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ब्रिक्स का विस्तारण अनिवार्य था क्योंकि संयुक्त राष्ट्र निष्क्रिय हो गया है: विशेषज्ञ

© Twitter/@narendramodiSouth Africa's President Cyril Ramaphosa meets India's Prime Minister Narendra Modi
South Africa's President Cyril Ramaphosa meets India's Prime Minister Narendra Modi - Sputnik भारत, 1920, 24.08.2023
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गुरुवार को दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने घोषणा की कि अर्जेंटीना, ईरान, इथियोपिया, सऊदी अरब, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात 1 जनवरी 2024 से ब्रिक्स के पूर्ण सदस्य बन जाएँगे।
गुरुवार को भू-राजनीति विशेषज्ञ ने Sputnik भारत को बताया कि ब्रिक्स का नया घोषित विस्तारण अनिवार्य था क्योंकि संयुक्त राष्ट्र (UN) वैश्विक संगठन के दृष्टिकोण से विफल हो गया है और अब निष्क्रिय हो गया है।

ब्रिक्स सदस्य पाँच से बढ़कर ग्यारह हो गए

मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) शशि भूषण अस्थाना की टिप्पणी ब्रिक्स देशों द्वारा समूह को ब्रिक्स के आधिकारिक विस्तारण की घोषणा के कुछ घंटों बाद आई। संयुक्त अरब अमीरात, ईरान, सऊदी अरब, मिस्र, इथियोपिया और अर्जेंटीना समिल्लित होने से प्रभावशाली मंच 11 सदस्यों तक विस्तारित हो जाएगा।
फिलहाल ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका सम्मिलित हैं।

ब्रिक्स सदस्यों के बीच आम सहमति ही, कोई विवाद नहीं है

भारतीय सैन्य अनुभवी अस्थाना ने कहा कि जहाँ तक समूह के विस्तार का सवाल है तो भारत का दृष्टिकोण यह है कि आम सहमति होनी चाहिए।
तात्पर्य यह है कि आम सहमति बनाने पर बल दिया जाता है क्योंकि यदि जो देश एक-दूसरे के विरोधी हैं, उन्हें स्वीकार किया जाता है, तो इसके परिणामस्वरूप संगठन निष्क्रिय हो जाएगा क्योंकि ऐसे देशों के बीच किसी नाज़ुक मुद्दे पर आम सहमति प्रपात करना कठिन हो।
"यह कुछ ऐसा है जो अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हो रहा है, जिसमें एक तरफ पश्चिम और दूसरी तरफ रूस और चीन हैं। परिणामस्वरूप UN से कोई सार्थक संयुक्त/सर्वसम्मति वाला बयान नहीं आ रहा है," अस्थाना ने गुरुवार को Sputnik को बताया।
इसके अतिरिक्त विशेषज्ञ ने बताया कि ब्रिक्स में सम्मिलित होने वाले अधिकांश देश दोनों भारत और अन्य ब्रिक्स सदस्यों के प्रति मित्रतापूर्ण हैं।
लेकिन उन्होंने व्यक्त किया कि जब कुछ ऐसे देशों को सम्मिलित करने की बात आती है जिसके साथ मूल ब्रिक्स सदस्यों के मतभेद हैं, तो विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
© SputnikIndia's Prime Minister Narendra Modi
India's Prime Minister Narendra Modi  - Sputnik भारत, 1920, 24.08.2023
India's Prime Minister Narendra Modi

देश संयुक्त राष्ट्र से निराश हो गए

अस्थाना के अनुसार "ब्रिक्स का विस्तार अपरिहार्य था क्योंकि लोग संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों से निराश हैं, जिनका अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है।"
विशेषज्ञ ने यह भी उल्लिखित किया कि नाटो की बढ़ती क्षमता के बयानों की पृष्ठभूमि के विरूद्ध यह भी समझा जाना चाहिए कि ब्रिक्स और SCO समेत अन्य संगठनों की क्षमता भी बढ़ती जा रही है।
इसके अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय संबंधों में कोई स्थायी प्रतिद्वंद्वी और स्थायी मित्र नहीं, बल्कि स्थायी हित ही होते हैं। इसके अतिरिक्त प्रतिस्पर्धी देशों के मध्य कुछ समानताएं और कुछ अंतर भी हैं।

भारत और चीन के बीच अभिसरण

इस संदर्भ में अस्थाना ने कहा कि यही बात भारत और चीन के बीच रिश्तों पर भी लागू होती है। दिल्ली और बीजिंग के बीच प्रतिस्पर्धा तात्कालिक है लेकिन उसी समय ये विकासशील और गैर-पश्चिमी देश कुछ समान हैं।
"विशेष रूप से ब्रिक्स जैसे मंचों पर दो एशियाई दिग्गजों के बीच सहयोग वैश्विक दक्षिण की देखभाल करने, उन राष्ट्र की देखभाल करने के लिए महत्वपूर्ण है, जो पश्चिमी देशों के खेमे में नहीं हैं और जो अच्छी तरह से प्रतिनिधित नहीं हैं," अस्थाना ने रेखांकित किया।
उन्होंने व्यक्त किया कि उनके सहयोग के पीछे दूसरा मुख्य कारक उनका वैश्विक विनिर्माण केंद्र के पद है।
© Photo : Russian MFAHeads of the BRICS nations' delegations show the BRICS spirit during the traditional photo ceremony
Heads of the BRICS nations' delegations show the BRICS spirit during the traditional photo ceremony - Sputnik भारत, 1920, 24.08.2023
Heads of the BRICS nations' delegations show the BRICS spirit during the traditional photo ceremony

भारत और चीन दोनों पश्चिमी आधिपत्य का मुकाबला कर रहे हैं

इसके साथ व्यापार के क्षेत्र में भी बीजिंग और दिल्ली को अपने मतभेदों को समाप्त करना चाहिए।

"इस पृष्ठभूमि में अगर विकासशील दुनिया और वैश्विक दक्षिण की आवाज उठानी है, तो कुछ क्षेत्रों में भारत और चीन के बीच किसी प्रकार का सहयोग देखा जा सकता है, जहाँ उन्हें पश्चिमी आधिपत्य का सामना करना चाहिए," अस्थाना ने निष्कर्ष निकाला।

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