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आकाश हर्षाये भारत तिरंगा फहराए: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 'हर घर तिरंगा' अभियान
आकाश हर्षाये भारत तिरंगा फहराए: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 'हर घर तिरंगा' अभियान
Sputnik भारत
हर घर तिरंगा अभियान स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में एक तीन दिवसीय कार्यक्रम है जिसमके तहत देश भर के सभी घरों पर तिरंगा फहराया जाएगा।
2023-08-15T08:59+0530
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आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत इस अभियान को शुरू किया गया था। यह अभियान स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 13 अगस्त से 15 अगस्त तक चलेगा। इस राष्ट्र समर्पित भावना से ओत-प्रोत कार्यक्रम में प्रत्येक भारतीय नागरिक को अपने घर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने हेतु केंद्र सरकार प्रेरित कर रही है। हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत अधिक से अधिक लोगों को राष्ट्रीय ध्वज उपलब्ध करवाया गया है। इस माह मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा कि “तिरंगा स्वतंत्रता और राष्ट्रीय एकता की भावना का प्रतीक है। प्रत्येक भारतीय का तिरंगे से भावनात्मक जुड़ाव है और यह हमें राष्ट्रीय प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए एवं कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है। मैं आप सभी से 13 से 15 अगस्त के बीच हर घर तिरंगा अभियान में भाग लेने का आग्रह करता हूं"।इस अभियान का मुख्य उद्देश्य क्या है?इस अभियान को प्रारंभ करने के पीछे लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना को जागृत करना और उन्हें तिरंगे के महत्व के विषय में जागरूकता को बढ़ावा देना है। लोगों के घरों के अलावा सार्वजनिक स्थानों, स्थानीय स्वशासित इकाइयों, शिक्षा संस्थानों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में भी तिरंगा झंडा फहराया जाएगा। तिरंगा झंडा 13 और 14 अगस्त को रात में भी फहराया जा सकता है।इस अभियान को पूर्णतः सफल बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने एक ऑनलाइन व्यवस्था भी प्रारंभ की है जहाँ पर सभी भारतीय नागरिक पंजीकरण करा सकते हैं और तिरंगे के साथ अपना फोटो एप्प या आधिकारिक वेबसाईट पर अपलोड करके प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं |राष्ट्रीय ध्वज स्वतंत्रता दिवस पर क्यों फहराया जाता है? प्रत्येक राष्ट्र का “राष्ट्रीय ध्वज” उस राष्ट्र के स्वतंत्रता का प्रतीक है। प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का एक अपना राष्ट्रीय ध्वज होता है। राष्ट्रध्वज की शान, प्रतिष्ठा, मान तथा गौरव सदा बने रहे, इसलिए भारतीय कानून के अनुसार ध्वज को सदैव सम्मान के दृष्टि से देखना चाहिए, तथा झण्डे का स्पर्श कभी भी पानी और ज़मीन से नहीं होना चाहिए। मेज़पोश के रूप में, मंच, किसी आधारशिला या किसी मुर्ति को ढकने के लिए इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता।तिरंगा को लेकर मुख्य नियम क्या हैं?भारत के तिरंगा के तत्वों का मतलब राष्ट्रीय ध्वज हर राष्ट्र के गौरव का प्रतीक होता है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के नाम से भी जाना जाता है। भारत विविध जातियों, धर्मों और संस्कृतियों का देश है। इसी प्रकार ध्वज भी भाव प्रधान है। भारत के झंडे में तीन रंग हैं इसलिये इसे तिरंगा कहते हैं। झंडे में तीन रंगों की पट्टियाँ हैं जिनका आकार समान है। राष्ट्र ध्वज की अभिकल्पना स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ ही समय पूर्व पिंगली वैंकैया द्वारा की गई थी। इसके सबसे ऊपर केसरिया रंग है, मध्य का भाग सफेद रंग का है और नीचे के भाग हरे रंग का है। इनके दार्शनिक तथा अध्यात्मिक दोनों ही मायने हैं।