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अफगानिस्तान में तालिबान का शरिया कानून लागू करने पर जोर
अफगानिस्तान में तालिबान का शरिया कानून लागू करने पर जोर
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तालिबान शरिया कानून की अपनी व्याख्या को पूरी तरह से लागू करना चाहता है, जिसमें संभावित सार्वजनिक फांसी, अंग-भंग और कोड़े मारना शामिल है।
2023-08-08T13:49+0530
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अफगानिस्तान के कार्यवाहक आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने लघमान में धार्मिक मौलवियों, आदिवासी बुजुर्गों और स्थानीय अधिकारियों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश में मौजूदा जिहाद शरिया कानून लागू करना है।गौरतलब है कि 1996 से 2001 तक जब समूह सत्ता में था तालिबान के हिंसक दंड सिद्धांत के कार्यान्वयन में सार्वजनिक फांसी, पत्थरबाजी, कोड़े मारना और अंग-भंग शामिल थे।हालांकि पिछले साल अगस्त में अमेरिका समर्थित सरकार को बेदखल कर सत्ता पर कब्ज़ा करने के बाद, तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने के लिए अधिक उदारवादी छवि पेश करने का प्रयास किया, लेकिन उसके बाद के महीनों में, समूह ने अधिकारों और स्वतंत्रता पर रोक लगा दी है।बता दें कि अफगानिस्तान में महिलाएं अब अधिकांश क्षेत्रों में काम नहीं कर सकती हैं और लंबी दूरी की यात्रा के लिए पुरुष अभिभावक की आवश्यकता होती है, जबकि लड़कियों को माध्यमिक विद्यालय में जाने पर रोक लगा दी गई है।*आतंकवाद के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के तहत
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अफगानिस्तान में तालिबान का शरिया कानून लागू करने पर जोर
तालिबान* शरिया कानून की अपनी व्याख्या को पूरी तरह से लागू करना चाहता है, जिसमें संभावित सार्वजनिक फांसी, अंग-भंग और कोड़े मारना शामिल है।
अफगानिस्तान के कार्यवाहक आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने लघमान में धार्मिक मौलवियों, आदिवासी बुजुर्गों और स्थानीय अधिकारियों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश में मौजूदा जिहाद शरिया कानून लागू करना है।
"हम आज शरिया लागू करके और सरकार को कायम रखना सुनिश्चित करके और देश का पुनर्निर्माण करके जिहाद करते हैं," उन्होंने कहा।
गौरतलब है कि 1996 से 2001 तक जब समूह सत्ता में था तालिबान के
हिंसक दंड सिद्धांत के कार्यान्वयन में सार्वजनिक फांसी, पत्थरबाजी, कोड़े मारना और अंग-भंग शामिल थे।
हालांकि पिछले साल अगस्त में
अमेरिका समर्थित सरकार को बेदखल कर सत्ता पर कब्ज़ा करने के बाद, तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने के लिए अधिक उदारवादी छवि पेश करने का प्रयास किया, लेकिन उसके बाद के महीनों में, समूह ने अधिकारों और
स्वतंत्रता पर रोक लगा दी है।
बता दें कि
अफगानिस्तान में महिलाएं अब अधिकांश क्षेत्रों में काम नहीं कर सकती हैं और लंबी दूरी की यात्रा के लिए पुरुष अभिभावक की आवश्यकता होती है, जबकि लड़कियों को माध्यमिक विद्यालय में जाने पर रोक लगा दी गई है।
*आतंकवाद के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के तहत