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''वे दिन-ब-दिन एक के बाद एक मरते जाते थे'': हिरोशिमा पर बमबारी के जीवित साक्षी
''वे दिन-ब-दिन एक के बाद एक मरते जाते थे'': हिरोशिमा पर बमबारी के जीवित साक्षी
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6 अगस्त, 1945 को मानव जाति के इतिहास में एक कुख्यात दिन है जब संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापानी शहर हिरोशिमा पर परमाणु बम से हमला किया था, जिससे वह लगभग पूरी तरह से नष्ट हो गया था।
2023-08-06T14:20+0530
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अमेरिकियों द्वारा हिरोशिमा पर परमाणु बमबारी की 78वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर हिरोशिमा प्रान्त के परमाणु बम पीड़ितों के संगठन की परिषद के महासचिव, परमाणु विस्फोट के एक प्रत्यक्षदर्शी और पीड़ित काज़ुओ ओकोशी ने Sputnik को बताया कि उन्होंने उस भयानक दिन क्या देखा, और पृथ्वी पर परमाणु हथियारों के लिए कोई जगह क्यों नहीं है।Sputnik: कृपया हमें उस दिन के अपने अनुभव के बारे में बताइए जब हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया गया था।ओकोशी: उस दिन मैं शहर से लगभग दस किलोमीटर दूर एक गाँव में था, इसलिए फ्लैश और विस्फोट की लहर मुझ तक भी पहुँची। साफ आसमान में अचानक अंधेरा छा गया और लगभग 40 मिनट तक कुख्यात "काली बारिश" होने लगी। मैंने मरी हुई मछलियों को इस बारिश के समय नदी में बहते हुए देखा था। बहुत ही पीड़ित भयानक स्थिति में थे, फिर उन्हें उसी सुबह को कारों में डाला गया और ले जाया गया। रिकॉर्ड के अनुसार मेरे छोटे गाँव से लगभग 300 लोगों को ले जाया गया, लेकिन वे ठीक नहीं हुए, बल्कि वे सब दिन-ब-दिन एक के बाद एक मरते जाते थे। मैं तब 5 साल और 4 महीने का था, और मुझे याद है कि मृतकों के शवों को हर दिन निर्मित अस्थायी श्मशान में कैसे जलाया जाता था।Sputnik: मिस्टर ओकोशी, हिरोशिमा पर परमाणु बमबारी ने आपके परिवार को कैसे प्रभावित किया?ओकोशी: जहाँ तक मेरे करीबी रिश्तेदारों की बात है, मेरे चाचा की बमबारी के परिणामस्वरूप मृत्यु हो गई। मेरे सहित आठ अन्य लोगों को बाद में कानून द्वारा "हिबाकुशा" के नाम से माना गया, जिसका अर्थ परमाणु बमबारी से बचे लोग है।Sputnik: हिरोशिमा की त्रासदी के गवाह होते हुए आप आने वाली पीढ़ियों से क्या कह सकते हैं?ओकोशी: हिरोशिमा पर बमबारी से पता चला कि परमाणु हथियारों के प्रयोग से कितने विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं, इससे न केवल पीड़ितों, बल्कि उनके बच्चों और पोते-पोतियों के जीवन और अस्तित्व को कितना नुकसान होता है। जैसे-जैसे उनका परीक्षण जारी है, परमाणु हथियारों का ख़तरा और अधिक स्पष्ट होता जा रहा है। परिणामस्वरूप विश्व में परमाणु हथियारों के उन्मूलन के समर्थन में जनमत प्रबल हो रहा है। अब समय आ गया है कि परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध को तुरंत लाना चाहिए। मेरा मानना है कि परमाणु निषेध संधि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वास्तव में प्रभावी बनाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संरचना की आवश्यकता है जो प्रत्येक देश द्वारा इस संधि का एक साथ अनुसमर्थन सुनिश्चित कर सके। इसके लिए राजनेताओं और आम जनता के प्रयासों की आवश्यकता होगी। आज जब परमाणु हथियारों के उपयोग का खतरा बढ़ता ही जा रहा है, परमाणु हथियारों के उपयोग और विनाश पर रोक लगाने के लिए जनमत बनाना और उपयुक्त अभियान चलाना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। मेरा मानना है कि अब परमाणु हथियारों के प्रयोग के विरुद्ध लड़ाई में निर्णायक मोड़ आ गया है।