केसरिया - भगवाँ रंग का तात्पर्य वैराग्य, केसरिया रंग बलिदान तथा त्याग का प्रतीक है, साथ ही अध्यात्मिक दृष्टी से यह हिन्दु, बौद्ध तथा जैन जैसे अन्य धर्मों के लिए अस्था का प्रतीक स्वरूप भी जाना जाताहै।सफेद - शान्ति का प्रतीक है तथा दर्शन शास्त्र के अनुसार सफेद रंग स्वच्छता तथा सच्चाई का प्रतीक है।हरा - खुशहाली और प्रगति का प्रतीक है। इसके अलावा हरा रंग बिमारीयों को दूर रखता है, आखों को सुकून देता है व बेरेलियम, तांबा और निकील जैसे कई तत्व इसमें पाए जाते हैं।इसकी प्रत्येक पट्टी क्षैतिज आकार की है। सफेद पट्टी पर गहरे नीले रंग का 24 आरों वाला अशोक चक्र है जो तिरंगा की शोभा बढ़ाता है। इस में 12 आरे मनुष्य के अविद्या से दुःख में तथा अन्य 12 अविद्या से निर्वाण (जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति) में बदली का प्रतीक हैं। ध्वज की लम्बाई तथा चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। राष्ट्रीय झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार राष्ट्रध्वज हस्त निर्मित खादी कपड़े से ही बनाया जाना चाहिए।राष्ट्रध्वज का इतिहास क्या है?सबसे पहले भारत का झंडा 1906 में कांग्रेस के अधिवेशन में, कोलकत्ता में स्थित पारसी बगान चौक (ग्रीन पार्क), फहराया गया। यह भगिनी निवेदिता द्वारा 1904 में बनाया गया था। इस ध्वज को लाल, पीला और हरा क्षैतिज पत्तियों से बनाया गया, सबसे ऊपर हरी पट्टी पर आठ कमल के पुष्प थे, मध्य की पीली पट्टी पर वन्दे मातरम् लिखा था तथा सबसे आखरी के हरे पट्टी पर चाँद तथा सूरज सुशोभित थे।दूसरा झण्डा 1907 पेरिस में, मैडम कामा तथा कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया। यह पूर्व ध्वज के समान था। बस इसमें सबसे ऊपर लाल के स्थान पर केसरिया रंग रखा गया। उस केसरिया रंग पर सात तारों के रूप में सप्तऋषि को अंकित किया गया था ।तीसरा झण्डा 1917 में बनाया गया था, जब भारत राजनैतिक संघर्ष के नये पढ़ाव से गुज़र रहा था। घरेलु शासन आन्दोलन के समय पर डॉ एनी बेसेन्ट तथा लोकमान्य तिलक द्वारा यह फहराया गया। यह पाँच लाल तथा चार हरी क्षैतिज पत्तियों से बना हुआ था। इनमें एक लाल पट्टी तथा फिर एक हरी पट्टी करके समस्त पट्टीयों को जुड़ा गया था। बायें से ऊपर की ओर एक छोर पर यूनियन जैक था, तथा उससे लग कर तिरछे में बायें से नीचे की ओर साप्तऋषि बनाया गया व एक कोने पर अर्ध चन्द्र था।चौथा झण्डा 1921 में बनाया गया। तब अखिल भारतीय कांग्रेस सत्र के दौरान बेजवाड़ा (विजयवाड़ा) में अन्द्रप्रदेश के एक युवक पिंगली वैंकैया ने लाल तथा हरे रंग की क्षैतिज पट्टी को झण्डे का रूप दिया। इसमें लाल हिन्दु के आस्था का प्रतीक था और हरा मुस्लमानों का। महात्मा गाँधी ने सुझाव दिया कि इसमें अन्य धर्मों की भावनावों को मान देते हुए एक और रंग जोड़ा जाए तथा मध्य में चलता चरखा होना चाहिए।पांचवा झंडा, स्वराज ध्वज 1931 में बनाया गया तग़ा जो झण्डे के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण वर्ष रहा। इस वर्ष में राष्ट्रीय ध्वज को अपनाने का प्रस्ताव रखा गया तथा राष्ट्रध्वज को मान्यता मिली। इसमें केसरिया, सफेद तथा हरे रंग को महत्व दिया गया जो की वर्तमान ध्वज का स्वरूप है, तथा मध्य में चरखा बनाया गया।छहवाँ झंडे यानि तिरंगा को राष्ट्रध्वज के रूप में मान्यता 22 जुलाई 1947 को अन्ततः मिल गई थी। केवल ध्वज में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को स्थान दिया गया।
