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भारत में विदेश से चीते क्यों लाए जा रहे हैं?

© AP Photo / Denis FarrellTwo cheetahs are seen inside a quarantine section before being relocated to India at a reserve near Bella Bella, South Africa, Sunday, Sept. 4, 2022.
Two cheetahs are seen inside a quarantine section before being relocated to India at a reserve near Bella Bella, South Africa, Sunday, Sept. 4, 2022. - Sputnik भारत, 1920, 03.10.2023
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भारतीय चीतों का इतिहास राजशाही, अवैध शिकार से जुड़ा हुआ है, आजादी मिलने तक ब्रिटिश राज के दौरान अवैध शिकार के कारण देश से इनकी प्रजाति गायब हो गईं।
भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान इन जानवरों का अंधाधुंध शिकार हुआ था जिसकी वजह से चीतों की यह प्रजाति अपने अंत तक पहुंच गई थी, क्योंकि अंग्रेजों के इनके शिकार करने वालों को इनाम दिया था। उससे इसके शिकार में बेतहाशा वृद्धि हो गई। इसके अलावा जंगलों की सफाई भी इनके विलुप्त होने का एक मुख्य कारण थी।

एक समय इन जानवरों का राज पूरे भारत वर्ष में था और मुख्य तौर पर भारत के मध्य क्षेत्र में इनकी तादाद अधिक थी, भारत के मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य में मिली नवपाषाण काल की गुफा चित्रकारियों में चीते साफ तौर पर देखे जा सकते हैं।

इतिहास की जानकारी रखने वालों के हिसाब से भारत में मुग़ल राजा अकबर भी इन जानवरों के मुरीद माने जाते थे जिसकी वजह से राजशाही और इनके बीच एक घनिष्ट संबंध बन गया।
भारत में चीतों को वापस लाने की कोशिश के दौरान भारत सरकार ने पिछले साल 'चीता पुनरुद्धार परियोजना' की शुरुआत की थी, जिसके तहत दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से 20 चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय पार्क लाया गया था। हालांकि विभिन्न कारणों से तीन शावकों सहित 9 चीते मारे गए।

भारत में चीतों का इतिहास क्या है?

चीता सबसे तेज और चालक जानवरों में से एक है। नवपाषाण काल से ही चीतें भारत में रहे हैं, क्योंकि पुराने समय की मिली गुफाओं में इस खूबसूरत जानवर के चित्र पाए गए हैं। इसके बाद राजशाही और पैसे वाले लोग अपने शिकार के लिए इनको पालतू बनाया करते थे क्योंकि इनकी मदद से तेज हिरण और अन्य जानवरों का शिकार आसानी से किया जा सकता था।

भारत में मुगल काल की चित्रकारियों में भी इनका जिक्र एक शानदार जानवर के रूप में किया गया है। यह चित्रकारी इन जानवरों की शिकारी कुशलता और राजाओं का इनके लिए आकर्षण जाहिर करती हैं।
एक समय चीते एक पालतू जानवर के रूप में जाने जाते थे, वहीं इनकी प्रजाति के दूसरे शेरों को पालतू बनाना एक बहुत बड़ा कठिन काम माना जाता था, बताया जाता है कि चीते जब भी इंसानों के पालतू रहे तो उनको कभी इंसानों के लिए खतरा नहीं माना गया।
© Photo : Twitter/ @byadavbjpFour cheetah cubs born at the Kuno National Park in Madhya Pradesh
Four cheetah cubs born at the Kuno National Park in Madhya Pradesh - Sputnik भारत, 1920, 03.10.2023
Four cheetah cubs born at the Kuno National Park in Madhya Pradesh

भारत से चीते क्यों गायब हो गए?

भारत में राजाओं के समय से शिकार की प्रथा रही है और मुगल शासन के अंत के बाद, जब ब्रिटिश भारत आए थे तब उन्होंने इस जानवर का बहुत अधिक मात्रा में शिकार किया था। इसकी वजह से इनकी संख्या में गिरावट देखी गई, बाद में इंसानों की बस्ती का बढ़ना और अंग्रेजों द्वारा चीतों के शिकार पर इनाम की घोषणा भी इनके गायब होने के मुख्य कारणों में से थीं।

लगभग एक साल पहले केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने संसद को बताया था कि कभी भारत का मूल निवासी एशियाई चीता "मुख्य रूप से शिकार और निवास स्थान के नुकसान के कारण" विलुप्त हो गया। भारत में इस जानवर को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
वन्यजीव इतिहासकार और संरक्षणवादी दिव्य भानु सिंह और एक अन्य वन्य जीव इतिहासकार रज़ा काज़मी ने भारत में चीतों के विलुप्त होने का पता लगाते हुए 2019 के एक संयुक्त पेपर में पाया था कि चीते कैद में प्रजनन नहीं करते हैं और केवल "दुनिया में कहीं भी कैद में चीते के प्रजनन का 20वीं सदी तक का पहला और एकमात्र उदाहरण" 1613 में सम्राट जहांगीर द्वारा दर्ज कराया गया था।

भारत में आखिरी बार कब चीते देखे गए?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अंतिम ज्ञात एशियाई चीते का अंत कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव के हाथों 1947 में हुआ था (अब कोरिया क्षेत्र देश में छत्तीसगढ़ के नाम से जाना जाता है)। आखिरी चीते के अंत के साथ भारत में चीतों का खात्मा हो गया।

एतिहासिक आंकड़ों के मुताबिक 19वीं सदी में चीतों की संख्या में अधिक गिरावट देखी गई और जहां देश में इनकी संख्या 10000 थी वहीं वह घटकर सेंकड़ों में रह गई।

चीतों की भारत में वापसी कैसे हुई?

भारत सरकार ने एक साल पहले चीतों को भारत में दोबारा स्थापित करने के लिए एक परियोजना की शुरुआत की थी, जिसके अंतर्गत 20 चीते नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से भारत लाए गए और जिनको मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय पार्क में सितंबर 2022 से फरवरी 2023 तक छोड़ा गया। पिछले साल 17 सितंबर को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस नौके पर मौजूद थे।
नामीबिया स्थित चीता संरक्षण कोष (CCF) के मुताबिक भारत में चीतों को पुनः स्थापित करने की योजना अभी सफलता और असफलता के बीच पटरी पर है। CCF के संस्थापक लॉरी मार्कर ने परिचय के लिए योजनाओं का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और 2009 से कई बार भारत की यात्रा की है।
पर्यावरण मंत्रालय में अतिरिक्त महानिदेशक (वन) और प्रोजेक्ट चीता के प्रमुख सत्य प्रकाश यादव ने भारतीय मीडिया को बताया कि जिन चीतों को दक्षिण अफ्रीका से लाए जाने की उम्मीद है उन्हें उत्तरी अफ्रीका से चीतों को लाने की संभावना तलाशने के लिए बातचीत जारी है।
मीडिया ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि भारत एक साल बाद नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के बजाय उत्तरी अफ्रीका से चीतों को लाने के लिए विचार कर रहा है। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
African Cheetah - Sputnik भारत, 1920, 04.09.2023
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भारत में कितने चीते हैं?
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