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भारत समुद्रयान परियोजना के तहत तीन लोगों को समुद्र में 6000 मीटर भेजने को तैयार
भारत समुद्रयान परियोजना के तहत तीन लोगों को समुद्र में 6000 मीटर भेजने को तैयार
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देश की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक समुद्रयान परियोजना, जिसके तहत एक सबमर्सिबल वाहन की मदद से तीन कर्मी समुद्र में 6000 मीटर की गहराई तक जाने के लिए तैयार है।
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अंतरिक्ष के साथ साथ भारत अब समुद्र की गहराइयों में खोज करता है। देश की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक समुद्रयान परियोजना, जिसके तहत एक सबमर्सिबल वाहन की सहायता से तीन कर्मी समुद्र में 6000 मीटर की गहराई तक जाने के लिए तैयार है। समुद्रयान परियोजना भारत की पहला मानवयुक्त महासागर मिशन है जो गहरे समुद्र के संसाधनों का अध्ययन करने और जैव विविधता मूल्यांकन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। भारत सरकार में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में लिखित उत्तर देते हुए जानकारी साझा की। यह परियोजना बड़े गहरे महासागर मिशन का भाग है, जो केंद्र की ब्लू इकोनॉमी नीति का समर्थन करती है। इस नीति का लक्ष्य देश की आर्थिक वृद्धि, बेहतर आजीविका, रोजगार सृजन और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए समुद्री संसाधनों का निरंतर उपयोग करना है। आशा जताई जा रही है कि यह परियोजना 2026 तक पूरी हो जाएगी और इसे चेन्नई में राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) द्वारा डिजाइन और विकसित किया जा रहा है।
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मानवयुक्त समुद्रयान ख़बरें, भारत का समुद्र मिशन, समुद्रयान परियोजना के तहत एक सबमर्सिबल वाहन, तीन कर्मी जाएंगे समुद्र में 6000 मीटर अंदर, भारत की पहला मानवयुक्त महासागर मिशन, केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्य सभा में, केंद्र की ब्लू इकोनॉमी नीति का समर्थन, चेन्नई में राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (niot) द्वारा डिजाइन और विकसित
मानवयुक्त समुद्रयान ख़बरें, भारत का समुद्र मिशन, समुद्रयान परियोजना के तहत एक सबमर्सिबल वाहन, तीन कर्मी जाएंगे समुद्र में 6000 मीटर अंदर, भारत की पहला मानवयुक्त महासागर मिशन, केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्य सभा में, केंद्र की ब्लू इकोनॉमी नीति का समर्थन, चेन्नई में राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (niot) द्वारा डिजाइन और विकसित
भारत समुद्रयान परियोजना के तहत तीन लोगों को समुद्र में 6000 मीटर भेजने को तैयार
MATSYA 6000 नाम का यह सबमर्सिबल वाहन सामान्य ऑपरेशन के तहत 12 घंटे और मानव सुरक्षा के लिए आपातकालीन स्थिति में 96 घंटे तक चल सकता है।
अंतरिक्ष के साथ साथ भारत अब समुद्र की गहराइयों में खोज करता है। देश की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक समुद्रयान परियोजना, जिसके तहत एक सबमर्सिबल वाहन की सहायता से तीन कर्मी समुद्र में 6000 मीटर की गहराई तक जाने के लिए तैयार है।
समुद्रयान परियोजना भारत की पहला मानवयुक्त महासागर मिशन है जो गहरे समुद्र के संसाधनों का अध्ययन करने और जैव विविधता मूल्यांकन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
भारत सरकार में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री
किरेन रिजिजू ने गुरुवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में लिखित उत्तर देते हुए जानकारी साझा की।
यह परियोजना बड़े गहरे
महासागर मिशन का भाग है, जो केंद्र की ब्लू इकोनॉमी नीति का समर्थन करती है। इस नीति का लक्ष्य देश की आर्थिक वृद्धि, बेहतर आजीविका, रोजगार सृजन और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए समुद्री संसाधनों का निरंतर उपयोग करना है।
आशा जताई जा रही है कि यह परियोजना 2026 तक पूरी हो जाएगी और इसे चेन्नई में राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) द्वारा डिजाइन और विकसित किया जा रहा है।