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आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत इस अभियान को शुरू किया गया था। यह अभियान स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 13 अगस्त से 15 अगस्त तक चलेगा। इस राष्ट्र समर्पित भावना से ओत-प्रोत कार्यक्रम में प्रत्येक भारतीय नागरिक को अपने घर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने हेतु केंद्र सरकार प्रेरित कर रही है। हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत अधिक से अधिक लोगों को राष्ट्रीय ध्वज उपलब्ध करवाया गया है।
इस माह मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा कि “तिरंगा स्वतंत्रता और राष्ट्रीय एकता की भावना का प्रतीक है। प्रत्येक भारतीय का तिरंगे से भावनात्मक जुड़ाव है और यह हमें राष्ट्रीय प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए एवं कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है। मैं आप सभी से 13 से 15 अगस्त के बीच हर घर तिरंगा अभियान में भाग लेने का आग्रह करता हूं"।
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस अभियान को प्रारंभ करने के पीछे लोगों के दिलों में
देशभक्ति की भावना को जागृत करना और उन्हें तिरंगे के महत्व के विषय में जागरूकता को बढ़ावा देना है। लोगों के घरों के अलावा सार्वजनिक स्थानों, स्थानीय स्वशासित इकाइयों, शिक्षा संस्थानों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में भी तिरंगा झंडा फहराया जाएगा।
तिरंगा झंडा 13 और 14 अगस्त को रात में भी फहराया जा सकता है।
इस अभियान को पूर्णतः सफल बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने एक ऑनलाइन व्यवस्था भी प्रारंभ की है जहाँ पर सभी भारतीय नागरिक पंजीकरण करा सकते हैं और तिरंगे के साथ अपना फोटो एप्प या आधिकारिक वेबसाईट पर अपलोड करके प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं |
राष्ट्रीय ध्वज स्वतंत्रता दिवस पर क्यों फहराया जाता है?
प्रत्येक राष्ट्र का
“राष्ट्रीय ध्वज” उस राष्ट्र के
स्वतंत्रता का प्रतीक है। प्रत्येक
स्वतंत्र राष्ट्र का एक अपना राष्ट्रीय ध्वज होता है। राष्ट्रध्वज की शान, प्रतिष्ठा, मान तथा गौरव सदा बने रहे, इसलिए भारतीय कानून के अनुसार ध्वज को सदैव सम्मान के दृष्टि से देखना चाहिए, तथा झण्डे का स्पर्श कभी भी पानी और ज़मीन से नहीं होना चाहिए। मेज़पोश के रूप में, मंच, किसी आधारशिला या किसी मुर्ति को ढकने के लिए इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता।
तिरंगा को लेकर मुख्य नियम क्या हैं?
1.
हर घर तिरंगा अभियान में झंडे का प्रयोग किसी भी व्यावसायिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
2.
किसी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए भी झंडे को नहीं झुकाया जाएगा।
3.
झंडे का प्रयोग किसी भी पोशाक, वर्दी के रूप में नहीं किया जाएगा, साथ ही झंडे को किसी भी रुमाल, तकिए या अन्य कपड़े पर नहीं छापा जाएगा।
4.
झंडे का प्रयोग किसी भी भवन में पर्दा लगाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
5.
किसी भी प्रकार के अधिसूचना, विज्ञापन, अभिलेख ध्वज पर नहीं लिखा जाना चाहिए।
6.
इसके साथ-साथ झंडे को वाहन, रेलगाड़ी, वायुयान की छत को ढकने के लिए प्रयोग नहीं किया जाएगा।
7.
