व्यापार और अर्थव्यवस्था

रूसी कंपनी ने बेलारूस से भारत, वियतनाम और चीन तक नया इंटर मॉडल मार्ग किया शुरू

© Sputnik / Vitaliy Ankov / मीडियाबैंक पर जाएंThe FESCO Diomid container ship, the largest one in the history of the far eastern shipping, belonging to Far-Eastern Shipping Company, OJSC, unloaded in the port of Vladivostok
The FESCO Diomid container ship, the largest one in the history of the far eastern shipping, belonging to Far-Eastern Shipping Company, OJSC, unloaded in the port of Vladivostok - Sputnik भारत, 1920, 09.08.2023
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FESCO ट्रांसपोर्टेशन ग्रुप रूस में बंदरगाहों, रेल, एकीकृत लॉजिस्टिक्स और शिपिंग व्यवसाय में अग्रणी सार्वजनिक परिवहन और लॉजिस्टिक्स कंपनियों में से एक है।
रूसी मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी कंपनी FESCO ने एक बयान जारी कर कहा कि उसने बेलारूस से सेंट-पीटर्सबर्ग नामक रूसी शहर होते हुए भारत, वियतनाम और चीन तक एक नया इंटर मॉडल मार्ग शुरू किया है।
"नया इंटरमॉडल मार्ग मुख्य रूप से बेलारूस गणराज्य के निर्माताओं पर केंद्रित है, जो FESCO की अपनी सेवाओं द्वारा, अतिभारित पूर्वी बहुभुज को दरकिनार करते हुए, एक छोटे रेलवे ट्रैक के जरिए आकर्षक लागत पर और इष्टतम समय में अपने माल का परिवहन कर सकते हैं, जिसके अंतर्गत हम ग्राहकों को अपने जहाजों पर एक गारंटीकृत स्थान प्रदान करते हैं,” जर्मन मैस्लोव, उपाध्यक्ष, लीनियर और लॉजिस्टिक्स डिवीजन, फेस्को ने कहा।
इस मार्ग पर तीन चरणों में काम किया जाता है सबसे पहले माल को रेल के माध्यम से बेलारूस के विटेबस्क से सेंट-पीटर्सबर्ग के बंदरगाह स्टेशन एव्टोवो तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद कंटेनरों को कंपनी के जहाजों पर फिर से लोड किया जाता है और आखिर में नियमित गहरी समुद्री लाइनों द्वारा भारत के बंदरगाह न्हावा शेवा (जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह) और चीन के रिचजाओ, लियानयुंगंग, शंघाई, निंगबो और यान्टियन के बंदरगाह तक ले जाया जाता है।
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इसके अलावा कंटेनरों को वियतनाम के हाइफोंग बंदरगाह और दक्षिण-एशिया क्षेत्र के अन्य देशों में निंगबो बंदरगाह तक ट्रांसशिपमेंट के साथ पहुंचाया जा सकता है।
कंपनी के मुताबिक अभी एक 80 टुवेन्टी फुट इक्विवलेंट यूनिट (TEU) लकड़ी से लदी पहली कंटेनर ट्रेन 20 जून 2023 को विटेबस्क से रवाना हुई जो 22 जून को सेंट-पीटर्सबर्ग पहुंची इसके बाद 30 जून को फेस्को जहाज द्वारा कंटेनर को भेजा गया जिसके 9 अगस्त को शंघाई पहुंचने की उम्मीद है।
कंपनी के मुताबिक इस सारे परिवहन में लगभग 50 दिन लगते हैं।
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