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भारत और यूरोप के बीच गलियारा ब्रिक्स को मजबूत ही करेगा: विशेषज्ञ

© AP Photo / Manish SwarupFILE - In this Feb. 20, 2019 file photo, Saudi Arabia's Crown Prince Mohammed bin Salman shakes hand with Indian Prime Minister Narendra Modi during a ceremonial welcome in New Delhi, India
FILE - In this Feb. 20, 2019 file photo, Saudi Arabia's Crown Prince Mohammed bin Salman shakes hand with Indian Prime Minister Narendra Modi during a ceremonial welcome in New Delhi, India - Sputnik भारत, 1920, 12.09.2023
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उस गलियारे से संबंधित देशों के अनुसार नया गलियारा बनाने का मुख्य लक्ष्य एशियाई, खाड़ी और यूरोपीय देशों के बीच व्यापार संबंधों का विस्तार करके आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना होगा।
भारत और यूरोप के बीच गलियारा ब्रिक्स की स्थिति को ही मजबूत करेगा, अर्थशास्त्र के सऊदी प्रोफेसर मुहम्मद दलिम अल-क़हतानी ने Sputnik Arabic को बताया।

"यह एक असाधारण आर्थिक परियोजना है जो अग्रणी लॉजिस्टिक्स केंद्रों के रूप में क्षेत्र के कई राज्यों की स्थिति को मजबूत करेगी," दलिम अल-क़हतानी ने कहा।

अर्थशास्त्री के अनुसार, इस परियोजना का इसके कार्यान्वयन में भाग लेने वाले देशों की जीडीपी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। विकास दर 30 प्रतिशत से अधिक हो सकती है और इससे क्षेत्र के उद्योग के विकास को अतिरिक्त गति मिलेगी, उन्होंने कहा।
"हम जानते हैं कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और प्रौद्योगिकी विकास और नवाचार में अग्रणी खिलाड़ियों में से एक है। इसके अलावा, भारत ब्रिक्स का सदस्य है, जो केवल समूह की भूमिका [वैश्विक अर्थव्यवस्था में] को मजबूत करेगा और इसके सदस्यों को कई लाभ पहुंचाएगा," अल-क़हतानी ने कहा।
विशेषज्ञ ने निष्कर्ष निकाला कि ब्रिक्स के पास दुनिया के महाद्वीपों को न्यायपूर्ण और पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंधों की एकल प्रणाली से जोड़ने का मौका है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे के शुभारंभ की घोषणा की थी। इससे पहले, अमेरिका ने एक ज्ञापन का पाठ जारी किया जिसमें कहा गया है कि भारत, सऊदी अरब, अमेरिका और यूरोपीय संघ एक नया आर्थिक गलियारा भारत-मध्य पूर्व-यूरोप बनाने पर सहमत हुए थे।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी आर्थिक मंच को संबोधित करते हुए कहा कि भारत से आर्थिक गलियारे पर सहमति बनने पर अमेरिका ने आखिरी कदम उठाया था, लेकिन यह परियोजना रूस के लिए फायदेमंद है।
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