इसके साथ-साथ किसी दूसरे झंडे को भारतीय झंडे के बराबर या उसके ऊंचाई पर नहीं फहराया जाएगा।
भारत के तिरंगा के तत्वों का मतलब
राष्ट्रीय ध्वज हर राष्ट्र के गौरव का प्रतीक होता है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के नाम से भी जाना जाता है। भारत विविध जातियों, धर्मों और संस्कृतियों का देश है। इसी प्रकार ध्वज भी भाव प्रधान है। भारत के झंडे में तीन रंग हैं इसलिये इसे तिरंगा कहते हैं। झंडे में तीन रंगों की पट्टियाँ हैं जिनका आकार समान है।
राष्ट्र ध्वज की अभिकल्पना
स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ ही समय पूर्व पिंगली वैंकैया द्वारा की गई थी। इसके सबसे ऊपर केसरिया रंग है, मध्य का भाग सफेद रंग का है और नीचे के भाग हरे रंग का है। इनके दार्शनिक तथा अध्यात्मिक दोनों ही मायने हैं।
केसरिया - भगवाँ रंग का तात्पर्य वैराग्य, केसरिया रंग बलिदान तथा त्याग का प्रतीक है, साथ ही अध्यात्मिक दृष्टी से यह हिन्दु, बौद्ध तथा जैन जैसे अन्य धर्मों के लिए अस्था का प्रतीक स्वरूप भी जाना जाताहै।
सफेद - शान्ति का प्रतीक है तथा दर्शन शास्त्र के अनुसार सफेद रंग स्वच्छता तथा सच्चाई का प्रतीक है।
हरा - खुशहाली और प्रगति का प्रतीक है। इसके अलावा हरा रंग बिमारीयों को दूर रखता है, आखों को सुकून देता है व बेरेलियम, तांबा और निकील जैसे कई तत्व इसमें पाए जाते हैं।
इसकी प्रत्येक पट्टी क्षैतिज आकार की है। सफेद पट्टी पर गहरे नीले रंग का 24 आरों वाला अशोक चक्र है जो तिरंगा की शोभा बढ़ाता है। इस में 12 आरे मनुष्य के अविद्या से दुःख में तथा अन्य 12 अविद्या से निर्वाण (जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति) में बदली का प्रतीक हैं। ध्वज की लम्बाई तथा चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। राष्ट्रीय झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार राष्ट्रध्वज हस्त निर्मित खादी कपड़े से ही बनाया जाना चाहिए।
राष्ट्रध्वज का इतिहास क्या है?
सबसे पहले भारत का झंडा 1906 में कांग्रेस के अधिवेशन में, कोलकत्ता में स्थित पारसी बगान चौक (ग्रीन पार्क), फहराया गया। यह भगिनी निवेदिता द्वारा 1904 में बनाया गया था। इस ध्वज को लाल, पीला और हरा क्षैतिज पत्तियों से बनाया गया, सबसे ऊपर हरी पट्टी पर आठ कमल के पुष्प थे, मध्य की पीली पट्टी पर वन्दे मातरम् लिखा था तथा सबसे आखरी के हरे पट्टी पर चाँद तथा सूरज सुशोभित थे।
दूसरा झण्डा 1907 पेरिस में, मैडम कामा तथा कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया। यह पूर्व ध्वज के समान था। बस इसमें सबसे ऊपर लाल के स्थान पर केसरिया रंग रखा गया। उस केसरिया रंग पर सात तारों के रूप में सप्तऋषि को अंकित किया गया था ।
तीसरा झण्डा 1917 में बनाया गया था, जब भारत राजनैतिक संघर्ष के नये पढ़ाव से गुज़र रहा था। घरेलु शासन आन्दोलन के समय पर डॉ एनी बेसेन्ट तथा लोकमान्य तिलक द्वारा यह फहराया गया। यह पाँच लाल तथा चार हरी क्षैतिज पत्तियों से बना हुआ था। इनमें एक लाल पट्टी तथा फिर एक हरी पट्टी करके समस्त पट्टीयों को जुड़ा गया था। बायें से ऊपर की ओर एक छोर पर यूनियन जैक था, तथा उससे लग कर तिरछे में बायें से नीचे की ओर साप्तऋषि बनाया गया व एक कोने पर अर्ध चन्द्र था।
चौथा झण्डा 1921 में बनाया गया। तब अखिल भारतीय कांग्रेस सत्र के दौरान बेजवाड़ा (विजयवाड़ा) में अन्द्रप्रदेश के एक युवक पिंगली वैंकैया ने लाल तथा हरे रंग की क्षैतिज पट्टी को झण्डे का रूप दिया। इसमें लाल हिन्दु के आस्था का प्रतीक था और हरा मुस्लमानों का। महात्मा गाँधी ने सुझाव दिया कि इसमें अन्य धर्मों की भावनावों को मान देते हुए एक और रंग जोड़ा जाए तथा मध्य में चलता चरखा होना चाहिए।
पांचवा झंडा, स्वराज ध्वज 1931 में बनाया गया तग़ा जो झण्डे के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण वर्ष रहा। इस वर्ष में राष्ट्रीय ध्वज को अपनाने का प्रस्ताव रखा गया तथा राष्ट्रध्वज को मान्यता मिली। इसमें केसरिया, सफेद तथा हरे रंग को महत्व दिया गया जो की वर्तमान ध्वज का स्वरूप है, तथा मध्य में चरखा बनाया गया।
छहवाँ झंडे यानि तिरंगा को राष्ट्रध्वज के रूप में मान्यता 22 जुलाई 1947 को अन्ततः मिल गई थी। केवल ध्वज में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को स्थान दिया गया।