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''वे दिन-ब-दिन एक के बाद एक मरते जाते थे'': हिरोशिमा पर बमबारी के जीवित साक्षी
6 अगस्त, 1945 को मानव जाति के इतिहास में एक दुखद दिन है जब संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापानी शहर हिरोशिमा पर परमाणु बम से आक्रमण किया था, जिससे वह लगभग पूरी तरह से नष्ट हो गया था। इतिहास में परमाणु हथियारों के पहले युद्धक उपयोग के परिणामस्वरूप 1.5 किमी के दायरे में आया सारा जीवन ध्वस्त किया गया था।
अमेरिकियों द्वारा
हिरोशिमा पर परमाणु बमबारी की 78वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर हिरोशिमा प्रान्त के परमाणु बम पीड़ितों के संगठन की परिषद के महासचिव, परमाणु विस्फोट के एक प्रत्यक्षदर्शी और पीड़ित काज़ुओ ओकोशी ने Sputnik को बताया कि उन्होंने उस भयानक दिन क्या देखा, और पृथ्वी पर परमाणु हथियारों के लिए कोई जगह क्यों नहीं है।
Sputnik: कृपया हमें उस दिन के अपने अनुभव के बारे में बताइए जब हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया गया था।
ओकोशी: उस दिन मैं शहर से लगभग दस किलोमीटर दूर एक गाँव में था, इसलिए
फ्लैश और विस्फोट की लहर मुझ तक भी पहुँची। साफ आसमान में अचानक अंधेरा छा गया और लगभग 40 मिनट तक कुख्यात "काली बारिश" होने लगी। मैंने मरी हुई मछलियों को इस बारिश के समय नदी में बहते हुए देखा था। बहुत ही पीड़ित भयानक स्थिति में थे, फिर उन्हें उसी सुबह को कारों में डाला गया और ले जाया गया। रिकॉर्ड के अनुसार मेरे छोटे गाँव से लगभग 300 लोगों को ले जाया गया, लेकिन वे ठीक नहीं हुए, बल्कि वे सब दिन-ब-दिन एक के बाद एक मरते जाते थे। मैं तब 5 साल और 4 महीने का था, और मुझे याद है कि मृतकों के शवों को हर दिन निर्मित अस्थायी श्मशान में कैसे जलाया जाता था।
Sputnik: मिस्टर ओकोशी, हिरोशिमा पर परमाणु बमबारी ने आपके परिवार को कैसे प्रभावित किया?
ओकोशी: जहाँ तक मेरे करीबी रिश्तेदारों की बात है, मेरे चाचा की बमबारी के
परिणामस्वरूप मृत्यु हो गई। मेरे सहित आठ अन्य लोगों को बाद में कानून द्वारा "
हिबाकुशा" के नाम से माना गया, जिसका अर्थ परमाणु बमबारी से बचे लोग है।
Sputnik: हिरोशिमा की त्रासदी के गवाह होते हुए आप आने वाली पीढ़ियों से क्या कह सकते हैं?
ओकोशी: हिरोशिमा पर बमबारी से पता चला कि परमाणु हथियारों के प्रयोग से कितने विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं, इससे न केवल पीड़ितों, बल्कि उनके बच्चों और पोते-पोतियों के जीवन और अस्तित्व को कितना नुकसान होता है। जैसे-जैसे उनका परीक्षण जारी है, परमाणु हथियारों का ख़तरा और अधिक स्पष्ट होता जा रहा है। परिणामस्वरूप विश्व में परमाणु हथियारों के उन्मूलन के समर्थन में जनमत प्रबल हो रहा है। अब समय आ गया है कि परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध को तुरंत लाना चाहिए। मेरा मानना है कि परमाणु निषेध संधि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वास्तव में प्रभावी बनाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संरचना की आवश्यकता है जो प्रत्येक देश द्वारा इस संधि का एक साथ अनुसमर्थन सुनिश्चित कर सके। इसके लिए राजनेताओं और आम जनता के प्रयासों की आवश्यकता होगी। आज जब परमाणु हथियारों के उपयोग का
खतरा बढ़ता ही जा रहा है, परमाणु हथियारों के उपयोग और विनाश पर रोक लगाने के लिए जनमत बनाना और उपयुक्त अभियान चलाना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। मेरा मानना है कि अब परमाणु हथियारों के प्रयोग के विरुद्ध लड़ाई में निर्णायक मोड़ आ गया है।