यूक्रेन संकट
मास्को ने डोनबास के लोगों को, खास तौर पर रूसी बोलनेवाली आबादी को, कीव के नित्य हमलों से बचाने के लिए फरवरी 2022 को विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था।

यूक्रेन ज़पोरोज्ये क्षेत्र में जवाबी हमले के दूसरे चरण की तैयारी कर रहा है: अधिकारी

 - Sputnik भारत, 1920, 02.07.2023
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सिम्फ़रोपोल (Sputnik) - यूक्रेन ने कई स्थगनों के बाद जून की शुरुआत में अपना लंबे समय से विज्ञापित जवाबी हमला शुरू किया था। रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यूक्रेनी सैनिक तीन दिशाओं (दक्षिण डोनेट्स्क, आर्टेमोव्स्क और ज़पोरोज्ये) में आगे बढ़ने में विफल हो रहे हैं।
ज़पोरोज्ये क्षेत्रीय प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी व्लादिमीर रोगोव ने Sputnik को बताया कि यूक्रेनी सेना आने वाले दिनों में ज़पोरोज्ये क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जवाबी हमले के दूसरे चरण का प्रयास करने की तैयारी कर रही है।

"दुश्मन पहले से ही पूर्ण पैमाने पर आक्रमण के दूसरे चरण के लिए तैयार है। यह किसी भी समय शुरू हो सकता है। यूक्रेन हमारी ख़ुफ़िया को धोखा देना चाहता है इसलिए जपोरोज्ये के मोर्चे पर संपर्क की रेखा के पास लगातार युद्धाभ्यास कर रहा है और सैनिकों को स्थानांतरित कर रहा है। यह मुख्य बलों के स्थान को छिपाने के लिए किया जा रहा है," व्लादिमीर रोगोव ने समझाया।

उन्होंने कहा कि यूक्रेनी सशस्त्र बाल सफलता के लिए अपना मुख्य हमला किसी भी स्थान पर कर सकते हैं।

"पिछले चार हफ्तों में उन्होंने लड़ाई में टोह लेने, आक्रामक विकल्पों, हमलों, हमारी प्रतिक्रिया और इकाइयों की बातचीत का अध्ययन करने के साथ-साथ बुनियादी ढांचे यानी पुलों, परिवहन केंद्रों, उपकरण और गोला-बारूद वाले डिपो, हवाई क्षेत्रों को गोलाबारी से नष्ट करने की कोशिश की है,“ व्लादिमीर रोगोव ने Sputnik को बताया।

 - Sputnik भारत, 1920, 01.07.2023
यूक्रेन संकट
खेरसॉन क्षेत्र में रूसी इस्कंदर मिसाइल ने नष्ट कर दिया पुल: वीडियो
रूस ने 24 फरवरी, 2022 को डोनेट्स्क और लुगांस्क जनवादी गणराज्यों द्वारा यूक्रेनी उकसावों के खिलाफ उनको बचाने में मदद की अपील के बाद यूक्रेन में अपना विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था। रूस की कार्रवाइयों के जवाब में अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने मास्को के खिलाफ व्यापक प्रतिबंध अभियान चलाया है और यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं।
30 सितंबर, 2022 को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और डोनेट्स्क और लुगांस्क जनवादी गणराज्यों के साथ-साथ खेरसॉन और ज़पोरोज्ये क्षेत्रों के प्रमुखों ने जनमत संग्रह के बाद, जिसमें भारी बहुमत स्थानीय लोगों ने रूस का हिस्सा बनने का समर्थन किया था, इन क्षेत्रों के रूस में प्रवेश पर समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे।
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