन्य अत्यधिक उपजाऊ प्रजातियाँ भी हैं। उदाहरण के लिए सिंह ने अधिक उपज देने वाली किस्मों के रूप में DBW 187, DBW 303 और HD 3226 का ज़िक्र किया है, जो बड़े पैमाने पर हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी यूपी और राजस्थान में बोई जाती हैं।
"ये किस्में पूर्वी यूपी, बिहार के लिए भी अनुशंसित हैं और उनमें से दो मध्य प्रदेश और गुजरात के लिए भी अनुशंसित हैं। DBW 187 और 303 सारे-भारत की किस्में मानी जाती हैं और उन्हें बड़े क्षेत्रों के लिए अनुशंसित किया गया है," उन्होंने आगे कहा।
गेहूँ की फ़सल इकट्ठा करने में कितना समय लगता है?
गेहूँ की फसल बोने के लिए नवंबर से दिसंबर तक की आवधि सबसे अच्छी है लेकिन प्रत्येक क्षेत्र में इस फसल की बुआई के लिए अलग-अलग समय होता है।
जब दानों की भूसी भुरभुरी, सूखी और संरचना में कठोर दिखने लगे तो गेहूँ कटाई के लिए तैयार हो जाता है। अलग-अलग क्षेत्रों में कटाई की समय-सीमा भी अलग-अलग होती है। आखिरी कटाई मार्च में होती है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि सिंचित गेहूँ की तुलना में वर्षा आधारित गेहूँ की फसलें तेजी से परिपक्व होती हैं और कटाई के लिए भी तेजी से तैयार हो जाती हैं।