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विकासशील देशों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता और अधिक महत्त्वपूर्ण हुई: एस जयशंकर

© AP Photo / Manish SwarupIndian Foreign Minister S. Jaishankar addresses a press conference at the end of the Shanghai Cooperation Organization (SCO) council of foreign ministers' meeting, in Goa, India, Friday, May 5, 2023.
Indian Foreign Minister S. Jaishankar addresses a press conference at the end of the Shanghai Cooperation Organization (SCO) council of foreign ministers' meeting, in Goa, India, Friday, May 5, 2023. - Sputnik भारत, 1920, 27.08.2023
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शीर्ष भारतीय राजनयिक ने कहा कि 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन के एजेंडे में ग्लोबल साउथ की चिंताएं हावी रहेंगी।
रविवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नई दिल्ली में आयोजित बिजनेस 20 (B20) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि खाद्य और ऊर्जा संकट, व्यापार व्यवधान और जलवायु घटनाओं, उच्च ऋण के कारण ग्लोबल साउथ "असाधारण तनाव" में है।

राजनयिक ने कहा, "ग्लोबल साउथ पर वर्तमान फोकस इस दृढ़ विश्वास से उत्पन्न होता है कि ये ऐसे देश हैं जो वास्तव में विशेष देखभाल के पात्र हैं। ये असाधारण तनाव वाले समाज भी हैं, जिन पर अगर ध्यान नहीं दिया जाएगा तो विश्व अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है।"

जयशंकर ने बल दिया कि जब भारत ने जी20 की अध्यक्षता संभाली थी, तब से वह ग्लोबल साउथ की चिंताओं की वकालत कर रहा है।

"भारत जी20 में ग्लोबल साउथ की आवाज की अनुपस्थिति के प्रति पूरी तरह सचेत था, इसलिए माननीय प्रधानमंत्री ने 125 देशों की आवाज, चुनौतियों और प्राथमिकताओं के बारे में सुनने के लिए वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन बुलाने का निर्णय किया। साथ ही इन देशों को जी20 एजेंडे का केंद्रीय मुद्दा भी बनाया गया है," मंत्री ने कहा।

'अंतरराष्ट्रीय प्रणाली पर वैश्विक उत्तर का प्रभुत्व बना हुआ है'

जयशंकर ने अपने भाषण में जोर देकर कहा कि यह "एक निर्विवाद वास्तविकता है कि अंतरराष्ट्रीय प्रणाली पर वैश्विक उत्तर का प्रभुत्व बना हुआ है।

विदेश मंत्री ने कहा, "यह स्वाभाविक रूप से जी20 की संरचना में भी परिलक्षित होता है। संभवतः इस पर तब कम ध्यान दिया जाता था जब लगता था कि वैश्वीकरण प्रक्रिया अधिक अवसर प्रदान करती है, लेकिन जैसे-जैसे इसकी असमानताएं और विषमताएँ अधिक स्पष्ट हो गईं, विकासशील देशों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता और अधिक महत्त्वपूर्ण हुई।"

इसके साथ भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने विकसित देशों में सब्सिडी, प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन और रणनीतिक विकल्पों की "एकाग्रता" पर चिंता व्यक्त की।
जयशंकर ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा कि विकासशील देश अब कुछ आपूर्तिकर्ताओं की "दया पर निर्भर" नहीं रह सकते। उन्होंने कहा, "अधिक लचीली आपूर्ति शृंखला बनाने की बाध्यता बहुत जरूरी है"।
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