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नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन
नई दिल्ली में 9-10 सितंबर तक होने वाला G-20 देशों के नेताओं का शिखर सम्मेलन भारत की G-20 अध्यक्षता को समाप्त करेगा। G-20 का मेजबान होने के नाते भारत को यूक्रेन संघर्ष के मुद्दे पर पश्चिमी दबाव का सामना करना पड़ा, लेकिन यह रूस के खिलाफ पश्चिम के प्रतिबंध युद्ध में शामिल होने से इनकार कर दिया है।

G-20 शिखर सम्मेलन का दूसरा सत्र प्रारंभ

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नई दिल्ली में भारत की अध्यक्षता में 18वां G-20 शिखर सम्मेलन हो रहा है, जिसमें कई अलग-अलग मुद्दों पर बातचीत होनी है।
आज दो दिवसीय G-20 (या ग्रुप ऑफ ट्वेंटी) शिखर सम्मेलन की शुरुआत हुई। आज के दिन शिखर सम्मेलन के दो अत्यंत महत्वपूर्ण सत्र निर्धारित हैं – पहला सत्र 'वन अर्थ' और भोजन के बाद दूसरा सत्र 'वन परिवार'।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और G-20 समूह के अन्य नेताओं के साथ संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) जैसे प्रमुख विश्व संगठनों के अध्यक्ष शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं।
आप को याद दिला दें कि 2023 में भारत कि अध्यक्षता का विषय 'वसुधैव कुंटुंबकम' रखा गया है, जो महा उपनिषद के प्राचीन संस्कृत पाठ से लिया गया है। इसलिए इस शिखर सम्मेलन में वसुधैव कुटुंबकम् की थीम के आधार पर ही 'एक अर्थ', 'एक परिवार' और 'एक भविष्य' सत्र होंगे।
आशा है कि वैश्विक नेताओं की बैठक के समापन पर एक संयुक्त विज्ञप्ति जारी की जाएगी। बीते दिन भारतीय G-20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा, यह संयुक्त विज्ञप्ति ग्लोबल साउथ की आवाज को भी प्रतिबिंबित करेगी।
G-20 की स्थापना 2008 में हुई थी। इसमें यूरोपीय संघ और दुनिया की 19 सब से बड़ी अर्थव्यवस्थाएं सम्मिलित हैं। प्रारंभ में G-20 समूह आर्थिक विषयों पर ही केंद्रित हुआ करता था, पर बाद में इसकी कार्यसूची में विस्तार करते हुए इसमें अन्य बातों के साथ जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, भ्रष्टाचार-विरोध इत्यादि को सम्मिलित किया गया।
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